इलाहाबाद गैंगरेप पीड़िता की अस्पताल में मौत, भाई ने कहा 'वही हुआ जो यह लोग चाहते थे'
लड़की के भाई का आरोप था कि उसपर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। जिले के भाजपा सांसद संजय गुप्ता, पुलिस, डॉक्टर सभी पर भाई ने जांच को गुमराह करने का आरोप लगाया था। जिसका टेप जनज्वार के पास मौजूद है...
जनज्वार, प्रयागराज। 9 बजकर 22 मिनट पर आज दिन की सबसे बुरी खबर आई। खबर थी कि प्रयागराज के स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती कथित गैंगरेप पीड़िता ने दम तोड़ दिया था। पीड़िता का भाई फोन पर रो रहा था। उसके मुँह से अल्फाज नहीं निकल रहे थे। वह सिर्फ यही बोला 'भइया वही हो गया जो यह लोग चाहते थे। बहन मर गई।'
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दरअसल प्रयागराज के स्वरूपरानी अस्पताल में 29 मई को पेट में दर्द की शिकायत लेकर पीड़िता के परिजन ले गए थे। जांच के बाद पता चला कि उसकी आंत में सुराख है। आंत की सुराख का ऑपरेशन किया गया। जिसके बाद 31 मई को लड़की को ऑपरेशन थियेटर से निकालकर जनरल वार्ड में परिजनो के पास लाया गया।
ओटी से निकलने के बाद लड़की जरूरत से ज्यादा डरी और दर्द से कराह रही थी। उसकी आँखें से आँसू की धार बह रही थी। वहां मौजूद माँ व भाई के पूछने परलड़की ने ऑपरेशन थियेटर के भीतर उसके साथ गंदा काम (बलात्कार) का आरोप लगाया था। उसने कहा था कि अंदर 4 लोगों ने उसका रेप किया है।
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इस जघन्य मामले में आज 10 दिन बाद भी लड़की के परिजनों की तरफ से कोई भी एफआईआर नहीं दर्ज की गई। वहीं दूसरी तरफ लड़की के भाई का आरोप था कि उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। जिले के भाजपा सांसद संजय गुप्ता, पुलिस, डॉक्टर सभी पर भाई ने जांच को गुमराह करने का आरोप लगाया था। जिसका टेप जनज्वार के पास मौजूद है।
इस मामले में घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों से ज्यादा पुलिस सवालों के घेरे में है। क्योंकि पुलिस ने परिजनो द्वारा बार-बार कहने के बाद भी मुकदमा पंजीकृत क्यों नहीं किया। परिजन कहते हैं, लड़की के पेट में दर्द रहता है जिसका इलाज कराने वह अस्पताल आए थे। यहां से ठीक होकर जाने की बजाए वह और भी सीरियस हो गई।
परिजनो की शिकायत के बाद और लड़की द्वारा खुद लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद भी पुलिस का मुकदमा दर्ज ना करना अपने आप में शंका पैदा करता है। प्रयागराज पुलिस किसके दबाव में काम कर रही थी। लड़की के भाई का आरोप था कि 'उपर से दबाव है' तो यह सवाल है, कि वह उपर वाले कौन हैं जो दबाव बना रहे थे? क्या भाजपा सांसद संजय गुप्ता थे, या फिर कोई और जांच का विषय है।
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जिले के सीएमओ द्वारा बनाई गई जांच टीमों ने रिपोर्ट में क्या दिया? एसपी सिटी जो लगातार जांच में निगरानी कर रहे थे, क्या किया? लड़की के आरोपों के आधार पर उसका मेडिकल टेस्ट क्यों नहीं करवाया गया? जिम्मेदार रिपोर्ट दर्ज करने के लिए बयान का इंतजार करते रहे। जबकी लड़की ने सारे सुबूत दे दिए थे।
यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या पुलिस सभी मामलों में ऐसाी ही कार्रवाई करती है। यूपी पुलिस जब मुकदमें से पहले ही आरोपी को उठा लाती है तब वो कैसी कार्रवाई होती है। कुल मिलाकर मामला रसूखदार लोगों से जुड़ा होने के चलते पुलिस पंगु बन गई। और लड़की के मरने के बाद खाकी ने कहीं ना कहीं अपने आकाओं को राहत देने का काम किया है।