हाइटेक टाउनशिप में 600 करोड़ रुपये का घोटाला, रिपोर्ट में हुआ खुलासा तो विजिलेंस जांच शुरू

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से हाइटेक टाउनशिप मामले में करीब 600 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है, हाइटेक टाउनशिप में बार-बार बड़ी गड़बड़ी की शिकायतों और सीएजी की आपत्ति को सरकार ने गंभीरता से लिया है...

Update: 2022-09-27 09:36 GMT

हाइटेक टाउनशिप में 600 करोड़ रुपये का घोटाला, रिपोर्ट में हुआ खुलासा, विजिलेंस जांच शुरू

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से हाइटेक टाउनशिप मामले में करीब 600 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। हाइटेक टाउनशिप में बार-बार बड़ी गड़बड़ी की शिकायतों और सीएजी की आपत्ति को सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस मामले में सरकार की ओर से विजिलेंस जांच शुरू कर दी गई है। विजिलेंस ने 39 सवालों की लिस्ट बनाकर जीडीए से जवाब पूछा है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस प्रश्न के उत्तर के साथ-साथ संबंधित दस्तावेज भी भेजे जाएं। फिलहाल जीडीए ने इस मामले में विजिलेंस टीम से समन्वय के लिए तहसीलदार दुर्गेश कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।

हाई-टेक टाउनशिप में भूमि उपयोग को आवासीय बनाने पर आपत्ति

बता दें हाइटेक टाउनशिप के तहत जिले में वेव सिटी और सनसिटी का विकास किया जा रहा है। जब सीएजी ने 2017 के आसपास जीडीए का ऑडिट किया, तो उसने बिना रूपांतरण शुल्क लिए हाई-टेक टाउनशिप में भूमि उपयोग को आवासीय बनाने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जीडीए को करीब 600 करोड़ का नुकसान हुआ है। कैग की आपत्ति की बात जब सरकार तक पहुंची तो अब विजिलेंस जांच शुरू हो गई है।

जुलाई 2005 में सरकार ने मास्टरप्लान-2021 को मंजूरी

मई 2005 में, राज्य सरकार ने गाजियाबाद में हाई-टेक टाउनशिप के विकास के लिए दो डेवलपर्स का चयन किया। तब मास्टरप्लान-2001 लागू था। जिसके अनुसार हाईटेक टाउनशिप के लिए निर्धारित क्षेत्र का भूमि उपयोग कृषि था। जुलाई 2005 में सरकार ने मास्टरप्लान-2021 को मंजूरी दी। इसके तहत हाईटेक टाउनशिप के लिए निर्धारित भूमि का उपयोग सांकेतिक था, इसलिए विकासकर्ताओं को भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क का भुगतान करना पड़ा। वर्ष 2006 और 2007 में बनाई गई नीतियों में डेवलपर्स से भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क का प्रभार भी शामिल था।

क्षेत्र में कोई भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क देय नहीं

इसके बाद मास्टरप्लान-2021 के संबंध में 23 अप्रैल 2010 को शासनादेश जारी किया गया कि उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के तहत हाईटेक टाउनशिप के लिए भूमि उपयोग संकेतक दिखाने का प्रावधान नहीं है। चूंकि भूमि उपयोग गाजियाबाद मास्टर प्लान-2021 में दिखाया गया है, ऐसे भूमि उपयोग को आवासीय माना जाएगा। अतः इस क्षेत्र में कोई भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क देय नहीं होगा।

प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपये का नुकसान

मई 2017 में लेखापरीक्षा के दौरान यह पाया गया कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने विकासकर्ताओं के अनुरोध पर मास्टरप्लान में इंगित भूमि उपयोग को आवासीय में परिवर्तित कर उन्हें शुल्क से मुक्त कर दिया। इस तरह डेवलपर्स को अनुचित लाभ दिया गया और प्राधिकरण को 572.48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस दौरान राज्य में सपा और बसपा की सरकारें रही हैं।

भूमि उपयोग को आवासीय माना जाए

जीडीए के अधिकारियों का तर्क है कि जब हाईटेक टाउनशिप योजना आई तो सरकार की ओर से आदेश आया कि हाईटेक टाउनशिप के तहत मास्टरप्लान के किसी भी भूमि उपयोग को आवासीय माना जाए। जिससे भू-उपयोग परिवर्तन का प्रभार नहीं लिया गया। लेकिन जानकारों का कहना है कि हाईटेक टाउनशिप में आवासीय के साथ-साथ व्यावसायिक गतिविधियां भी हो रही हैं, हालांकि शासनादेश में इसका जिक्र नहीं था।

नियमों के खिलाफ जाकर शमन शुल्क जमा करने का आरोप

प्रवर्तन जोन-2 के मुरादनगर क्षेत्र में पड़ने वाले दिव्य ज्योति संस्थान में शमन शुल्क जमा करने में हुई अनियमितता की जांच हाईटेक टाउनशिप के साथ-साथ विजिलेंस ने भी शुरू कर दी है. इसमें नियमों के खिलाफ जाकर शमन शुल्क जमा करने का आरोप है। इस पूरे मामले में विजिलेंस जांच के बाद कहा गया है कि बड़ा खुलासा किया जाएगा।

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