सरकार कृषि कानून वापस लेने को तैयार नहीं, अमित शाह के साथ बैठक के बाद बोले किसान नेता आज नहीं होगी बैठक
सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है, वह सिर्फ उसमें संशोधन को राजी है। केंद्र आज किसानों को इस संबंध में एक प्रस्ताव देगा, जिस पर चर्चा करने के बाद किसान संगठन आगे की रणनीति तय करेंगे...
जनज्वार। गृहमंत्री अमित शाह और किसान नेताओं की मंगलवार की रात दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में हुई बैठक बेनतीजा रही। शाम आठ बजे से रात 11 बजे तक तीन घंटे लंबी चली इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच सहमति का कोई रास्ता नहीं निकल सका। अमित शाह ने 13 किसान नेताओं को बैठक के लिए बुलाया था। सरकार ने बैठक में तीन नए कानून को वापस नहीं लेने की मंगा जतायी तो किसान नेताओं ने भी अपना रुख कड़ कर लिया।
किसान संगठनों की एक सूत्री की मांग है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा मानसून सत्र में पारित कराए गए तीन कृषि कानून को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक मान्यता दी जाए।
किसान नेताओं व अमित शाह की बैठक विफल रहने के बाद सरकार के साथ आज यानी नौ दिसंबर को पूर्व निर्धारित वार्ता के होने की संभावना नहीं है। इस बीच किसान नेता आज दोपहर सिंघु बाॅर्डर पर एक बैठक कर अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे। मालूम हो कि किसान नेताओं ने पहले ही यह ऐलान कर रखा था कि नौ की वार्ता के बाद वे नई रणनीति तय करेंगे।
मंगलवार की रात अमित शाह के साथ जिन किसान नेताओं ने बैठक की, उनमें राकेश टिकैत, हनन मुल्ला, शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी, बलवीर सिंह राजेवाल, रूलदू सिंह मानसा, जगजीत सिंह, मनजीत सिंह राय, हरिंदर सिंह लख्खोवाल, दर्शन पाल, बूटा सिंह बुर्जगिल, कुलवंद सिंह संधू और बोध सिंह मानसा शामिल हैं।
इस बैठक के बाद आल इंडिया किसान सभा के महासचिव व माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हनन मुल्ला ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में बुधवार को सरकार व किसानों के बीच होने वाली बैठक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक प्रस्ताव देने की बात कही है और किसान नेता दिन के 12 बजे उस प्रस्ताव को लेकर बैठक करेंगे।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता व अमित शाह के साथ बैठक में शामिल रहे राकेश टिकैत ने दावा किया कि बैठक साकारात्मक रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमलोगों को एक प्रस्ताव देगी, जिस पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमलोग तीन कानूनों की वापसी चाहते हैं, लेकिन सरकार उससे संबंधित बिल में सिर्फ संशोधन के लिए तैयार है।