Jharkhand में हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने पर बैन के हालात में BJP कर सकती है सत्ता में वापसी की कोशिश, पर कैसे?
Jharkhand news : राज्यपाल रमेश बैस द्वारा हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के साथ ही झारखंड में भाजपा ( BJP ) का सियासी खेल शुरू हो जाएगा। जी हां, भाजपा का वही सियासी हथकंडा जिसके लिए वो बदनाम है।
Jharkhand News : महाराष्ट्र में शिवसेना को सत्ता से बेदखल करने के बाद अब भाजपा ( BJP ) की नजर दिल्ली और झारखंड ( Jharkhand ) में पिछले दरवाजे से सत्ता में वापसी करने की है। दिल्ली में आप के पास प्रचंड बहुमत होने की वजह से भाजपा वैसा करने की स्थिति में नहीं है, जैसा वो करना चाहती है, लेकिन झारखंड में सीएम हेमंत सोरेन ( CM Hemant soren ) के चुनाव लड़ने पर बैन लगने की स्थिति में भाजपा अपने हथकंडे के जरिए प्रदेश में सत्ता में वापसी कर सकती है। आप सवाल पूछ सकते हैं कि यह किस आधार पर संभव है, तो मेरा ये जवाब आपके लिए पढ़ना जरूरी है।
दरअसल, जैसे ही सीएम हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के साथ प्रदेश के राज्यपाल रमेश बैस उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करेंगे, ठीक उसी समय भाजपा ( BJP ) का सियासी खेल शुरू हो जाएगा। जी हां, भाजपा का वही सियासी हथकंडा जिसके लिए वो बदनाम हो चुकी है। धन-बल के दम पर तोड़फोड़ के जरिए भाजपा अपनी सियासी मुहिम को अंजाम दे सकती है। खास बात ये है कि भाजपा चाहे जो भी हथकंडा अपनाएगी उसे आप गैर कानूनी नहीं कह सकते है। ऐसा इसलिए कि भाजपा उसे कानूनी जामा पहनाने के लिए तैयार बैठी है।
भाजपा, ऐसा तभी कर पाएगी जब कांग्रेस के विधायक टूटने के लिए तैयार हों। कांग्र्रेस के न टूटने पर भाजपा के लिए पर्दे के पीछे से झारखंड की सत्ता में वापसी कर पाना संभव नहीं है। सियासी समीकरणों के लिहाज से भाजपा काफी मशक्कत के बाद अगर कांग्रेस के दो-तिहाई विधायकों को अपने पक्ष में कर ले तो उसकी सरकार बन सकती है। ऐसा कर भाजपा विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी विधायकों की संख्या को हासिल कर लेगी।
क्या है झारखंड विधानसभा में सियासी समीकरण
झारखंड में हेमंत सोरेन ( Hemant Soren ) के चुनाव पर बैन लगने की स्थिति में सियासी भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। भगदड़ तो झामुमो में भी होने की संभावना है, लेकिन नियमानुसार इसके लिए भाजपा ( BJP ) को झुमुमो 30 विधायकों में से 20 को अपने पाले में करना होगा। इस योजना पर पूरी तरह से अमल करना मुश्किल है। ऐसे में भाजपा कांग्रेस ( Congress ) के 18 विधायकों पर डोरा डाल सकती है। इसके लिए उसे 12 विधायकों को अपने पक्ष करना होगा। कुछ विधायक भाजपा के संपर्क में आ गए हैं। अगर कांग्रेस के 12 विधायक पैसों के लालच और मंत्री पद के लालच में कांग्रेस को गुड बाय कहने के लिए तैयार हो जाते हैं तो भाजपा विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी संख्या को भी हासिल कर लेगी। भाजपा के पास इस समय खुद के 26 विधायक हैं। दो निर्दलीय, दो आजसू और एक निर्दलीय उनके साथ गठबंधन में पहले से ही हैं। यानि भाजपा के पास 31 विधायक हैं। बहुमत के लिए 42 विधायकों का समर्थन चाहिए। इसके लिए कांग्रेस के 10 विधायक चाहिए होगा, लेकिन दल बदल कानून से सदस्यता बचाने के लिए 12 विधायकों को तोड़ना होगा। अगर भाजपा ऐसा कर पाई तो विधानसभा में उसके समर्थन में विधायकों की संख्या 43 हो जाएगी। ऐसा करने के बाद भाजपा आरजेडी के एक मात्र विधायक को भी आसानी से अपने पाले में कर लेगी। यान 81 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा 44 विधायकों का समर्थन हासिल कर सकती है, बशर्ते कि वो कांग्रेस के 12 विधायकों को तोड़ ले। इसके आलवा सत्ता में वापसी की भाजपा के पास और कोई विकल्प नहीं है।
असंतोष तो झामुमो और कांग्रेस दोनों में है
बता दें कि झामुमो ( JMM ) और कांग्रेस ( Congress ) के विधायकों में असंतोष है। झामुमो में असंतोष की गहराई कम है। फिलहाल, झामुमो के 30 में 3 विधायक ही सबकी नजर में पाला बदलने के लिए तैयार है, लेकिन दलबदल कानून के डर से वो वैसा नहीं कर पा रहे हैं। अगर हेमंत सोरेन अपनी पत्नी को सीएम बनाएंगे तो असंतुष्टों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है, पर उतना नहीं, जितना कि महाराष्ट्र में शिंदे ने कर दिखाया। यानि झामुमो विधायकों पर हेमंत की अभी भी पकड़ है। दूसरी तरफ कांग्रेस के 18 में से 10 विधायक पार्टी नेतृत्व से पहले से ही असंतुष्ट हैं। यही वो प्वाइंट है जिसकी वजह से भाजपा हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद सत्ता के खेल में उतर आएगी। भाजपा अभी वेट एंड वाच की मुद्रा है। उसे राज्यपाल के फैसले के आने और सोरेन के इस्तीफे का इंतजार है।
कांग्रेस में मची हलचल, सभी विधायकों को रांची बुलाया
Jharkhand News : मगुरुवार को चुनाव आयोग से चिट्ठी जारी होते ही झारंखड कांग्रेस ( Congress ) में सबसे ज्यादा बेचैनी बढ़ गई। कांग्रेस ने गुरुवार को ही अपने सभी विधायकों को रांची बुला लिया है। गुरुवार देर रात पार्टी के सभी विधायकों.मंत्रियों के साथ प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बैठक की। राज्य में बन रही मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए विधायकों को रांची में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में 18 में से 13 विधायक मौजूद थे। तीन विधायक सस्पेंड हैं जबकि ममता की पिछले हफ्ते ही डिलीवरी हुई है। प्रदीप यादव बीमार हैं लेकिन शुक्रवार सुबह तक रांची पहुंच जाएंगे।