1993 ट्रेन विस्फोट मामला : SC ने टाडा कोर्ट से पूछा- हमीर उई उद्दीन के खिलाफ क्यों तय नहीं किए आरोप

आरोपी हमीर उऊ उद्दीन के वकील शोएब आलम ने कहा कि उद्दीन को 18 मार्च 2010 को गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसके खिलाफ न तो आरोप तय किए गए थे और न ही मुकदमा शुरू किया गया....

Update: 2021-09-01 07:30 GMT

जनज्वार। साल 1993 में राजधानी एक्सप्रेस व अन्य ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टाडा कोर्ट से पूछा है कि आरोपी हमीर उई उद्दीन (Hamir Uyi Uddin) के खिलाफ अबतक आरोप क्यों तय नहीं किए गए हैं। कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर राजस्थान के अजमेर के नामित न्यायालय के विशेष जज को रिपोर्ट देने के लिए निर्देश जारी किए हैं।

जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि अजमेर के नामित न्यायालय के विशेष जज को इस आदेश की प्रमामित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर 1994 के टाडा विशेष मामला संक्या 6 की स्थिति परएक रिपोर्ट इस न्यायालय को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है। रिपोर्ट यह स्पष्ट करेगी कि आरोप क्यों नहीं तय किए गए।

सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को तेजी से जमा करने की सुविधा के लिए रजिस्ट्रार (न्यायिक) से आदेश की एक प्रति अजमेर के नामित न्यायालय के विशेष जज को भेजने का अनुरोध किया। बता दें कि अजमेर के नामित न्यायालय के विशेष जज की ओर से आरोपी हमीर उई उद्दीन की जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। जिसके बाद हमीर की ओर से 27 मार्च 2019 को विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए हैं।

आरोपी हमीर उऊ उद्दीन के वकील शोएब आलम ने कहा कि उद्दीन को 18 मार्च 2010 को गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसके खिलाफ न तो आरोप तय किए गए थे और न ही मुकदमा शुरू किया गया।

राजस्थान सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा था कि प्रारंभिक जांच के बाद मामला 4 जनवरी 1994 को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था जिसके बाद सीबीआई ने आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1987 की धारा 5 और 6, विस्फोटक अधिनियम 1984 की धारा 4ए, 4 बी और भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की थी।

राजस्थान सरकार ने यह भी कहा था कि 25 अगस्त 1994 को सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत की थी और वह 15 साल तक फरार रहा।

क्या था मामला

5-6 दिसंबर 1993 को राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। कोटा, वलसाड, कानपुर, इलाहाबाद और मलका गिरी में पांच मामले दर्ज किए गए थे, बाद में उन्हें सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया और टाडा के तहत फिर से मामला दर्ज किया गया।

जांच में पाया गया था कि ये धमाके एक ही साजिश के परिणाम थे और सभी मामलों को एक साथ मिला दिया गया। हमीर उई उद्दीन 15 साल तक फरार रहा। चार्जशीट में आरोप लगाया गया था कि वह उन आरोपियों में से एक था जो दिसंबर 1993 में बम उपकरण और विस्फोटक पदार्थ कानपुर ले गया था।

हमीर उई उद्दीन को 18 मार्च 2010 को गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ टाडा और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम और भारतीय रेलवे अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत 8000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया गया था।

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