UP : प्रमुख महिला संगठनों ने महिला हिंसा और लव जिहाद कानून का किया बाॅयकाॅट, कहा खाप पंचायतों की भूमिका में योगी सरकार

महिलाओं ने कहा आज यूपी जंगलराज का पर्याय बन गया है। प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा की वीभत्स घटनाओं ने स्तब्ध कर दिया है। हिंसा की वीभत्स घटनाओं की वृद्धि सरकारों की विफलता है। भयमुक्त समाज या बेटी बचाओ अथवा मिशन शक्ति का नारा भी खोखला साबित हो रहा है...

Update: 2020-12-09 15:08 GMT

लखनऊ, जनज्वार। किसान आंदोलन के बीच यूपी की राजधानी लखनऊ में महिला संगठन एपवाए एडवा, सहित भारतीय महिला फेडरेशन के द्वारा सूबे में आये दिन बढ़ रही महिला हिंसा तथा लव जिहाद कानून पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। कॉन्फ्रेंस में मौजूद कई संगठनों ने किसान आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हुए सरकार से तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग भी रखी है।

महिला संगठन एडवा, एपवा व भारतीय महिला फेडरेशन सहित सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन द्वारा संयुक्त रूप से 25 नवंबर से महिला हिंसा के खिलाफ 15 दिवसीय महिला अभियान चलाये जाने की बात कही गई। अभियान के पहले दिन ही हजरतगंज पुलिस ने पर्चा बांटते समय 6 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया था, जो योगी सरकार की तानाशाही को जाहिर करती है।

महिला संगठनों का यह अभियान लखनऊ के विभिन्न हिस्सों हजरतगंज, चिनहट, बख्शी का तालाब, सरोजनी नगर, गोमती नगर, बस्तौली, मुंशी पुलिया, उदय गंज, आलमबाग, सर्वोदय नगर, इंदिरा नगर, खदरा सहित विभिन्न 25 इलाकों में चलाया गया साथ ही जनता से संवाद भी किया गया। कुछ पीजी विद्यालयों में छात्र.छात्राओं से बातचीत की गई। इस अभियान के दौरान संगठनों ने किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कई इलाकों में प्रदर्शन किए और बीती 6 दिसंबर से बाबा साहब अम्बेडकर के परानिर्वाण दिवस पर लखनऊ के 3 इलाकों में सभाएं भी की गई।

सूबे की प्रमुख महिला संगठनों का मानना है कि आज यूपी जंगलराज का पर्याय बन गया है। प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा की वीभत्स घटनाओं ने हम सबको स्तब्ध कर दिया है। हमारी स्पष्ट समझ है कि हिंसा की वीभत्स घटनाओं की वृद्धि सरकारों की विफलता है। भयमुक्त समाज या बेटी बचाओ अथवा मिशन शक्ति का नारा भी खोखला साबित हो रहा है। यहां किसी पीड़िता की जाति और धर्म से उसके लिए इंसाफ तय किया जाता है।


प्रदेश में कानून व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त है। जिसे दुरुस्त करने के स्थान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री संविधान के मूलभूत सिद्वान्तों की अवहेलना करते हुए एक कानून बना रहे हैं, जिसका निशाना एक विशेष समुदाय है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नया अध्यादेश उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 दरअसल एक क्रूर संविधान विरोधी अध्यादेश है। यह संविधान की धारा 21 व 25 पर भी हमला है, जो निजी स्वतंत्रता तथा जीवन के अधिकार की गारंटी करती है।

संविधान की धारा 25 विश्वास की स्वतंत्रता और किसी धर्म को अंगीकार करने, उसका व्यवहार करने तथा उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता देती है। हम इस अध्यादेश का पुरजोर विरोध करते हैं जो दरअसल पितृसत्तात्मक मूल्यों और लैंगिक भेदभाव को भी बढ़ावा देता है। संगठनों ने प्रेस वार्ता के माध्यम से कहा कि सूबे की सरकार को एक सरकार की भूमिका में रहना चाहिए, न कि खाप पंचायतों की भूमिका में आ जाना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में पिछले 15 दिनों के अंदर पुलिस ने लव जिहाद अध्यादेश के तहत 5 केस दर्ज किए हैंए जिसमें पसंद के संवैधानिक अधिकार पर हमला किया गया है। बरेली के एक केस में लड़की की शादी होने के बाद उसके अदालत में दिए गए बयान के बाद भी पुलिस ने जबरन लड़की के घर जाकर मुकदमा दर्ज करवाया। पुलिस अब सरकार में बैठे अपने आकाओं को खुश करने के लिए सहमति से किए गए अंतर्धार्मिक विवाहों को भी खंगाल रही हैए और मुकदमे कर रही है।

सबसे प्रमुख बात है कि जब देश का कानून दो वयस्क व्यक्तियों को सहमति से साथ रहने और विवाह करने की अनुमति देता है तो माता.पिता की शिकायत पर विवाहित जोड़े को अपराधी बना देना, दरअसल दो वयस्क व्यक्तियों के अधिकारों का हनन करना है। संगठनों ने प्रेस वार्ता के माध्यम से उत्तर प्रदेश सरकार और उसकी पुलिस की दोहरी भूमिका की सख्त निंदा की है।

उनका कहना है कि बरेली के ही एक मुस्लिम समुदाय के पिता की शिकायत पर पुलिस ने हिंदू युवक के खिलाफ नए अध्यादेश के तहत मुकदमा दर्ज नहीं किया, जबकि मुरादाबाद में हिंदू लड़की के बयान देने के बाद भी उसके पति को जेल भेजा गया। हम कहना चाहते हैं कि सहमति का प्रश्न दो व्यक्तियों की निजी स्वतंत्रता का मुद्दा है न कि यह राज्य का मुद्दा है।

सरकार प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ठोस कदम उठाए न कि लोगों के परिवारों के निजी मामलों में दखल देने का काम करे। हम लखनऊ के पारा क्षेत्र में आपसी सहमति से किए जा रहे अर्न्तधार्मिक विवाह की हिंदू संगठनों की शिकायत पर पुलिस द्वारा रोक दिये जाने की कड़ी निंदा करते हैं। इस विवाह में धर्म परिवर्तन भी नहीं था किंतु हिंदू वाहिनी के लोगों ने पुलिस की मदद से विवाह को रोककर एक असंवैधानिक काम किया है।

महिलाओं के मुद्दों पर काम करने वाले संगठनों ने इस प्रेस वार्ता के माध्यम से सरकार से मांग रखी है कि इस संविधान विरोधी अध्यादेश को वापस लें, क्योंकि धोखाधड़ीए जबरन धर्म परिवर्तन के लिए पहले से ही कानून मौजूद हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का भी इस संबंध में फैसला है कि राज्य को दो वयस्क व्यक्तियों के निजी मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है।

अंतर्धार्मिक विवाह दो वयस्क व्यक्तियों के बीच होता है न कि हिंदू और मुसलमान के बीच का मामला होता है। हम माननीय सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के फैसले पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग करते हैं अन्यथा इसका दुरुपयोग होगा तथा निर्दोष व्यक्तियों को शिकार बनाया जाएगा। साथ ही महिला संगठन आम महिलाओं के बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए संकल्पबद्ध है।

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