बनभूलपुरा मामला पहुंचा सुप्रीम चौखट पर, 5 जनवरी को होगी सुनवाई : पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दाखिल की 11 लोगों की ओर से याचिका
हाईकोर्ट के फैसले की आड़ में प्रशासन हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित तौर पर रेलवे की भूमि पर 4365 घरों में रहने वाली करीब पचास हजार की आबादी को अतिक्रमणकारी मानते हुए इन्हें यहां से उजाड़े जाने की तैयारी में है, इस भूमि पर रहने वालों के कई लोगों के पास जमीनों के पट्टे तो कई के पास रजिस्ट्री के कागज हैं...
देहरादून। उत्तराखंड की सीमाओं से बाहर निकलकर देश भर में चर्चित हो चुके बनभूलपुरा रेलवे प्रकरण सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार 2 जनवरी को कामकाज के लिए खुले उच्चतम न्यायालय में पूर्व कानून मंत्री वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने इस मामले में 11 लोगों की ओर से यह याचिका दाखिल की है। दूसरी ओर हल्द्वानी के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने क्षेत्र के इस संवेदनशील मामले से कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी अवगत कराया है।
हाई कोर्ट के फैसले की आड़ में प्रशासन हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कथित तौर पर रेलवे की भूमि पर 4365 घरों में रहने वाली करीब पचास हजार की आबादी को अतिक्रमणकारी मानते हुए इन्हें यहां से उजाड़े जाने की तैयारी में है। इस भूमि पर रहने वालों के कई लोगों के पास जमीनों के पट्टे तो कई के पास रजिस्ट्री के कागज हैं। यहां बसी 90 फीसदी से अधिक आबादी अल्पसंख्यक होने के कारण राज्य सरकार की दिलचस्पी इनकी किसी भी मदद में नहीं है।
इल्जाम तो यहां तक हैं कि इन लोगों के मतदान करने की वजह से भारतीय जनता पार्टी का विधायक प्रत्याशी जीतने में होने वाली मुश्किलों को आसान करने के लिए राज्य की भाजपा सरकार ने न्यायालय में भी कोई खास पैरवी नहीं की। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि भाजपा सरकार इन्हें यहां से हर हाल में उजाड़ना चाहती है, जिसके चलते उसने अपनी भूमि पर भी दावा नहीं किया। राज्य सरकार का शुरू से ही इस मामले में विवादित भूमि को रेलवे की ही भूमि मानने का स्टैंड रहा है। हाई कोर्ट के निर्णय की आड़ में उत्साहित राज्य सरकार लोगों को यहां से बलपूर्वक उजाड़े जाने की तैयारियों के चलते भूमि के सीमांकन भी करवा चुकी है।
एक तरफ जहां प्रदेश सरकार इस हजारों की आबादी को उजाड़ने की कोशिश में जुटी है तो दूसरी ओर तमाम संगठनों सहित कांग्रेस इन पीड़ितों के समर्थन में है। बस्ती को बचाए रखने के लिए पार्षद रोहित कुमार ने अपने खून से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र भी लिखा। जिसमें उन्होंने लिखा कि घर, मंदिर, मस्जिद, स्कूल को ना तोड़ा जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि रेलवे अतिक्रमण की ज़द में आने वाले लोगों को पहले विस्थापित किया जाए उसके बाद ही लोगो को हटाया जाए। बस्ती तोड़े जाने के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल होने के साथ ही कांग्रेस ने पीड़ितों को कानूनी मदद भी मुहैया करानी शुरू कर दी है, जिसके चलते सोमवार 2 जनवरी को पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के माध्यम से देश के सर्वोच्च न्यायालय में इन लोगों की याचिका को सूचीबद्ध कराया गया।
नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले से निराश पीड़ितों की ओर से शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को खुली सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के शराफत खान सहित 11 लोगों की ओर से दाखिल इस याचिका को सूचीबद्ध किया गया है। जिसके बाद यहां के लोगो को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद भी जागी है।
जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में तीन दिन बाद पांच जनवरी को मामले की सुनवाई की जाएगी। सोमवार 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच जनवरी बृहस्पतिवार को मामला सुने जाने की तारीख दी है।
बनभूलपुरा प्रकरण में कई याचिकाओं को दाखिल किए जाने की संभावनाओं के कारण माना जा रहा है कि एकाध दिन में शेष पिटिशनर की अपील आने पर सभी अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ सुनवाई कर सकती है। सोमवार 2 जनवरी को दाखिल की गई इस याचिका के समय हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश समेत कई लोग सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद के साथ मौजूद थे। इधर विधायक सुमित हृदयेश ने बनभूलपुरा प्रकरण से दिल्ली में राहुल गांधी सहित कई और वरिष्ठ नेताओं को जानकारी देते हुए इसकी संवेदनशीलता से अवगत कराया है।