जनज्वार Exclusive : बिहार में इस बार भी वोट देने से लाखों ड्राइवर रह जायेंगे वंचित, न सरकार को फिक्र न चुनाव आयोग को

ड्राइवरों की रोजी-रोटी और रोजगार की खस्ता हालत, कम तनख्वाह जैसी कई समस्याएं हैं, पर सबसे बड़ी तकलीफ है लोकतंत्र में वोट देने जैसे अधिकार से वंचित रह जाने की, क्योंकि चुनाव के दौरान बजाय मतदान के ये अपनी ड्यूटी पर रहते हैं तैनात...

Update: 2020-10-31 17:04 GMT

चुनावों के दौरान अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद इन ड्राइवरों-कंडक्टरों का बस एक ही सवाल, कहां है हमारा मताधिकार

जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में दूसरे चरण का मतदान 3 नवम्बर को होना है। इस मतदान को लेकर मतदानकर्मियों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। ट्रेनिंग के बाद मतदानकर्मियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग भी कर लिया है। उनके लिए ट्रेनिंग स्थल और अन्य स्थानों पर मतदान की व्यवस्था की गई थी।

इन सबके बीच लाखों ड्राइवर—कंडेक्टर मतदान से वंचित रह जायेंगे। ये वो ड्राइवर हैं जो हैं तो चुनावी ड्यूटी में ही, मगर मतदान नहीं कर पायेंगे। उन्हें मतदानकर्मियों का दर्जा भले ही हासिल न हो, मगर इस बार भी वे अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पायेंगे। ये लोग इस दौरान मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों को मतदान स्थल पर पहुंचाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। आश्चर्यजनक तो यह है कि यह अपने मताधिकार का प्रयोग कभी भी नहीं कर पाते, मगर इसकी चिंता न तो कभी सरकार ने की और न ही चुनाव आयोग ही इनके लिए फिक्रमंद नजर आया।

मताधिकार से वंचित ये लोग मतदान के लिए विभिन्न जिलों के स्थानीय प्रशासनों द्वारा अधिकृत किए गए वाहनों के ड्राइवर, खलासी समेत अन्य स्टाफ हैं। जनज्वार की टीम बिहार चुनावी कवरेज के दौरान जब पटना के गांधी मैदान पहुंची तो मीडिया को देखते ही यहां चुनाव के लिए रखे गए सैकड़ों निजी वाहनों के स्टाफ अपनी समस्या लेकर पहुंच गए।

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हालांकि इनकी रोजी-रोटी और रोजगार की खस्ता हालत, कम तनख्वाह जैसी कई समस्याएं हैं, पर इन्होंने जो एक मुख्य समस्या बताई, वह समस्या लोकतंत्र में सबकी सहभागिता, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासनों के नीति निर्धारण पर सीधे-सीधे सवाल खड़ा कर रही है।

एक स्कूल का वाहन चलाने वाले संजय प्रसाद कहते हैं, सिर्फ पटना के गांधी मैदान में ही हजारों वाहन रखे गए हैं, जो मतदानकर्मियों और सुरक्षा बलों को मतदान केंद्रों तक लेकर जाएंगे। ये सारे निजी व्यावसायिक वाहन हैं, जो इस कार्य के लिए जिला प्रशासन द्वारा अधिगृहित किए गए हैं। हर वाहन पर 2 से 3 स्टाफ तैनात हैं। ऐसे में इनकी संख्या हजारों की हो जाती है। यानी पूरे बिहार में लाखों ऐसा स्टाफ होता है, जो मतदान नहीं कर पाता।

गोपाल साह भी पेशे से ड्राइवर हैं और पटना के एक प्रसिद्ध और बड़े स्कूल की गाड़ी चलाते हैं। इनकी शिकायत है कि इन्हें मतदान करने का मौका नहीं मिल पाता, क्योंकि ये मतदान के दिन जिला प्रशासन द्वारा एलॉट किए गए मतदान केंद्रों पर अपनी ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। हैरानी की बात यह है कि चुनाव आयोग द्वारा इनलोगो को मतदान कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जाती। हालांकि चुनाव ड्यूटी में लगे मतदानकर्मियों और सुरक्षा कर्मियों के लिए ड्यूटी में जाने से पहले मतदान की व्यवस्था की जाती है।

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वाहनों में काम करने वाले स्टाफ की तकलीफ है कि हर बार चुनाव में यही स्थिति रहती है और वे मताधिकार के प्रयोग से वंचित रह जाते हैं। इनका यह भी कहना है कि सिर्फ पटना के गांधी मैदान में ही 5 हजार के लगभग वाहन हैं और हर वाहन पर ऐसे 2 से 3 स्टाफ हैं। ये लोग यह भी बताते हैं कि यह स्थिति हर जिले में है। यानी पूरे बिहार में लाखों की संख्या में ऐसे ड्राइवर, कंडक्टर और अन्य स्टाफ हैं, जो कभी भी अपने वोट के अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते। 

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