Bihar Me "Bahar" Hai : जिस अफसर के यहां नोट गिनने की मशीन मिली, करोड़ों की अवैध कमाई मिली; उस पर भी कार्रवाई नहीं... तीन महीने बाद ही मिली मलाईदार पोस्टिंग

Bihar Me Bahar Hai : बिहार में वाकई बहार है। तभी ​तो जिस अफसर के घर से नोट गिनने की मशीन मिली थी, करोड़ों की अवैध कमाई के प्रमाण मिले थे उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी और मामला ठंडा होते ही सिर्फ तीन महीने बाद मलाईदार पोस्टिंग दे दी गयी...

Update: 2022-04-21 10:29 GMT

Bihar Me Bahar Hai : जिस अफसर के यहां नोट गिनने की मशीन मिली, करोड़ों की अवैध कमाई मिली; उस पर भी कार्रवाई नहीं... तीन महीने बाद ही मिली मलाईदार पोस्टिंग

Bihar Me Bahar Hai : एक तरफ देश में गरीबों के आशियाने पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण का नाम देकर बुल्डोजर (Bulldozer) चलाया जा रहा है वहीं देश में कुछ ऐसे भी मामले हैं जिनमें भ्रष्टाचार का आरोप लगने और सबूत मिलने के बाद भी आरोपित पर कार्रवाई भी नहीं हो रही है। हाल यह है कि छापेमारी कुछ दिन बाद ही अफसर को नई और मलाईदार पोस्टिंग दे दी जा रही है। यह कहानी है सुशासन बाबू या नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बिहार की।

बिहार में वाकई बहार है। तभी ​तो जिस अफसर के घर से नोट गिनने की मशीन मिली थी, करोड़ों की अवैध कमाई के प्रमाण मिले थे उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी और मामला ठंडा होते ही सिर्फ तीन महीने बाद मलाईदार पोस्टिंग दे दी गयी।

8 दिसंबर 2021 को अविनाश के ठिकानों पर हुई थी छापेमारी

दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश का मामला स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) अब प्रवर्तन निदेशालय को सौंपने की तैयारी कर रही है। आइए बताते हैं आपको इस दिलचस्प मामले के बारे में। एसवीयू ने अविनाश प्रकाश (Avinash Prakash) के ठिकानों पर बीते 8 दिसंबर 2021 को छापेमारी की थी। दस दौरान करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया था।

आमतौर पर ऐसे मामलों में संबंधित विभाग आरोपी अधिकारी के विरुद्ध निलंबन या दूसरी तरह की अनुशासनिक कार्रवाई करता है, लेकिन अविनाश को बेगूसराय के मद्य निषेध अधीक्षक के पद पर तैनात कर दिया गया है। छापेमारी के बद यह उनकी दूसरी पोस्टिंग है। इसके पहले जनवरी में उन्हें बीएबीसीएल पटना में अधीक्षक मद्व निषेध के पद पर तैनात किया गया और कर्मनाश चेकपोस्ट, कैमूर और बलथरी चेकपोस्ट में प्रतिनियुक्त किया गया था।

प्रतिनियुक्ति स्थलों पर उन्हें नियमित रूप से जांच का जिम्मा दिया गया था। उसके बाद मार्च में उन्हें बेगूसराय (Begusarai) का उत्पाद अधीक्षक बनाया गया। सूत्रों अनुसार एसवीयू इस मामले में निगरानी विभाग को पत्र लिख यह जानने की कोशिश करेगा कि आखिर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई के बाद भी अविनाश प्रकाश के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो पायी।

पटना समेत​ बिहार के कई शहरों में है अचल संपत्ति

अविनाश के पटना, खगड़िया और मोतिहारी स्थित ठिकानों से कैश तो हाथ नहीं लगा था लेकिन नोट गिनने की मशीन जरूर बरामद की गयी थी। फुलवारीशरीफ के कुरकुरी रोड में करीब एक बीघा जमीन में उनका फार्म हाउसनुमा मकान है। खगड़िया में एक आलीशान मकान है और एक जेसीबी बरामद की गयी थी। इसके अलावा पटना में एक फ्लैट खरीदने का एग्रीमेंट पेपर मिला था। एसवीयू के अनुसार उनके पास दो जेसीबी मशीन और एक इनोवा गाड़ी भी मिली थी।

उत्पाद अधीक्षक पर मनी लौड्रिंग का भी लगा था आरोप

एसवीयू की जांच में सामने आया कि अविनाश ने आय के वैध स्त्रोत से अधिक धनार्जन कर संपत्ति बनायी है। इसके लिए उन्होंने परिजनों व मित्रों तथा अन्य के माध्यम से मनी लौड्रिंग कर कालेधरन को सफेद बनाने का भी प्रयास किया हैं एसवीयू अब मामला ईडी को सौंपने जा रही है। ईडी ऐसे मामलों में जांच के बाद संपत्ति जब्ती की कार्रवाई करती है। एसवीयू के सूत्रों के अनुसार अविनाश के मामले जल्द चार्जशीट भी फाइल होगी ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।

एवीयू ने किया था दावा- ​परिजनों के नाम पर भी जुटाई थी अकूत सं​पत्ति

तलाशी के दौरान 2 पासपोर्ट, 15 पासबुक, 4 इश्योरेंस से बसंबंधित दस्तावेज बरामद होने की बात सामने आयी थी। उत्पाद अधीक्षक की पनत्नी के नाम से कुल 41 डिसमिल में निर्मित तीन फ्लैट जिसकी कीमत 8.25 लाख और पिता के नाम से 800 डिसमिल जमीन जिसकी कीमत 48.5 लाख का पता ला था। अविनाश पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी सेवा में रहते हुए नाजायज ढंग से अकूत संपत्ति अर्जित की है जो उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य ज्ञात स्त्रोतों की तुलना में बहुत ही ​अधिक है।

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