पुलिस हिरासत में दलित महिला की मौत पर तेलंगाना के मुख्य सचिव और DGP को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का नोटिस
पुलिस प्रताड़ना के कारण दलित महिला की कस्टडी में मौत मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग सख्त, तेलंगाना के सीएस, डीजीपी, भोंगिर जिले के डीसी, एसपी से मांगी मामले पर विस्तृत रिपोर्ट, चोरी के आरोप में महिला को लिया गया था हिरासत में...
हैदराबाद। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजा है। पूरा मामला पुलिस हिरासत में तथाकथित यातना के बाद दलित महिला की मौत का है। मामले को लेकर आयोग ने तेलंगाना के भोंगिर जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से भी एक सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही सख्त रुख अपनाते हुए तय समय पर जवाब नहीं देने पर उचित कार्रवाई की भी बात कही है।
द न्यूज मिनट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, तेलंगाना में यदाद्री में 18 जून को एक 40 साल की दलित महिला मरियम्मा की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मरियम्मा के परिवार वालों ने आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में उसे काफी प्रताड़ित किया गया। चार दिनों तक उसे बुरी तरह से मारा गया, जिसके बाद वहीं पर उसकी मौत हो गई।
महिला की बेटी का आरोप है कि उसके सामने उसकी मां को बुरी तरह से मारा गया। वो पुलिस से महिला को नहीं मारने की गुहार लगाती रही। कथित पुलिस प्रताड़ना के कारण अड्डागुडुर थाने के लॉकअप में महिला की मौत हो गई।
मिली जानकारी के मुताबिक, मरियम्मा यदाद्री-भुवनगिरी जिले के गोविंदपुरम गांव में बालासुरी नाम के पुजारी के घर खाना बनाने का काम करती थी। घर के मालिक ने मरियम्मा और उसके बेटे उदय किरण पर दो लाख रुपये की चोरी का आरोप लगाया था। यादाद्री के पुलिस अधिकारी ने इस घटना पर कहा था कि महिला को चोरी के सिलसिले में उसके बेटे के साथ अड्डागुडुर पुलिस थाने लाया गया था।
गौरतलब है कि मरियम्मा मल्ला जाति से आती है, जो अनुसूचित जाति की श्रेणी में आता है। और वो खम्मम जिले की चिंताकानी की रहने वाली थी।
आयोग ने एक हफ्ते में मांगा जवाब
इस पूरे मामले को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने 23 जून को अपने संज्ञान में लेते हुए राचकोंडा के आयुक्त महेश भागवत से घटना की विस्तृत जांच की मांग की है। आयोग ने तेलंगाना के मुख्य सचिव, डीजीपी, जिले के डीसी और एसपी को नोटिस भेजा है और मामले पर एक सप्ताह में जवाब देने को कहा है। आयोग ने सख्त रवैया अपनाते हुए कहा है कि तय समय के अंदर अगर रिपोर्ट नहीं मिलती है तो आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत उसे प्रदत्त दीवानी अदालतों की शक्तियों का प्रयोग करेगा।
आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला से कहा कि अध्यक्ष के रूप में मैं अनुसूचित जातियों के अधिकारों को सुरक्षित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध हूं कि उन्हें हर तरह से न्याय मिले।