दलित आईपीएस वाई पूरन कुमार का आरोप, डीजीपी मनोज यादव उन्हें नहीं जाने देते मंदिर

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के विधानसभा क्षेत्र में तैनात आईजीपी होमगार्ड आईपीएस अधिकारी वाई पूर्ण कुमार ने डीजीपी मनोज यादव पर लगाया दलित उत्पीड़न का आरोप, एसएचओ को पत्र लिख एफआईआर दर्ज कराने का आग्रह किया ....

Update: 2021-05-22 05:05 GMT

अंबाला कैंट पुलिस स्टेशन के एसएचओ को लिखी अपनी शिकायत में दलित आईपीएस वाई पूरन कुमार ने कहा लगातार हो रहा है उनका उत्पीड़न 

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के विधानसभा क्षेत्र अंबाला कैंट में रह रहे हरियाणा पुलिस के आईपीएस अधिकारी आइजीपी वाई पूरन कुमार ने आरोप लगाया कि डीजीपी मनोज यादव उन्हें किसी पूजा घर में नहीं घुसने देते, क्योंकि वह दलित परिवार से हैं, इसलिए उन्हें पूजास्थल से दूर रखा जाता है। इस वजह से वह अगस्त 2020 से आज तक मंदिर में भी नहीं गया। वाई पूर्ण कुमार ने डीजीपी मनोज यादव पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की गुजारिश की है।

अंबाला कैंट पुलिस स्टेशन के एसएचओ को लिखी अपनी शिकायत में वाई पूरन कुमार ने बताया कि उनका लगातार उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने धमकाने और तंग करने के मामले में एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया है। वाई पूरन कुमार ने आरोप लगाया कि डीजीपी मनोज यादव उन्हें जान-बूझकर तंग कर रहे हैं, क्योंकि वह शिड्यूल परिवार से आते हैं। उन्होंने डीजीपी के व्यवहार को लेकर पहले ही एक शिकायत दे रखी है।

अब डीजीपी मनोज यादव उन पर दबाव बनाना चाह रहे  हैं कि वह अपनी शिकायत वापस लें। इसके चलते उन्हें बार बार तंग किया जा रहा है। वाई पूर्ण कुमार  ने अपने पत्र में लिखा कि डीजीपी ने उन्हें इसी साल  18 मार्च, 19 मार्च और 20 मार्च को डीओ लेटर लिखे, इसमें गलत व झूठे आरोप लगाए। इस डीओ लेटर में  में डीजीपी ने मुझे,  प्रोफेशनली अयोग्य करार दिया, और उस पर गलत आरोप लगाए।

मनोज यादव क्योंकि पुलिस में सर्वोच्च पद है,इसलिए वह उसे नुकसान पहुंचा सकता है। पूरन कुमार ने अपनी शिकायत में लिखा कि मनोज यादव ने उन्हें जो भी पत्र लिखे, उनका उचित जवाब दिया, लेकिन इसके बाद भी मनोज यादव ने उनके खिलाफ  एक तरफा कार्यवाही कर दी, जो कि प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।

वाई पूरन कुमार ने एसएचओ को शिकायत देते हुए कहा कि वह शिड्यूल कास्ट है, उन्हें महसूस हो रहा उन्हें दबाया जा रहा है। डराया जा रहा है और शेड्यूल कास्ट परिवार से संबंधित होने की वजह से उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, क्योंकि नए प्रावधान के मुताबिक दलित उत्पीड़न के मामले बिना जांच के सीधे ही दर्ज होते हैं, इसलिए इस मामले में भी एसएचओ तुरंत डीजीपी मनोज यादव के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे इंसाफ दिलवाए।

एक सीनियर पुलिस अधिकारी के अपने ही महकमे के मुखिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर लिखे गए पत्र से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। इस संबंध में जब पुलिस विभाग के अधिकारियों से बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इधर वाई पूरन कुमार के पत्र पर पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामला उच्च अधिकारियों के पास भेज दिया गया है। गृहमंत्री को भी इससे अवगत करा दिया गया है। अब वहां से जो आदेश आएंगे, इसके मुताबिक ही आगे की कार्यवाही अमल में लायी जाएगी। पुलिस विभाग में इस पत्र को लेकर अब हड़कंप मचा हुआ है।

गृह मंत्री भी खुश नहीं डीजीपी से

इससे पहले कई मौकों पर गृह मंत्री अनिल विज भी डीजीपी से नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। उन्होंने डीजीपी के पद पर आईपीएस मनोज यादव की सेवा विस्तार को लेकर भी सीएम मनोहर लाल के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि ये अलग बात है कि उनकी बातों को अनसुना करते सीएम मनोहर लाल ने आईपीएस यादव को डीजीपी के पद पर सेवा विस्तार दे दिया था।

डीजीपी मनोज यादव के एक्सटेंशन की जानकारी मिलने के बाद विज ने गृह सचिव राजीव अरोड़ा को एक और पत्र लिख दिया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि डीजीपी का महकमे में अधिकारियों के ऊपर नियंत्रण नहीं है, वे अपने कार्य में अक्षम हैं। यहां तक कि उनसे किसान आंदोलन भी नहीं संभला। इसके अलावा अनिल विज ने पत्र में हरियाणा की कानून व्यवस्था का भी हवाला दिया है।

हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के गठन को लेकर को लेकर भी विज और डीजीपी में तकरार हो गई थी। गृहमंत्री ने डीजीपी से लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। उन्हें सात दिन में लिखित जवाब देने के आदेश भी दिए थे।

डीजीपी भी कई मौकों पर गृह मंत्री की अनदेखी कर चुके है। अनिल विज मानते हैं कि डीजीपी उन्हें बाइपास कर निर्णय ले लेते हैं। इसके लिए उन्हें विश्वास में लिया नहीं जाता। सीआईडी गृहमंत्री के पास रहेगा या मुख्यमंत्री के पास, इस विवाद में भी डीजीपी विज की उम्मीद पर खरे नहीं उतरे। सीआईडी जब सीएम के पास चला गया था। गृहमंत्री ने डीजीपी को कई आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए बोला था, लेकिन यह कार्यवाही नहीं हुई।

लेकिन सीएम का आशीर्वाद प्राप्त है मनोज यादव को

इधर अनिल विज के तमाम आब्जेक्शन के बाद भी मनोज यादव डीजीपी के पद पर बने हुए हैं। इसके पीछे पजह बतायी जाती है कि सीएम मनोहर लाल खट्टर का डीजीपी को आशीर्वाद प्राप्त है। सीएम की वजह से उन्हें इस पद पर सेवा विस्तार मिला। इतना ही नहीं विज जब जब गृह मंत्री ने डीजीपी पर सवाल उठाया, तब तब सीएम मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें बचाया है। यहीं वजह है कि मनोज यादव डीजीपी के पद पर बने हुए हैं।

यह विवाद भले ही डीजीपी और वाई पूर्ण कुमार के बीच हो, लेकिन उसकी पृष्टभूमि में विवाद सीएम और गृहमंत्री का भी है। यही वजह है कि इस ताजा विवाद में भी एक बार फिर से गृहमंत्री और सीएम आमने सामने हो सकते हैं। देखना दिलचस्प होगा कि क्या गृहमंत्री अपने ही विधानसभा क्षेत्र में डीजीपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा पाते हैं, या इस बार भी अन्य मौकों की तरह वह सीएम से मात खा जाते हैं। विज अपनी दबंग छवि की वजह से काफी सख्त माने जाते हैं। डीजीपी मनोज यादव के मामले में न तो गृहमंत्री की छवि काम आ रही है, न ही उनके तर्क। अब देखना होगा कि इस बार क्या होता है? विपक्ष की नजर भी इस प्रकरण पर टिकी हुई है।

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