Jayalalitha की भतीजी जे दीपा को कानूनी लड़ाई के बाद मिली पोएस गार्डन की चाबी, AIADMK ने कर लिया था कब्जा
17 दिन पहले मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व सीएम जे जयललिता की आवास पोएस गार्डन की चाबियां उनके कानूनी उत्तराधिकारी दीपा को सौंपने का आदेश दिया था। इसके बाद चेन्नई की कलेक्टर जे. विजयारानी ने अधिकृतरूप से चाबियां दीपा को सौंप दी है।
चेन्नई। तमिलनाडु ( Tamilnadu ) की पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके की प्रमुख रहीं जे जयललिता ( J Jayalalitha ) के आवास पोएस गार्डन ( Poes Garden ) की चाबियां अधिकृतरूप से जयललिता की भतीजी जे दीपा ( J Deepa ) को मिल गई है। पोएस गार्डन के हक के लिए कई वर्ष की कानूनी लड़ाई के बाद अंतत: दीपा को अपना हक मिल गया है। इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट ने 24 नवंबर को जयललिता की आवास की चाबियां उनके कानूनी उत्तराधिकारी को सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बाद चेन्नई की कलेक्टर जे विजयारानी ने अधिकृतरूप से चाबियां दीपा को सौंप दीं।
जयललिता के चित्र पर किया माल्यार्पण
पोएस गार्डन की चाबियां मिलने के बाद दीपा ने कहा कि यह एक बड़ी जीत है। मुझे बेहद खुशी है। मैं काफी भावुक महसूस कर रही हूं। चाची के निधन के बाद मैं पहली बार पोएस गार्डन में प्रवेश कर रही हूं। दीपा के साथ उनके पति माधवन और कुछ अन्य लोग भी थे। पोएस गार्डन पहुंचकर दीपा ने जयललिता के चित्र पर माल्यार्पण किया और पुष्प अर्पित किए। दीपा ने कहा कि यह मेरा जन्मस्थल है। मेरा बचपन यहीं बीता। चाची के साथ मेरी बहुत सी बचपन की यादें हैं।
एआईएडीएमके ने हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती
जयललिता की भतीजी दीपा और दीपक के हक में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को AIADMK ने 1 दिसंबर को चुनौती दी। पूर्व कानून मंत्री और AIADMK के विल्लुपुरम डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी सीवी शनमुगन ने अपील किया। इसमें सिंगल बेंच के जज के आदेश को गलत करार देते हुए कहा गया है कि यह कानून के स्थापित प्रस्ताव के विपरीत है। अपील में यह भी दावा किया गया है कि पूरे फैसले को पढ़ने मात्र से पता चलता है कि ये कई कारणों से पक्षपाती है, जिसके लिए अदालत के समक्ष कोई सबूत या दलील उपलब्ध नहीं थी। 2016 में जयललिता के निधन के बाद यह आवास उनके करीबी सहयोगी और पूर्व अंतरिम जेनरल सेक्रेटरी वीके शशिकला की देखरेख में था।
बता दें कि तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता के आलीशान आवास को एआईएडीएमके स्मारक के रूप में बदलना चाहती थी, लेकिन हाईकोर्ट ने दीपा को कानूनी वारिस घोषित करते हुए आवास सौंपने का निर्देश दिया था।
ये है हाईकोर्ट का आदेश
मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एआईएडीएमके सरकार पोएस गार्डन पर कब्जा अवैध था। सरकारी कब्जे में कोई सार्वजनिक हित शामिल नहीं है। कुछ किलोमीटर दूर मरीना ( समुद्र तट ) के साथ जयललिता के लिए पहले से ही 80 करोड़ का स्मारक है।