Anti CAA-NRC Protest : मोदी के विरोध का सफूर जरगर से JMIU ने ऐसे लिया बदला

Anti CAA-NRC Protest : सफूरा जरगर ( Safoora Zargar ) का दावा है कि उन्होंने आठ माह पूर्व ही शोध कार्य पूरा करने के मकसद से विभाग से अवधि विस्तार के लिए अनुरोध किया था लेकिन विश्वविद्यालय ( JMIU ) ने पहले से मन बना लिया था समय विस्तार देने की जरूरत नहीं है।

Update: 2022-08-31 08:19 GMT

Anti CAA-NRC Protest : जेएमआईयू के एक्शन से मेरा दिल टूटा है, हौसला नहीं - Safoora Zargar

Anti CAA-NRC Protest : करीब ढ़ाई साल पहले एंटी सीएए-एनआरसी के विरोध में देश की राजधानी के उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाके में हिंसक घटनाएं हुई थी। एंटी सीएए-एनआरसी प्रोटेस्ट के दौरान अहम भूमिका निभाने और जामिया मिलिया इस्लामिया ( JMIU ) की एम फिल शोध छात्रा सफूरा जरगर ( Safoora Zargar ) देश और दुनिया में लोकप्रिय हुई थीं। उन्हें दिल्ली हिंसा ( delhi riots 2020 ) मामले में संलिप्त होने के आरोप दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने गिरफ्तार किया था। साथ ही यूएपीए ( UAPA ) का चार्ज भी लगाया था। गर्भवती होने की वजह से दिल्ली की अदालत ने जुलाई 2020 में उन्हें जमानत दी थी। वहीं सफूरा जरगर ( Safoora Zargar ) एक बार सुर्खियों में हैं।

इस बार उनकी ( Safoora Zargar ) सुर्खियों में आने की वजह मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करना नहीं है, बल्कि जेएमआईयू द्वारा उनके शोध कार्य को असंतोषजनक करार देकर एम फिल में प्रवेश को रद्द करना है। जेएमआईयू के इस कार्रवाई के विरोध में एक बार फिर उनके समर्थन में 150 से ज्यादा फेमिनिस्ट वर्कर्स, कई संगठनों के लोग और एक्टिविस्ट समर्थन में उतर आये हैं। इन लोगों का कहना है कि सफूरा का प्रवेश रद्द कर इस बात का अहसास कराया जा रहा है कि सरकार के खिलाफ जाकर इंसाफ मांगने की कीमत यही होती है। खुद सफूरा जरगर का कहना है कि जेएमआईयू की कार्रवाई अनुचित है। शोध कार्यों के लिए कछुआ चाल के लिए चर्चित जेएमआई ने उनके मामले में तेजी से कार्रवाई की है। मैंने, गर्भवती होने, दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने और जेल में होने के साथ कोविड-19 का हवाला देते हुए शोध कार्य की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने तय एजेंडे पर काम करते हुए एम फिल का प्रवेश ही रद्द कर दिया।

एम फिल शोध कार्य रद्द होने की ये है वजह

जामिया मिलिया इस्लामिया ( JMIU ) के सामाजिक विज्ञान संकाय ने कहा है कि पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय में एमफिल थीसिस जमा न करने के चलते सफूरा जरगर का प्रवेश रद्द कर दिया। जेएमआईयू ने यह फैसला शोध कार्य में असंतोषजनक प्रगति के आधार पर लिया है। 26 अगस्त की तिथि वाली एक अधिसूचना में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन कार्यालय ने कहा कि जरगर ( Safoora Zargar ) ने पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय के भीतर अपना एमण्फिल शोध पत्र जमा नहीं किया। विभागीय अधिसूचना में कहा गया है कि एमफिल-पीएचडी समाजशास्त्र से सफूरा जरगर का पंजीकरण 22 अगस्त 2022 से रद्द कर दिया गया है।

डीन कार्यालय की ओर से जारी सूचना में इस बात का भी जिक्र है कि अनुसंधान सलाहकार समिति द्वारा 5 जुलाई को की गई सिफारिश के आधार पर ये कार्रवाई की गई है। इस मामले को विभाग के बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा 22 अगस्त को अनुमोदित किया गया था। विभाग अनुसंधान समिति और पर्यवेक्षक की रिपोर्ट पर बोर्ड ऑफ स्टडीज ने प्रो. कुलविंदर कौर के तहत पंजीकृत सफूरा जरगर एमफिल.पीएचडी स्कॉलर के प्रवेश को रद्द करने की मंजूरी दी है। विभाग ने बताया है कि निर्धारित अधिकतम अवधि की समाप्ति से पहले महिला शोधार्थी ( Safoora Zargar ) के रूप में विस्तार के लिए आवेदन नहीं किया। शोधार्थी सफूरा जरगर ने अपने एमफिल शोध पत्र को पांच सेमेस्टर के अधिकतम निर्धारित समय के साथ ही कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एक अतिरिक्त सेमेस्टर छठे सेमेस्टर में भी जमा नहीं किया, जो 6 फरवरी को समाप्त हो गया।

JMIU एक्शन के बाद सफूरा जरगर का बयान

समाजशास्त्र विभाग में एकीकृत एमफिल-पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला लेने वाली जरगर ( Safoora Zargar ) ने कहा कि प्रवेश रद्द होने से मेरा दिल टूटा है लेकिन मेरा हौसला नहीं। जरगर ने ट्वीट करके बताया कि उनका प्रवेश रद्द करने को कितनी जल्दबाजी में मंजूरी दी गई। आम तौर धीमी गति से चलने वाले जामिया प्रशासन ने मेरे प्रवेश को रद्द करने में तेज गति से कार्य किया, उसमें सभी नियत प्रक्रिया को छोड़ दिया गया।

सफूरा जरगर ( Safoora Zargar ) ने पिछले हफ्ते अपने ट्वीट में बताया था कि एमफिल थीसिस जमा करने के लिए समय बढ़ाने के उनके आवेदन पर आठ महीने से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जरगर ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था कि प्रशासन उनके आवेदन का जवाब नहीं दे रहा है। जरगर ने 24 अगस्त को जामिया कुलपति नजमा अख्तर को पत्र लिखा था कि प्रशासन द्वारा उन्हें प्रताड़िता किया जा रहा है। द हिंदू से बातचीत में जरगर ने कहा था कि वह पिछले आठ महीनों से विस्तार के लिए आवेदन कर रही थीं लेकिन ऐसा लगता है कि विश्वविद्यालय ने पहले से ही तय कर लिया था कि वे उन्हें विस्तार नहीं देंगे।

जरगर ने कहा कि जो कुछ हुआ है उसे प्रोसेस करना मेरे लिए मुश्किल है। मैंने अपने जीवन के तीन साल अपनी अकादमिक खोज को दिए हैं। उन्होंने मुझे विस्तार देने से इनकार कर दिया है। मैंने पिछले तीन वर्षों में बहुत कुछ झेला है, जिसमें जेल का समय, गर्भावस्था, सरकारी हमले और ऑनलाइन ट्रोलिंग सब शामिल हैं। मैं, अपने विश्वविद्यालय से इसकी उम्मीद नहीं की थी।

150 फेमिनिस्टों ने जामिया के वीसी को लिखी चिट्ठी

सफूरा जरगर ( Safoora Zargar ) का एम फिल शोध कार्यक्रम रद्द होने के बाद उनके समर्थन में 150 से अधिक नारीवादी कार्यकर्ताओं और व्यक्तियों ने उनमे समर्थन में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ( JMIU ) के कुलपति और संकाय समिति को पत्र लिखा है। पत्र में सफूरा जरगर के प्रवेश को रद्द करने और उन्हें एमफिल थीसिस जमा करने की अनुमति देने की गई है।

Anti CAA-NRC का लोकप्रिय चेहरा रही हैं सफूरा

सफूरा जरगर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ( JMIU ) की छात्र कार्यकर्ता और एम फिल की छात्रा हैं जो 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपियों में शामिल थीं। नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने के लिए उन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत दिल्ली पुलिस ने मामला भी दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने उन्हें उस समय गिरफ्तार किया था जब वह गर्भवती थीं। दंगों की चार्जशीट में स्पेशल सेल ने सफूरा के कई चैट्स के जरिए भी खुलासा किया था कि वह एनआरसी और सीएए के दौरान दंगों को भड़काने की साजिश में शामिल थीं। बाद में अदालत ने सफूरा को प्रेगनेंट होने की चलते जमानत दी थी।

IAMC : मोदी राज में इंसाफ मांगने की कीमत चुकानी पड़ती है


भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद ( IAMC ) ने जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन ( Jamia University ) के फैसले पर ट्विट कर कहा है कि मुस्लिम विरोधी सीएए के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने की वजह से सफूरा जरगर का एम फिल शोध कार्यक्रम में प्रवेश को रद्द कर दिया गया है। उनको दिल्ली दंगों का आरोपी बताकर जेल भेजा गया था। साथ ही ये भी कहा है कि नरेंद्र मोदी के राज में इंसाफ मांगने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

जरगर पर है UAPA का चार्ज

Delhi riots 2020 : बता दें कि सफूरा जरगर ( Safoora Zargar ) को फरवरी 2020 में उत्तर.पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप में 10 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था। बाद में दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने उन पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया था। जुलाई 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। जरगर के अलावा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ छात्र नेताओं पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 की हिंसा के मुख्य षड्यंत्रकर्ता होने का आरोप लगाया गया है।  

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