Haryana Digital Media Ban : हरियाणा में डिजिटल पत्रकारों पर बैन के फैसले का किया गया विरोध, डीपीआरओ की ओर से मिला ये जवाब
Haryana Digital Media Ban :डिजिटल पत्रकारों की ओर से यमुनगर के उपायुक्त को पत्र लिखकर कहा गया है कि मीडिया में इस बात का प्रचार किया जा रहा है डिजिटल पत्रकार खबरों की कवरेज के दौरान ब्लैकमेलिंग करते हैं इसलिए उनके सरकारी दफ्तरों में प्रवेश पर बैन (Haryana Digital Media Ban) लगा दिया गया है। जबकि सच यह है कि डिजिटल मीडिया के पत्रकार भी अपनी आचार संहिता का पालन करते हुए ही कवरेज करते हैं...
Haryana Digital Media Ban : हरियाणा के यमुनानगर में डिजिटल पत्रकारो पर बैन (Haryana Digital Media Ban) के डिजिटल मीडिया के ऐसे पत्रकारों ने जिनके पास किसी प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थान का नियुक्ति पत्र नही है उनलोगों ने मंगलवार को जिला सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी कार्यालय में आकर प्रशासन की ओर से लिए गए निर्णय की जानकारी ली है और अपना विरोध जताया है।
डिजिटल पत्रकारों की ओर से यमुनगर के उपायुक्त को पत्र लिखकर कहा गया है कि मीडिया में इस बात का प्रचार किया जा रहा है डिजिटल पत्रकार खबरों की कवरेज के दौरान ब्लैकमेलिंग करते हैं इसलिए उनके सरकारी दफ्तरों में प्रवेश पर बैन (Haryana Digital Media Ban) लगा दिया गया है। जबकि सच यह है कि डिजिटल मीडिया के पत्रकार भी अपनी आचार संहिता का पालन करते हुए ही कवरेज करते हैं। ऐसे में इस इस की बातों का प्रचार नहीं किया जाना चाहिए। डिजिटल मीडिया के पत्रकारों ने इस दौरान सरकार की ओर से जारी किए गए पत्र का भी विरोध किया है जिसमें कहा गया था कि सिर्फ आरएनआई और रजिस्टर्ड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संस्थानों को ही सरकारी दफ्तरों में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।
इस बारे में यमुनानगर के जिला सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी सुनील बसताड़ा ने कहा है कि जिन व्यक्तियों के पास आरएनआई व सूचना व प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से रजिस्टर्ड संस्थानों का नियुक्ति पत्र है उन्हें मीडियाकर्मी की श्रेणी में माना जाता है।
आपको बता दें कि जिला प्रशासन की ओर से सोमवार को रजिस्ट्रर्ड संस्थान के मीडिया कर्मियों की सूची मांगी गई थी ताकि मीडिया कर्मियों की लिस्ट अपडेट की जा सके। इस दौरान डीपीआरओ की ओर से बताया कि जिला प्रशासन की ओर से किसी भी सोशल मीडिया के व्यक्तियों पर अंकुश (Haryana Digital Media Ban) लगाने की बात नहीं की गयी है। यह उनका व्यक्तिगत मामला है।
उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक सरकार ने सोशल मीडिया के माध्यम से कवरेज के लिए कोई दिशा निर्देश जारी नही किए है। उन्होंने वहां पहुंचे लोगो से अनुरोध किया है कि वह नियमानुसार कार्य करें। अपनी व्यक्तिगत आईडी लगाकर सरकारी कार्यक्रमों की कवरेज से बचे।
इस मौके पर सोशल मीडिया से जुड़े करीब 14 व्यक्तियों ने अपनी कार्यप्रणाली की लिखित जानकारी दी है और कहा है कि वह मर्यादित तरीके से ही कवरेज (Haryana Digital Media Ban) करते है। उपायुक्त को पत्र लिखकर प्रशासन के फैसले का विरोध करने वालों में डिजिटल मीडिया से जुड़े अजय कुमार, राजीव मेहता, नीरज, ज्योति मेहता, अंशिता और अमित कुमार समेत 14 पत्रकार शामिल हैं।
आपको बता दें कि देश में डिजिटल मीडिया आईटी एक्ट के तहत आते हैं। पर इसे एक मेनस्ट्रीम मीडिया की पहचान देने के लिए सरकार की ओर से अभी तक कोई पहल पहल नहीं की गयी है। देश में लगातार बढ़ रहे डिजिटल मीडिया की पहुंच को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि सरकार इसे एक कानून के दायरे में लाते हुए एक पहचान दें।
ताकि डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को देश में जिस प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है उससे वह बच सकें। हमने हाल के दिनों में देखा है कि देश भर में डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के शोषण की घटनाएं सामने आयी है।
इसके सबसे बड़े उदाहरण के तहत मध्य प्रदेश के एक थाने में तो डिजिटल मीडिया के पत्रकारों और सांस्कृतिककर्मियों के कपड़े तक उतरवा (Haryana Digital Media Ban) दिए गए थे। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि देश की पत्रकार विरादरी इस बारे में एक रणनीति तैयार करे और सरकार से डिजिटल पत्रकारों को एक वैध पहचान देने की पहल की जाए।