तमिलनाडु के मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति, स्टालिन बोले सोशल मीडिया पर सरकार के इस कदम को बदनाम कर रहे कुछ लोग
स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने हाल ही में चार दलितों समेत 24 गैर ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्ति के आदेश देकर अपना चुनावी वादा पूरा किया है....
जनज्वार। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार 18 अगस्त को कहा कि हिंदू मंदिरों में किसी भी पुजारी को उनकी सेवा से नहीं हटाया गया है और उनके स्थान पर किसी ने व्यक्ति को नियुक्त नहीं किया गया है। विधानसभा में बोलते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार उस कानून को लागू कर रही जिसके तहत प्रशिक्षित लोगों को राज्य के हिंदू मंदिरों के पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग सोशल मीडिया में सरकार के इस कदम को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी कोई घटना होती है तो सरकार कार्रवाई करेगी।
बता दें कि स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने हाल ही में चार दलितों समेत 24 गैर ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्ति के आदेश देकर अपना चुनावी वादा पूरा किया है। दिवंगत मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार एक कानून लेकर आई थी जिसके तहत कोई भी व्यक्ति अपनी जाति के बावजूद राज्य द्वारा संचालित पाठ्यक्रम से गुजरने के बाद हिंदू मंदिर का पुजारी बन सकता है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में तमिलनाडु सरकार के कानून को बरकरार रखा था।
डीएमके सरकार ने पिछले सप्ताह विभिन्न समुदायों के 24 प्रशिक्षित पुजारियों को धर्मस्थलों में पुजारी नियुक्त किया। नियुक्ति पाने वालों में 24 अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने हिन्दू मंदिरों में पुजारी बनने के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण केन्द्र से अपना प्रशिक्षण पूरा किया है, वहीं 34 लोगों ने अन्य 'पाठशालाओं' से अर्चक का प्रशिक्षण पूरा किया है।
स्टालिन ने यहां 75 व्यक्तियों को हिंदू धार्मिक और धर्मांध बंदोबस्ती विभाग के नियुक्ति आदेश सौंपे, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के तहत 208 पदों पर नियुक्तियां की गईं।
स्टालिन सरकार ने बताया कि जिन 208 लोगों को नियुक्ति दी गई है उनमें 'भट्टाचार्य', 'ओधवर्य' पुजारी और तकनीकी व कार्यालय सहायक शामिल हैं। इन सभी को तय प्रक्रिया के तहत नियुक्ति दी गई है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार को 14 अगस्त को सरकार बने सौ दिन पूरे हुए। पार्टी ने 6 अप्रैल को हुए विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि मंदिरो में पुजारी पद के लिए प्रशिक्षण पूरा करने वाले सभी जातियों के अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी। स्टालिन ने 7 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।