दिल्ली दंगों की चार्जशीट में BJP नेता कपिल मिश्रा का ज़िक्र तक नहीं, दंगों की साज़िश में सिर्फ़ CAA विरोधियों पर आरोप

दिल्ली दंगों के संबंध में दायर की गई एक ताजा चार्जशीट में कपिल मिश्रा समेत अन्य भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों का कोई जिक्र नहीं है। इस चार्जशीट में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों, कार्यकर्ताओं और छात्रों को हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार बताया गया है। बता दें कि दिल्ली पुलिस पर मामले में भाजपा नेताओं को बचाने और CAA विरोधियों को फंसाने के आरोप लग रहे हैं...

Update: 2020-06-10 09:25 GMT

जनज्वार। दिल्ली दंगों के संबंध में दायर की गई एक ताजा चार्जशीट में कपिल मिश्रा समेत अन्य भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों का कोई जिक्र नहीं है। इस चार्जशीट में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों, कार्यकर्ताओं और छात्रों को हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार बताया गया है। बता दें कि दिल्ली पुलिस पर मामले में भाजपा नेताओं को बचाने और CAA विरोधियों को फंसाने के आरोप लग रहे हैं। 

देश की राजधानी दिल्ली में 23 फरवरी से 25 फरवरी तक लगातार तीन दिन दंगे हुए थे। इन दंगों में इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी अंकित शर्मा और दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल सहित 53 लोगों की मौत हुई थी और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पहले CAA पर टकराव और फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषणों की वजह से दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव चरम को इन दंगों का कारण माना गया था। 

दिल्ली पुलिस दंगों के संबंध में अब तक 783 मामले दर्ज कर लगभग 2,000 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है। मामले में अभी तक 70 चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं और आने वाले दिनों में और चार्जशीट दाखिल की जा सकती हैं। 

हाल ही में दाखिल की गई 2,000 शब्दों की एक चार्जशीट में 13 दिसंबर को CAA के खिलाफ प्रदर्शन शुरू होने से लेकर 25 फरवरी तक की घटनाओं के बारे में क्रमानुसार बताया गया है, लेकिन इनमें कहीं भी भाजपा नेताओं के भड़काऊ भाषणों को जिक्र नहीं है। इसमें केवल सामाजिक कार्यकर्ताओं, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों और शाहीन बाग और अन्य जगहों पर CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का जिक्र है।

जाफराबाद में लगभग 500 महिलाओं के नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ धरने पर बैठने के बाद 23 फरवरी को भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने पास में ही स्थित मौजपुर में एक रैली की थी। इस रैली में उन्होंने दिल्ली पुलिस को तीन दिन के अंदर सारी सड़कें खाली कराने का "अल्टीमेटम" दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें खुद सड़कों पर उतरना पड़ेगा और कोई उन्हें रोक नहीं पाएगा।

इससे पहले जनवरी के अंत में रिठाला में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भीड़ से 'देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को' के नारे लगवाए थे। वहीं पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग में प्रदर्शनों पर भड़काऊ बयान देते हुए कहा था,"ये लोग आपके घरों मे घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों को उठाएंगे, उनका रेप करेंगे, उनको मारेंगे। इसलिए आज समय है.. आज दिल्ली के लोग जाग जाएंगे तो अच्छा रहेगा।" 

भड़काऊ बयानों से संबंधिक एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा नेताओं पर FIR दर्ज न करने के लिए दिल्ली पुलिस को जमकर लताड़ा था। जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा था कि वह दिल्ली में 1984 सिख विरोधी दंगों जैसे स्थिति फिर से नहीं बनने दे सकते। उन्होंने पुलिस को FIR दर्ज करने पर गंभीरता से विचार करने को कहा था। हालांकि इसी दिन जस्टिस मुरलीधर का तबादला हो गया, जिस पर काफी विवाद हुआ।

बता दें कि कड़कड़डूमा कोर्ट में दाखिल दिल्ली दंगों से संबंधित एक चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी (AAP) के निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन को हिंसा का मास्टरमाइंड बताया है। इसमें कहा गया है कि हिंसा भड़काने के लिए उसे फर्जी कंपनियों के जरिए 1.3 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी। चार्जशीट में तबलीगी जमात पर भी सवाल उठाए गए हैं और साजिश में शामिल एक शख्स जमात प्रमुख मौलाना साद के करीबी के संपर्क में था।

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