अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की हुई मौत, कब थमेगा जहरीली शराब से होने वाली मौतों का सिलसिला

जिन सरकारों की प्राथमिकता अधिक से अधिक शराब बेचकर लाभ कमाना हो वे सरकारें शराब के कारण होने वाली मौतों को गंभीरता से आखिर क्यों लेंगी ?

Update: 2021-05-28 11:55 GMT

 दिल्ली की तरह UP में भी सस्ती होगी शराब , कैसे संभलेगी कानून व्यवस्था?

जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ  उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हो गई है। 15 से अधिक लोगों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। इन लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। यह शराब देसी शराब के ठेके से ली गई थी। इन मौतों के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है।

डीआईजी ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि लोधा और खैर इलाके के अंडला, करसुआ, हैवतपुर गांव के 8 लोगों की मौत हुई है। वहीं एसडीएम कोल रंजीत सिंह ने बताया कि जवा थाना क्षेत्र के छेरत गांव के 3 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है।

इन 4 गांव के लोगों ने अण्डेला स्थित ठेके से गुरुवार शाम को शराब खरीदकर पी थी। 11 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है। वही करसुआ के प्रधान रितेश उपाध्याय ने 19 मौतों का दावा किया है।

सीएम ने एनएसए के तहत कार्यवाही का दिया आदेश-

मुख्यमंत्री योगी आदित्य ने दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में आबकारी और गृह विभाग से रिपोर्ट तलब की है। योगी आदित्यनाथ ने दोषियों पर एनएसए लगाने का निर्देश दिया है। आरोपियों की संपत्ति की नीलामी होगी तथा उस संपत्ति से मृतक के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा।

एसएसपी कलानिधि नैथानी के द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार जाँच हेतु पुलिस ने 6 टीम बनाई हैं। शराब ठेका संचालक, सेल्समैन, पर्यवेक्षक सहित चार लोगों को हिरासत में लिया गया है। एसएसपी के अनुसार गैंगस्टर अधिनियम व रासुका के तहत कार्यवाही की तैयारी की जा रही है।

अधिकारियों ने ठेका सील किया

ग्रामीणों के अनुसार अंडला स्थित देसी शराब के ठेके से शराब खरीद कर कुछ लोगों ने पी थी। यह ठेका थाने से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है। मामला सामने आने के बाद डीएम चंद्र भूषण सिंह, डीआईजी दीपक कुमार और एसएसपी कलानिधि नैथानी मौके पर पहुंचे। वहां उन्होंने गांव के लोगों से पूछताछ की। जिस ठेके से शराब खरीद कर पीने की बात सामने आ रही है उसे सील करा दिया गया है।

सरकारी ठेके की दुकान पर कैसे पहुँची जहरीली शराब

सरकारी ठेके की दुकान पर जहरीली शराब का पहुँचना बड़ा सवाल खड़ा करता है। ग्रामीणों ने जिस दुकान से शराब खरीदी थी वह सरकारी ठेके की दुकान थी। जहरीली शराब से मौत होने पर ही सरकार क्यों जागती है? सरकारी ठेकों के समानांतर चल रहे अवैध शराब के कारोबार के खिलाफ सरकार गंभीरता पूर्वक अभियान नहीं चलाती है। शराब का यह अवैध कारोबार स्थानीय पुलिस को क्यों नहीं दिखता है? अधिकारियों की मिलीभगत के बिना शराब का अवैध कारोबार संभव ही नहीं है। जहरीली शराब से मृत्यु होने के बाद ही सरकार कार्यवाही करती है। उसके बाद फिर शांति से बैठ कर दूसरी घटना का इंतज़ार किया जाता है।

कब थमेगा जहरीली शराब के कारण होने वाली मौतों का सिलसिला-

इसी वर्ष कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जहरीली शराब से 27 लोगों की जान गई थी। कुछ समय बाद ही राजस्थान के भरतपुर जिले के रूपवास में जहरीली शराब के कारण 7 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई। अब अलीगढ़ से 11 मौतों का मामला सामने आया है। जहरीली शराब से होने वाली मौतों को सरकारें गंभीरता से नहीं लेती हैं। जिन सरकारों की प्राथमिकता अधिक से अधिक शराब बेचकर लाभ कमाना हो वे सरकारें शराब के कारण होने वाली मौतों को गंभीरता से आखिर क्यों लेंगी ?

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