Jharkhand Dumka News : भीषण गर्मी में कुएं से पानी भी नहीं लेने दे रहे ग्रामीण, 17 आदिवासी परिवार गांववालों के सामाजिक बहिष्कार से परेशान

Jharkhand Dumka News : आपको बता दें कि कुशबोना गांव में बहिष्कार करने की शुरूआत पहली बार वर्ष 2019 में हुई थी। तब कुशबोना गांव के मलिन मड़ैया, नरेश मड़ैया और प्रेमलाल मड़ैया का ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया था...

Update: 2022-04-20 12:15 GMT

Jharkhand Dumka News : भीषण गर्मी में कुएं से पानी भी नहीं लेने दे रहे ग्रामीण, झारखंड के दुमका में 17 परिवार गांव वालों के सामाजिक बहिष्कार से परेशान

Jharkhand Dumka News : झारखंड (Jharkhand) के दुमका (Dumka) में रामगढ़ (Ramgarh) थाना क्षेत्र के अमड़ापहाड़ी (Amdapahadi) पंचायत के कुशबोना गांव (Kushbona Village) के 17 परिवारों का गांव के ग्रामीणों ने बैठक करने के बाद सामाजिक बहिष्कार (Social Boycott) करने का फैसला लिया है। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीणों ने इन परिवार के लोगों को मांझी थान में प्रवेश करने पर भी पाबंदी लगा दी है। खबरों के अनुसार इन परिवारों के लोगों इस गर्मी के मौसम में कूप और कूएं (Well) से पानी भी नहीं लेने दिया जा रहा है। इस प्रताड़ना से तंग आकर मंगलवार (19 April) को पीड़ित परिवारों ने रामगढ़ थाना पहुंच थाना प्रभारी को आवेदन दिया है और न्याय दिलाने की गुहार लगायी है।

आपको बता दें कि कुशबोना गांव में बहिष्कार करने की शुरूआत पहली बार वर्ष 2019 में हुई थी। तब कुशबोना गांव के मलिन मड़ैया, नरेश मड़ैया और प्रेमलाल मड़ैया का ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। मलिन मड़ैया के मुताबिक वर्ष 2019 में उसके बड़े बेटे के साथ गांव के सुरेश हांसदा के बेटे का झगड़ा हुआ था। झगड़ा के बाद गांव में पंचायती हो रही थी और इसी दरम्यान दोनों के पक्षों के बीच मारपीट शुरु हो गई थी।

इस घटना के बाद मलिन मड़ैया के बड़े बेटे ने रामगढ़ थाना में आवेदन देकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी। रामगढ़ थाना में 25 जुलाई 2019 को दोनों पक्षों के बीच सुलहनामा करा दिया गया था। लेकिन इसके अगले ही दिन 26 जुलाई 2019 को गांव के दबंग नींबूलाल सोरेन, हेमलाल सोरेन और बेंजामिन टुडू ने सुरेश हांसदा का पक्ष लेते हुए उसके घर से सटी जमीन को घेर लिया और उसमें खेती करने से मना करते हुए उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

मलिन के मुताबिक इसके बाद गांव के किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में उन लोगों को नहीं बुलाया जाता था। इस घटना के तकरीबन दो वर्ष बाद 2021 में एक अन्य ग्रामीण देवलाल टुडू समेत 14 परिवार को भी नींबूलाल, हेमलाल और बेंजामिन के कहने पर ग्रामीणों ने बैठक कर सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

देवलाल टुडू के मुताबिक उसके पिता की मृत्यु के बाद वह संताल रीति-रिवाज से श्राद्ध कार्यक्रम कर रहा था। इसमें उसके अलावा दोनों भाई परमेश्वर टुडू और सोम टुडू की भी सहमति थी। पर ग्रामीणों ने इस श्राद्ध कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। वहीं जिन लोगों ने इस श्राद्ध कार्यक्रम में भाग लिया उनके परिवारों का भी सामाजिक बहिष्कार किया गया। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले 14 परिवारों का ग्रामीणों ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। यहां तक कि समाज में इन परिवारों को दोबारा शामिल करने के लिए सभी 17 परिवारों से 11500 रुपए राशि की मांग की गयी।

पीड़ित परिवारों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उन लोगों को मांझी थान जैसे धार्मिक स्थल में भी घुसने पर पाबंदी लगा दी गयी है। वहीं किसी भी व्यक्ति के घर में शादी में शामिल होने के लिए आमंत्रण नहीं दिया जाता है। बहरहाल, अब बहिष्कृत परिवारों ने साहस दिखाते हुए रामगढ़ा थाना आकर थाना प्रभारी को आवेदन देकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।

पीड़ितों ने कहा है कि उन लोगों के साथ गांव में अछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा है। वहीं इस मामले में थाना प्रभारी रूपेश कुमार ने बताया है कि ग्रामीणों की ओर से आवेदन दिया गया है। पूरे मामले की जांच पुलिस कर रही है। जांच में जिन लोगों को दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जानकारी के मुताबिक आदिवासी सेंगेल अभियान के सदस्यों ने हक और अधिकार के लिए ग्रामीणों को जागरूक करते हुए उन्हें थाना जाकर आवेदन देने की सलाह दी थी।

Tags:    

Similar News