Jharkhand : सोरेन सरकार की पुलिस ने दलित के बच्चे को बना दिया खनन माफिया, 22 साल बाद जारी किया कुर्की वारंट

Jharkhand : सुरेश भूईयां की जन्म तिथि एक जनवरी 1999 है। उसके खिलाफ लातेहार पुलिस ने 2000 में गैर कानूनी तरीके से खनन कार्य में लिप्त होने का मामला दर्ज किया था। इस मामले में अब कुर्की वारंट जारी हुआ है।

Update: 2022-08-12 02:25 GMT

Jharkhand : सोरेन सरकार की पुलिस ने दलित के बच्चे को बना दिया खान माफिया, 22 साल बाद जारी किया कुर्की वारंट

Jharkhand : देश की आजादी के 75 साल बाद भी झारखंड ( Jharkhand ) के लातेहार ( Latehar ) जिले से दलित उत्पीड़न ( Dalit Oppression ) का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सोरेन सरकार ( Soren government Police ) की पुलिस ने एक ऐसे में दलित और भूमिहीन मजदूर के लिए कुर्की वारंट ( attachment warrant )  जारी किया है जो पूरी तरह से फर्जी ( fake case )  है। सच का खुलासा होने के बाद से लातेहार पुलिस ( Latehar Police ) के होश उड़े हैं। मामला सामने आने के बाद से पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की हो रही है मांग।

दलित भूमिहीन मजदूर के खिलाफ फर्जी वारंट

दरअसल, झारखंड के लातेहार जिला के बरवाडीह के चपरी गांव के 23 वर्षीय दलित युवक सुरेश भुईयां के खिलाफ साल 2000 के खनन मामले से संबंधित कुर्की जब्ती का वारंट जारी किया गया है। सुरेश भुईयां साल 2000 में केवल एक साल का बच्चा है, जो ठीक से चल फिर भी नहीं सकता लेकिन झारखंड पुलिस का करिश्मा देखिए कि उसने सुरेश भुईयां एक साल की उम्र में खनन माफिया बना दिया। अब जाकर उक्त खनन मामले में सुरेश भुईयां के खिलाफ कुर्की वारंट जारी किया है। जबकि सुरेश भुईयां वर्तमान में केरल में दलित और भूमिहीन मजदूर के रूप में काम करता है।

सुरेश भूईयां की जन्म तिथि एक जनवरी 1999 है। यानि यानि लातेहार पुलिस की ओर से जारी वारंट वारंट के मुताबिक वह एक साल की उम्र में ही खनन माफिया बन गया था और उसके खिलाफ गैर कानूनी कार्य में लिप्त होने का मामला दर्ज होने की वजह से 22 साल बाद कुर्की वारंट जारी हुआ है।

सुरेश भुईयां के पिता के पास सिर्फ 30 डिसिबल जमीन

सुरेश के पिता नंदू भुईयां इस हास्यास्पद वारंट को खारिज कहते हुए कहते हैं कि उनके खानदान में किसी का खनन गतिविधि से कोई लेना देना नहीं है। उनका बेटा केरल में मजदूरी करता है। उनके पास मात्र 30 डिसमिल जमीन है। नंदू भुइयां सपरिवार ईट भट्टा में काम करते हैं।

पुलिस के खिलाफ हो मानहानि का केस दर्ज

यह मामला फेसबुक पर पोस्ट होने के बाद से चर्चा में है। नरेगा वॉच बिहार नाम के सोशल मीडिया यूजर ने लिखा है कि डेट ऑफ बर्थ और एफआईआर डेटा से ही यह केस फर्जी साबित हो गया है। इस मामले में पुलिस पर मान हानि का केस दर्ज होना चाहिए।

1 साल का बच्चा खनन माफिया कैसे हो सकता है

वहीं एफबी यूजर मनोज कुमार लिखते हैं कि दलितों को हमेशा अपमानित किया जाता है। इस मामले में थाना पुलिस के खिलाफ दलित उत्पीड़न ( Dalit oppression ) का मामला दर्ज करने की जरूरत है। जिसने भी केस दर्ज किया उस पार मानहानि केस ठोक कर क्षतिपूर्ति की मांग की जाए। जबकि असीम अंसारी ने लिखा है, यह तो गजब का कानून है। एक साल का बच्चा खनन माफिया कैसे हो सकता है।

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