हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जब पत्रकारिता न पढ़ाई जाती है न पढवाई जाती है, फिर कैसे निधि राजदान फंस गयीं फेरे में

निधि राजदान ने कहा कि यूनिवर्सिटी का पक्ष जानने के बाद मुझे पता चला कि मैं एक काफी सफिस्टकेटिड फिशिंग की शिकार हुई हूं और दरअसल मेरे पास हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उनके जर्नलिज़्म डिपार्टमेंट की फैकल्टी बनने का कोई ऑफर आया ही नहीं था....

Update: 2021-01-16 07:53 GMT

नई दिल्ली। समाचार चैनल एनडीटीवी की एंकर निधि राजदान फिशिंग की शिकार हो गईं। यह जानकारी खुद निधि राजदान ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से साझा की। तब से इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। बता दें कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता का कोई विभाग है ही नहीं।

बता दें कि निधि राजदान ने बीते साल 13 जनवरी 2020 को अपने ट्वीट्स में जानकारी दी थी कि वह 21 साल एनडीटीवी के साथ काम करने के बाद एनडीटीवी छोड़ने वाली हैं। निधि राजदान ने बताया था कि उनका हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर चयन हुआ है। इसके बाद निधि राजदान ने इस्तीफा भी दे दिया था। 

अपने साथ ही घटना की शिकायत उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की है और ईमेल के जरिए हुए कम्युनिकेशन की डीटेल्स पुलिस के साथ-साथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन को जांच के लिए सौंपी है।

निधि राजदान ने अपने  ट्वीट में लिखा, 'जनू 2020 में मैंने यह कहते हुए 21 सालों की एनडीटीवी की नौकरी छोड़ी कि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में जॉइन करने जा रही हूं। मुझे बताया गया था कि मैं सितंबर 2020 में यूनिवर्सिटी जॉइन करूंगी। मैं अपने नए असाइनमेंट की तैयारी कर रही थी इसी दौरान मुझे बताया गया कि महामारी की वजह से मेरी क्लासेस जनवरी 2021 में शुरू होंगी।'

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राजदान ने आगे लिखा, 'जनू 2020 में मैंने यह कहते हुए 21 सालों की एनडीटीवी की नौकरी छोड़ी कि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में जॉइन करने जा रही हूं। मुझे बताया गया था कि मैं सितंबर 2020 में यूनिवर्सिटी जॉइन करूंगी। मैं अपने नए असाइनमेंट की तैयारी कर रही थी इसी दौरान मुझे बताया गया कि महामारी की वजह से मेरी क्लासेस जनवरी 2021 में शुरू होंगी।'

'यूनिवर्सिटी का पक्ष जानने के बाद मुझे पता चला कि मैं एक काफी सफिस्टकेटिड फिशिंग की शिकार हुई हूं और दरअसल मेरे पास हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उनके जर्नलिज़्म डिपार्टमेंट की फैकल्टी बनने का कोई ऑफर आया ही नहीं था।'

विधि राजदान का कथन स्पष्ट नहीं था कि हार्वर्ड स्कूल या फैकेल्टी ने उन्हें किस उद्देश्य से प्रस्ताव दिया था। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के कला और विज्ञान फैकेल्टी में पत्रकारिता विभाग ही नहीं है। वास्तव में, विश्वविद्यालय में पत्रकारिता का प्रोफेशनल स्कूल ही नहीं है।

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