Bilkis Bano Rape Case: बिल्किस बानो केस में जानी-मानी महिला कार्यकताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, जल्द हो सकती है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
Bilkis Bano Rape Case: एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत पिछले ही हफ्ते गुजरात सरकार द्वारा बिल्किस बानो गैंगरेप के दोषियों को जेल से रिहा किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई।
Bilkis Bano Rape Case: मंगलवार को एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत पिछले ही हफ्ते गुजरात सरकार द्वारा बिल्किस बानो गैंगरेप के दोषियों को जेल से रिहा किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। एडवोकेट कपिल सिब्बल व अर्पणा भट्ट के माध्यम से दायर इस याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई के लिए दाखिल कर लिया गया है। मामले की जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है।
मालूम हो कि गुजरात की बिलकिस बानो के पूरे परिवार का कत्ल कर उसके साथ गैंगरेप करने के उन ग्यारह दोषियों को जो की जेल में अपनी सजा काट रहे थे, गुजरात सरकार ने दी माफी देते हुए उन्हें जेल से रिहा कर दिया था। मानवता को शर्मसार करने वाले इन मुजरिमों की यह रिहाई सोमवार को गोधरा उप जेल से उस समय हुई थी जब पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए नारी सम्मान की बात कही थी। एक तरफ जहां मोदी महिलाओं के सम्मान की बात कर रहे थे तो दूसरी ओर ठीक उसी दिन उनकी ही पार्टी की गुजरात सरकार गुजरात में गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप केस में दोषी सभी 11 सजायाफ्ता कैदियों को रिहा कर रही थी।
बता दें कि गुजरात में 2002 गोधरा कांड हुआ था। 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। जब वारदात को अंजाम दिया गया था, तब बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थी। घटना में राधेश्याम शाही, जसवंत चतुरभाई नाई, केशुभाई वदानिया, बकाभाई वदानिया, राजीवभाई सोनी, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, गोविंदभाई नाई, मितेश भट्ट और प्रदीप मोढिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। पहले यह मामला अहमदाबाद के एक कोर्ट में चला। लेकिन बिलकिस बानो की आशंका के बाद इस केश को मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया। कई सालों की सुनवाई के बाद 21 जनवरी, 2008 को मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 11 आरोपियों को दोषी पाया। सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील भी की, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था। लेकिन गुजरात सरकार ने इन सबको इसी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुजरात विधानसभा के चुनाव में राजनैतिक लाभ लेने के लिए अपनी माफी नीति के तहत रिहा कर दिया था।
अब इस रिहाई के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा मंगलवार को देश के उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा, सुहासिनी अली और रेवती लाल की ओर से यह याचिका प्रसिद्ध एडवोकेट कपिल सिब्बल व अर्पणा भट्ट द्वारा दायर की गई है। याचिका दायर करने के बाद एक याचिकाकर्ता रूपरेखा वर्मा ने जनज्वार से बात करते हुए कहा कि गुजरात सरकार का बिल्किस बानो गैंगरेप के जेल में सजा भुगत रहे दोषियों को रिहा करने का निर्णय मानवता को शर्मसार करने वाला था। इंसानियत को शर्मसार करने वाले इस मामले को लेकर वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा बिल्किस को इंसाफ दिलाने के लिए खटखटा रहे हैं। हमारी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है। श्रीमती वर्मा ने कहा कि हत्यारे व गैंगरेप के दोषियों की रिहाई के बाद जिस प्रकार समाज द्वारा उन्हें महिमामंडित किया गया, वह देश को शर्मसार कर रहा है। पूरी दुनियां हमारी इस हरकत को देखकर अफसोस कर रही है। लेकिन इसके बाद भी रेपिस्टों का महिमामंडन जारी है। उन्होंने बताया कि उनकी याचिका के साथ ही इस मामले में एक और याचिका तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा भी उच्चतम न्यायालय में लगाई गई है।
पाठक इस तथ्य से परिचित ही हैं कि गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में कई राजनीतिक दल, पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं। कई लोगों ने इस फैसले को पीएम मोदी के नारी सम्मान वाले भाषण से भी जोड़ते हुए पीएम मोदी और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाला किले से देश को संबोधित करते हुए कहा था कि "हममें विकृति आई है। हम नारी का सम्मान नहीं करते हैं। हमारी बोलचाल में हम नारी का अपमान करते हैं।" उन्होंने लोगों से कहा था कि "हम स्वभाव में, संस्कार में, रोजमर्रा की जिंदगी में क्या नारी का सम्मान करने का संकल्प ले सकते हैं?
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा कि एक गर्भवती महिला से सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषियों को रिहाई नहीं मिलनी चाहिए। जिस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वो इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार है।