प्रचार और प्रोपेगेंडा पर टिका है भारत का लोकतंत्र, हर मिनट 16 करोड़ रूपये खर्च होते हैं प्रचार पर- पुण्य प्रसून बाजपेई
पुण्य प्रसून बाजपेई के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा 2014 से 2020 के बीच 6 वर्ष के अंदर प्रचार पर 6704 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। औसतन 1 साल के अंदर प्रचार पर 1170 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
जनज्वार ब्यूरो । देश में हर मिनट पर 16 करोड़ रुपये प्रचार में बहा दिये जाते हैं। पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेई ने देश में सरकार द्वारा प्रचार पर खर्च किए जाने वाले रुपए का आकलन करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। पुण्य प्रसून बाजपेई ने कहा है कि भारत में लोकतंत्र सिर्फ प्रचार और प्रोपेगेंडा के ऊपर ही टिका हुआ है। प्रचार में सरकार द्वारा खर्च किया जाने वाला रूपया अगर स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च किया जाए तो देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहेगी।
दो पिलर पर टिका है भारत का लोकतंत्र...!
— punya prasun bajpai (@ppbajpai) May 13, 2021
1. प्रचार
2. प्रोपेगेंडा
हर मिनट ₹16 करोड़ फूंक दिये जाते हैं प्रचार परhttps://t.co/DTtt35ut47 via @YouTube
पुण्य प्रसून बाजपेई के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा 2014 से 2020 के बीच 6 वर्ष के अंदर प्रचार पर 6704 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। 1 साल का औसत निकाला जाये तो 1 साल के अंदर प्रचार पर 1170 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा प्रतिदिन टीवी(इलेक्ट्रॉनिक मीडिया), प्रिंट मीडिया, इंटरनेट व आउटडोर प्रचार पर एक दिन में 3 करोड़ 6 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं।
अपने आकलन के अनुसार उन्होंने बताया है कि एक वेंटीलेटर की लागत 3 लाख रुपये, ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने में 1.25 करोड़ रुपये और एक वैक्सीन के उत्पादन में 250 रुपये का खर्च आता है। प्रचार में लुटाया गया पैसा वेंटीलेटर खरीदने, ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने और वैक्सीन निर्माण में लगाया गया होता तो आज हालात इतने बुरे ना हुये होते।
पुण्य प्रसून वाजपेयी के ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है।
एक यूजर ने लिखा है- तभी तो ये स्थिति है देश की जनता की।।
लोग मरते हैं तो मरने दो
परिवार बिलख रहे तो क्या हुआ?
मेरा चेहरा बुलंद बना रहे।
कोरोना काल में जब लोग जरूरी दवाओं ऑक्सीजन और अस्पतालों की समस्या का सामना कर रहे हैं ऐसे समय में सेंट्रल विस्टा परियोजना को आवश्यक सेवा घोषित कर 20 हज़ार करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आप को प्रधान सेवक कहते हैं। क्या सेवा करने वाला व्यक्ति कभी अपनी सेवा का प्रचार करता है? क्या सेवा करने वाला व्यक्ति अपनी सेवा के प्रचार और झूठ फैलाने के लिये देश की जनता का पैसा पानी की तरह बहाता है?