Gauri Lankesh Murder Case : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, मोहन नायक पर चलेगा मुकदमा

Gauri Lankesh Case : निडर पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शीर्ष अदालत ने 21 सितंबर, 2021 को अपना आदेश रिजर्व रख लिया था

Update: 2021-10-21 09:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी मोहन राकेश पर मुकदमा जारी रखने का फैसला सुनाया। 

Gauri Lankesh Case: सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के फैसले से चर्चित और निडर पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में नया मोड़ आ गया है। अब लंकेश हत्याकांड के प्रमुख आरोपियों में से एक मोहन नायक ( Mohan Nayak ) के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम ( KCOCA ) के तहत मुकदमा चलेगा। इस मामले में गुरुवार को शीर्ष अदालत ने गौरी लंकेश की बहन और फिल्म निर्माता कविता लंकेश की याचिका स्वीकार कर ली है। कविता ने कर्नाटक हाईकोर्ट ( Karnataka High Court) के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश रदृ, बड़ी जीत

सर्वोच्च अदालत ( Supreme Court )  के इस फैस रुख को चर्चित गौरी लंकेश हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से एक मोहन नायक के खिलाफ संगठित अपराध के आरोपों को बहाल करने की दिशा में बड़ा फैसला माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ KCOCA के आरोप हटा दिए थे। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 21 सितंबर 2021 को अपने आदेश सुरक्षित रख लिया था। सर्वोच्च अदालत की पीठ ने आरोपी की ओर से पेश वकील से कहा कि उसे जो दिया गया है वह 'बोनस' है। बता दें कि गौरी लंकेश की बहन कविता ने 22 अप्रैल, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी।

काले और बंगेरा का नजदीकी है नायक

दरअसल, आरोपी मोहन नायक, अमोल काले और राजेश बंगेरा का नजदीकी है। ये लोग गौरी लंकेश की हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में शामिल हैं। मोहन नायक ने अपने खिलाफ केसीओसीए से संबंधित आरोपों को हटाने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने अदालत के सामने तर्क दिया था कि KCOCA के तहत उनके खिलाफ अपराध का आरोप नहीं लगाया जा सकता था। इस मामले में गिरफ्तारी की तारीख से 90 दिनों की समाप्ति से पहले आरोपपत्र दायर किया जाना चाहिए था। साथ ही उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाना चाहिए था। जांच एजेंसियों ने इस प्रावधानों का पालन नहीं किया। इसलिए सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत जमानत उन्हें पाने का हक है।

हत्यारों को पनाह देने में निभाई थी अहम भूमिका

गौरी की बहन और फिल्म निर्माता कविता लंकेश को कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने मदद की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मोहन नायक के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (केसीओसीए) के तहत आरोप हटा दिए थे। सीजेपी की सहायता से दायर याचिका में कविता लंकेश ने दावा किया था कि मोहन नायक अपराध करने से पहले और बाद में हत्यारों को पनाह प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल था। नायक हत्यारोपियों को उकसाने, योजना बनाने और रसद प्रदान अहम व्यक्ति था। जांच एजेंसी ने भी अपनी रिपोर्ट और सबूतों के आधार पर बताया है कि वह अमोल काले और मास्टर आर्म्स ट्रेनर राजेश डी बंगेरा के साथ संगठित अपराध सिंडिकेट का अभिन्न हिस्सा था।

ये है पूरा मामला

पत्रकार गौरी लंकेश ( Gauri lankesh ) की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उन्हें चार बार गोली मारी गई थी। गौरी लंकेश ने नियमित रूप से जाति और लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी। खास बात यह है कि गौरी लंकेश लीक से हटकर पत्रकारिता करती थीं।

Tags:    

Similar News