छत्तीसगढ़ के सिलेगर में एक और आदिवासी महिला प्रदर्शनकारी की हुई मौत, कुल मृतकों की संख्या हुई चार

16 मई को जब आदिवासी कैम्प के खिलाफ अपना मांग पत्र सौंपने जा रहे थे तब पुलिस व सैन्य बलों के अचानक फायरिंग शुरू कर दी थी। जिसमें 3 आदिवासियों की मृत्यु हो गई थी। इसी गोलाबारी में मची भगदड़ में पूनेम खुद को संभाल नही सकी और नीचे गिर गई। भीड़ में रौंदे जाने से वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

Update: 2021-05-30 13:11 GMT

छत्तीसगढ़ के सिलेगर में एक और आदिवासी महिला प्रदर्शनकारी की हुई मौत, कुल मृतकों की संख्या हुई चार

जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा बॉर्डर पर स्थित सिलेगर गांव में एक और आदिवासी महिला की मौत का मामला सामने आया है। पुलिस की फायरिंग के दौरान घायल हुई गर्भवती महिला पूनेम सोमली की 23 मई को मौत हो गई है। पुलिस की फायरिंग के बाद मरने वाले प्रदर्शनरत आदिवासियों की संख्या 4 हो गयी है। गर्भवती महिला की मौत के बाद से ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया है। आदिवासियों का प्रदर्शन लगातार जारी है। 30 से अधिक गांव के 7 से 8 हजार आदिवासी प्रदर्शन कर कैंप बंद करने की मांग कर रहे हैं।

आपको बता दें कि सिलेगर गांव में सीआरपीएफ कैंप के खिलाफ ग्रामीण आदिवासी लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 16 मई को जब आदिवासी कैम्प के खिलाफ अपना मांग पत्र सौंपने जा रहे थे तब पुलिस व सैन्य बलों के अचानक फायरिंग शुरू कर दी थी। जिसमें 3 आदिवासियों की मृत्यु हो गई थी। इसी गोलाबारी में मची भगदड़ में पूनेम खुद को संभाल नही सकी और नीचे गिर गई। भीड़ में रौंदे जाने से वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। घायल होने के बाद पूनेम घर पर ही रह रही थी। 23 मई को उसकी मौत हो चुकी है। वह 3 महीने की गर्भवती थी।

4 मृत लोगों की याद में ग्रामीणों ने बनाया स्मारक-

सिलगर की सड़क किनारे जंगल के हिस्से में ग्रामीणों का प्रदर्शन लगातार जारी है। 30 से अधिक गांवों के हजारों लोग कैंप को हटाए जाने व आदिवासियों के हत्यारों को सजा दिये जाने की मांग कर रहे हैं। गर्भवती ग्रामीण महिला की मौत के बाद आंदोलन स्थल पर स्मारक बना दिया गया है। इस स्मारक में पत्थरों के 4 स्मारक बनाये  गये हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह पत्थर पुलिस की गोली से मारे गए तीन ग्रामीणों और भगदड़ में मारी गई गर्भवती महिला की याद में रखे गए हैं।

गुस्साये ग्रामीणों ने स्टेट हाईवे पर तररेम थाने के पास पेड़ बिछाकर रास्ता बंद कर दिया है। ग्रामीणों ने सड़क पर पास के जंगल से दर्जनों पेड़ काट कर डाल दिये हैं। यह मार्ग पिछले 3 दिनों से बंद है। ग्रामीणों का कहना कि जब तक फोर्स का कैंप नहीं हटेगा तब तक यह सड़क नहीं खुलेगी।

जांच के नाम पर हो रही है खानापूर्ति-

आपको बता दें कि घटनास्थल पर अब तक जांच टीम नहीं पहुँच सकी है। वहीं सरकार के प्रवक्ता मंत्री रविंद्र चौबे ने साफ कर दिया है कि सरकार कैम्प के मामले पर पीछे नही हटने वाली है। मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हम इस रास्ते पर आगे और कैंप बनाएंगे। वही प्रदर्शनकारी आदिवासी कह रहे हैं कि जब तक कैम्प नहीं हटेगा उनका प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा।

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