Nirbhaya Case: 16 दिसंबर 2012 की उस खौफनाक रात के बाद कितनी बदल सकी रेप की परिभाषा, कितना हुआ बदलाव...

16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी दिल्ली दहल उठी थी। निर्भया के साथ बस के भीतर हुए जघन्य कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उस रात की खौफनाक घटना के बाद...

Update: 2021-12-16 04:10 GMT

(निर्भया कांड के बाद पूरा देश सुलग उठा था)

Nirbhaya Case: 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी दिल्ली दहल उठी थी। निर्भया के साथ बस के भीतर हुए जघन्य कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उस रात की खौफनाक घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक आंदोलन ख़ड़ा हो गया था। कुछ समय बाद ही ये आंदोलन सड़कों पर दिखने लगा। जनता का गुस्सा देख सरकार भी हरकत में आई और तब देश में महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार जैसी घटनाओं को लेकर कानून बदला गया और साथ ही साथ ही समाज में भी बदलाव देखने को मिला।

कितना सख्त हुआ कानून?

निर्भया कांड के बाद पूरे देश में बलात्कारियों के खिलाफ कानून को सख्त बनाने की मांग ने जोर पकड़ा था। इस जघन्य कांड के तीन माह के भीतर बलात्कार और महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई। और उनमें फेरबदल कर उन्हें सख्त बनाया गया। बावजूद इसके निर्भया कांड के बाद उपजे आंदोलन से कानून बदला तो कई जगहों पर महिलाओं और पीड़िताओं को इसका फायदा नहीं भी मिलता है।

नाबालिग गुनहगारों पर शिकंजा

निर्भया कांड में शामिल एक दोषी वारदात के वक्त नाबालिग था। लिहाजा वह सजा-ए-मौत से बच गया। पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले इस जघन्य रेपकांड के बाद 16 से 18 साल की उम्र वाले अपराधियों को भी वयस्क अपराधियों की तरह देखने और सजा देने का फैसला लिया गया था। निर्भया कांड में शामिल नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं हो सकती थी।

इसके बाद यह बहस छिड़ गई कि ऐसी खौफनाक वारदात में शामिल बलात्कारी को केवल तीन साल में कैसे छोड़ा जा सकता है। तब केंद्र सरकार ने ऐसे अपराधों में शामिल नाबालिगों को वयस्क के तौर पर देखे जाने और सजा देने का अहम बिल सदन में पेश किया था। उस बिल को संसद में पास कर दिया गया था।

निर्भया फंड की हुई स्थापना

निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की थी। निर्भया निधि में सरकार ने 1000 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया। यह फंड दुष्कर्म की पीड़ितों और उत्तरजीवियों के राहत और पुनर्वास की योजना के लिए बनाया गया था। इसमें प्रावधान है कि प्रत्येक राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के समन्वय से दुष्कर्म सहित अपराध की पीड़िताओं को मुआवजे के उद्देश्य से फंड उपलब्ध कराएगा। अब तक 20 राज्यों और सात संघ शासित प्रदेशों ने पीड़ित मुआवजा योजना लागू कर दी है।

महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार बलात्कार पीड़ितों और कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही महिलाओं के पुनर्वास के लिए स्वाधार और अल्पावास गृह योजना भी शुरू की गई थी। इस फंड से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई प्रकार के इंतजाम किए जाने का प्रावधान है। मसलन पुलिस को सीसीटीवी या पेट्रोलिंग वाहन जैसे संसाधन उपलब्ध कराना आदि।

निर्भया के परिजनों से मिली दूसरों को हिम्मत

अक्सर बलात्कार या यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ित और उसके परिवार वालों की पहचान छिपाई जाती है। लेकिन निर्भया कांड शायद देश का ऐसा पहला मामला था जिसमें पीड़ित के परिवार ने खुद सामने आकर लोगों से आह्वान किया था कि रेप पीड़ित या यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली महिलाएं अपनी पहचान छिपाने की बजाय सामने आकर गुनाहगारों का पर्दाफाश करें। इसके बाद कोर्ट में भी माहौल बदल गया। रेप पीड़िताओं को लेकर संवेदनशीलता बढ़ गई। निर्भया के परिजनों ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ितों के लिए आवाज उठाई जानी चाहिए। ये पीड़ित नहीं दोषियों के लिए शर्म की बात है।

कब हुई थी दोषियों को फांसी?

निर्भया के सभी दोषियों को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था। जिनमें से एक दोषी की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 20 मार्च 2020 को सुबह साढ़े पांच बजे निर्भया के दोषियों को फांसी दे दी गई थी। आपको बता दें कि, इस कांड की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हुई थी।

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