बिहार पुलिस में बनेगा 'ट्रांसजेंडर बटालियन', पटना हाईकोर्ट ने पूछा था कि इनके लिए क्या है व्यवस्था

सिपाही भर्ती परीक्षा में ट्रासंजेंडरों के लिए आवेदन में जगह नहीं देने को लेकर पिछले दिनों वीरा यादव ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी...

Update: 2020-12-27 05:43 GMT

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार पुलिस की भर्ती में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत सीट आरक्षित हैं। अब बिहार सरकार एक और फैसला लेने जा रही है। बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन जायेगा जहां ट्रांसजेंडरों के लिए पुलिस बटालियन होगा। हालांकि यह सब पटना हाईकोर्ट के दखल के बाद संभव हो रहा है।

बिहार पुलिस की बहाली में ट्रांसजेंडर्स के लिए विशेष सुविधा देने संबन्धी एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले दिनों पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल पूछे थे।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पुलिस मुख्यालय से इस संबंध नें प्रस्ताव तैयार किया है।

बताया जा रहा है कि नीतीश सरकार के इस फैसले बिहार में 18 साल की उम्र पार कर चुके लगभग 40 हजार ट्रांसजेंडरों को लाभ मिलेगा। उल्लेखनीय है कि सिपाही भर्ती परीक्षा में ट्रासंजेंडरों के लिए आवेदन में जगह नहीं देने को लेकर पिछले दिनों वीरा यादव ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था कि ट्रांसजेंडरों के लिए क्या व्यवस्था की गई है। अब हाईकोर्ट की इस दखल के बाद सरकार ने तय किया है कि ट्रांसजेंडरों के लिए एक अलग बटालियन की नियुक्ति की जाएगी।

अगर राज्य सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है बिहार देश में पहला राज्य बन जाएगा, जहां पुलिस में ट्रांसजेंडरो की अलग बटालियन होगी। मीडिया रिपोर्ट्स में मुख्य गृह सचिव आमिर सुबहानी के हवाले से बताया गया है कि राज्य सरकार बिहार पुलिस में ट्रांसजेंडरों को समर्पित एक बटालियन बनाने पर विचार कर रही है।

बिहार पुलिस के एक उच्चाधिकारी ने कहा कि बटालियन बनाने की चर्चा सरकारी स्तर पर चल रही है। एक बार सरकार से मंजूरी मिल जाए तो हम चयन के लिए मापदंड और भर्ती प्रक्रिया शुरू कर देंगे।

बताया जा रहा है कि पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने इस मामले में उच्च स्तरीय बैठक शुरू कर दी है। अधिकारियों की सहमति के बाद फाइल को राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा।

इससे पहले राज्य सरकार ने इस साल 26 फरवरी को राज्य पुलिस में आदिवासी महिलाओं और लड़कियों के लिए 'स्वाभिमान वाहिनी' बनाने का निर्णय लिया था।

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