Khargone Violence : दोनों हाथ नहीं फिर भी शिवराज सरकार ने 'पत्थरबाज' बता दुकान पर चलाया बुलडोजर, वायरल हो रही तस्वीर

Khargone Violence : वसीम शेख के दोनो हाथ कटे हुए हैं, बावजूद इसके खरगोन प्रशासन ने पत्थरबाज करार देकर उसकी दुकान पर बुलडोजर चला दिया.....

Update: 2022-04-18 11:27 GMT

Khargone Violence : दोनों हाथ नहीं फिर भी शिवराज सरकार ने 'पत्थरबाज' बता दुकान पर चलाया बुलडोजर, वायरल हो रही तस्वीर

भोपाल से सौमित्र रॉय की रिपोर्ट

Khargone Violence : खरगोन के वसीम शेख (Waseem Sheikh) की गुमटी प्रशासन ने इसलिए तोड़ दी, क्योंकि उन पर अरोप था कि उन्होंने 10 अप्रैल को रामनवमी (Ramnavami Shobha Yatra) के जुलूस पर पथराव किया था। दुखद सच्चाई यह है कि वसीम के हाथ 2005 को एक हादसे में कट गए थे। अब खरगोन पुलिस, प्रशासन और मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) को खुद यह साबित करना है कि वसीम ने पत्थर कैसे उठाकर फेंका होगा। सरकार ने खरगोन दंगों (Khargone Riots) के बाद बुलडोजर से ढहाए गए हसीना फखरू के घर को दोबारा बनवाकर देने का वादा किया है। स्थानीय पुलिस ने दो ऐसे मुस्लिमों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है, जिनमें से एक दंगों के दिन कर्नाटक में और दूसरा अस्पताल में इलाज करवा रहा था। यहां तक कि पुलिस ने जेल में बंद लोगों पर भी एफआईआर दर्ज कर ली।

जाहिर है कि दंगों के असली आरोपियों की पहचान किए बिना 24 घंटे के भीतर केवल संदेह के आधार पर एक समुदाय विशेष के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाकर खरगोन (Bulldozer Action In Khargone) की पुलिस ने गैरकानूनी काम किया है। यह काम राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के इस बयान के दूसरे ही दिन किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पत्थर फेंकने वाले लोगों के घर पत्थरों में तब्दील कर दिए जाएंगे। नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश सरकार के इस कारनामे को लोगों के भीतर प्रशासन और सरकार का 'डर' बिठाना मानते हैं। एक इंटरव्यू में वे यूपी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वहां इस बार रामनवमी पर कोई सांप्रदायिक घटना नहीं हुई। उन्होंने साफ कहा कि आगे भी दंगाइयों के घरों पर बुलडोजर चलता रहेगा।

राज्य के गृह मंत्री की बात से साफ है कि बुलडोजर से घर तोड़ने की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। डॉ. मिश्रा जिस अवैधानिक कार्रवाई को सरकार पर 'विश्वास' कायम करना बताते हैं, वह भरोसा बहुसंख्यक वर्ग से कमाया जाएगा। खरगोन में 33 फीसदी मुस्लिम हैं और जिले की 6 सीटों में से 4 कांग्रेस के पास, एक निर्दलीय और एक बीजेपी के पास हैं। आदिवासी बहुतल इस जिले में भगवा परचम लहराने का बीजेपी का मंसूबा ऐसे ही विश्वास से पूरा हो सकता है, जो सरकार प्रायोजित सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से मुकम्मल किया जाए।

खरगोन दंगों में पुलिस की विवादास्पद भूमिका की कलई हर रोज जिस तरह से खुल रही है, उसने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रामनवमी के जुलूस वाले दिन ही खरगोन में इब्रिस खान की हत्या हुई। पुलिस को उसी दिन रात एक बजे शव भी मिल गया। ख्श्मदीदों ने पुलिस को यह भी बता दिया कि इब्रिस की हत्या 7-8 लोगों ने की है। लेकिन पुलिस ने पूरे 7 दिन इब्रिस के परिजनों को खबर तक नहीं की। उधर, परिजन इब्रिस को ढूंढते रहे और उधर पुलिस लाश को दबाए बैठी रही।

आखिर में सातवें दिन इब्रिस के परिजनों को मामले की जानकारी दी गई और आठवें दिन शव उनके सुपुर्द किया गया। राज्य के गृह मंत्री का दावा है कि इब्रिस की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी, लेकिन मीडिया रिपोर्टस कुछ और ही हकीकत बयां करती है।

खरगोन में 55 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हैं। 148 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 142 मुस्लिम हैं। इस एकतरफा आंकड़े के बावजूद गृह मंत्री पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को किसी संप्रदाय विशेष के खिलाफ नहीं मानते। प्रशासन ने 30 घरों, 16 दुकानों को बुलडोजर से ढहा दिया है, जबकि 4 घरों को आंशिक रूप से ढहाया गया है। गृह मंत्री और प्रशासन इन्हें अवैध कब्जा बताते हैं, जबकि कुछ घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भी बने थे। गृह मंत्री का बयान आए और 24 घंटे के भी प्रशासन का बुलडोजर चल जाए तो क्या इसे अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई माना जा सकता है?

राज्य विधानसभा की 230 में से 66 सीटें देने वाले मालवा-निमाड़ में कांग्रेस को हराने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान अनीति के रास्ते पर भी चलना चाहते हैं, क्योंकि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होंगे और अंचल में कांग्रेस के पास 37 सीटें हैं। संविधान का अनुच्छेद 29(1) देश में किसी भी समुदाय को अपने रहवासी क्षेत्र में अपनी भाषा, संस्कृति को संरक्षित करने का विशेष अधिकार देता है। मध्यप्रदेश सरकार सियासी फायदे के लिए इस अधिकार का हनन कर रही है और वह भी बड़ी निर्ममता से।

सोशल मीडिया पर तस्वीर को लेकर प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीर को साझा करते हुए यूजर्स पूछ रहे हैं कि आखिर इनका क्या गुनाह था जो पत्थरबाजी के आरोप में उनकी दुकान पर बुलडोजर चलाया गया। पत्रकार उमेश के.रे ने अपने ट्वीट में लिखा- यह वसीम शेख हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने इनकी गुमटी तोड़ दी, क्योंकि आरोप के मुताबिक उन्होंने शोभायात्रा पर 'पत्थर' चलाया था। वसीम के दोनों हाथ 2005 मे ही एक हादसे में कट गये थे।

फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा- वसीम शेख भी पत्थर फेंकने वालों में शामिल था ना शिवराज जी?

पत्रकार जाकिर अली त्यागी ने अपने ट्वीट में लिखा- 2005 में वसीम शेख के दोनों हाथ बिजली के करंट से लगी चोट के कारण कट गये ते लेकिन खरगोन प्रशासन ने पत्थरबाज करार देते हुए शेख की दुकान पर 11 अप्रैल को बुलडोजर चला दिया। शेख अपने दो बच्चों समेत पांच सदस्यों की रोजी रोटी का इंतजाम उसी दुकान से करते थे पर खरगोन कलेक्टर उसे खा गया।

काश नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा- खरगोन हिंसा के अगले दिन मुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री और कई सत्ताधारी नेताओं ने यही लिखा था कि उपद्रवियों और दंगाइयों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। तो सरकार और उनके नेताओं को बताना चाहिए कि आखिर वसीम शेख की दुकान क्यों तोड़ी गई। क्या वो पत्थरबाज और दंगाई थे?

पत्रकार मीना कोटवाल ने भी पूछा- वसीम शेख पत्थर कैसे फेंक सकते हैं?


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