Amar Jawan Jyoti : जानिए अमर जवान ज्योति का इतिहास, पिछले 50 सालों से इंडिया गेट पर लगातार जल रही है लौ

Amar Jawan Jyoti : अमर जवान ज्योति की स्थापना 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की स्मृति में की थी। पिछले 50 सालों से इंडिया गेट पर लगातार जल रही अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित अमर जवान ज्योति में विलय कर दिया गया है...

Update: 2022-01-21 12:51 GMT

 जानिए अमर जवान ज्योति का इतिहास

Amar Jawan Jyoti : पिछले 50 सालों से इंडिया गेट पर लगातार जल रही अमर जवान ज्योति का नेशनल वॉर मेमोरियल स्थित अमर जवान ज्योति में विलय कर दिया गया है। बता दें कि अमर जवान ज्योति की स्थापना 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 भारत-पाक युद्ध के शहीदों की स्मृति में की थी। अमर जवान ज्योति के स्थानांतरण को लेकर भाजपा सरकार के फैसले पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।

अमर जवान ज्योति की स्थापना

बता दें कि भारत-पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर 1971 को लड़ाई शुरू हुई। ये संघर्ष 13 दिनों तक चलता रहा। भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को कब्जे में लिया और बांग्लादेश के 7.5 करोड़ लोगों को आजादी दिलाई। भारत के 3,843 जवान इस युद्ध में शहीद हुए। उन शहीदों की याद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर ज्योति जलाने का फैसला किया था। जिसके बाद 26 जनवरी 1972 को इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया गया।

बता दें कि यहां काले रंग का एक स्मारक बना हुआ है, इस पर अमर जवान लिखा हुआ है। साथ ही इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल, एक सैन्य हेलमेट रखा और लगातार पांच दशक से लौ जल रही है।

अमर जवान ज्योति की खासियत

बता दें कि अमर जवान ज्योति की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसकी एक लौ हमेशा जलती रहती है। अमर जवान ज्योति में एक संगमरमर का चबूतरा है| यह चबूतरा 4.5 मीटर चौड़ा और 1.29 मीटर ऊंचा है। साथ ही इस चबूतरे पर एक स्मारक बना है। इस स्मारक के चारों तरफ सुनहरे शब्दों में 'अमर जवान' लिखा है। साथ ही इसके शीर्ष पर एक L1A1 सेल्फ-लोडिंग राइफल के बैरल पर एक अज्ञात शहीद सैनिक का हेलमेट लगा है।

खास बात यह है कि अमर जवान ज्योति के संगमरमर के चबूतरे के चारों कोनों पर चार कलश हैं, इनमें से एक की लौ हमेशा जलती रहती है। बता दें कि अपने उद्घाटन के बाद से ही अमर जवान ज्योति की ये लौ पिछले 50 सालों से लगातार जल रही है। साथ ही अमर जवान ज्योति की बाकी तीनों लौ को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर जलाया जाता है। यानी 26 जनवरी और 15 अगस्त को अमर जवान ज्योति की चारों लौ जलाई जाती हैं।

कैसे जलती है अमर जवान ज्योति की लौ

बता दें कि पहले अमर जवान ज्योति की लौ LPG से जलती थी लेकिन अब CNG का प्रयोग किया जाता है| इसके साथ ही अमर जवान ज्योति की लौ हमेशा जलती रहे इसके लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

बता दें कि अमर जवान ज्योति की हर लौ को जलाने के लिए एक अलग गैस का बर्नर लगाया गया है। गौरतलब है कि अमर जवान की ज्योति को जलाने के लिए 1972 से 2006 तक लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) का यूज होता था।

साल 2006 तक एक गैस का सिलिंडर करीब 36 घंटे चलता था। उस वक्त सिलिंडर को स्मारक की छत पर रखा जाता था। अमर जवान ज्योति की गैस को जलाने के लिए 2006 के बाद कंप्रेस्ड नैचुलर गैस (CNG) का उपयोग होने लगा। जिसके लिए 2005 में कस्तूरबा गांधी मार्ग से इंडिया गेट तक करीब आधा किलोमीटर लंबी अंडरग्राउंड गैस पाइपलाइन बिछाई गई है। बता दें कि अब इस गैस की सप्लाई इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL) करती है। मालूम हो कि CNG के LPG से सस्ता और सुरक्षित होने की वजह से ही अब इसका इस्तेमाल किया जाता है।

अमर जवान ज्योति की देखभाल

बता दें कि अमर जवान ज्योति पर 24 घंटे थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान तैनात रहते हैं। साथ ही तीनों सेनाओं के यहां झंडे भी लहराते रहते हैं। एक व्यक्ति ज्योति के मेहराब के नीचे बने एक कमरे में हमेशा रहता है, ये देखने के लिए कि अमर जवान ज्योति हमेशा जलती रहे|

26 जनवरी को दी जाती है श्रद्धांजलि

बता दें कि 1972 में अमर जवान ज्योति के उद्घाटन के बाद से ही हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और थल, जल और वायु सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। बता दें कि 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद 2020 से ही गणतंत्र दिवस के अवसर अमर जवान ज्योति की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि देने की प्रथा शुरू हो गई है।

नेशनल वॉर मेमोरियल

गौरतलब है कि 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल को स्वतंत्र भारत में देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों की याद में नई दिल्ली में ही इंडिया गेट के करीबी इलाके में स्थापित किया गया है। बता दें कि ये जनवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था।

बता दें कि नेशनल वॉर मेमोरियल में चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के अलावा 1961 में हुए गोवा युद्ध और श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पावन और भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में चलाए गए विभिन्न ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।

मालूम हो कि नेशनल वॉर मेमोरियल में चार चक्र हैं। इसमें अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और सुरक्षा चक्र शामिल है| इसमें उन 25,942 जवानों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए युद्ध और संघर्षों में अपनी जान दी।

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