Jharkhand News: झारखंड में 5 साल पहले युवक की हो गई थी मौत, जानिए कैसे जिन्दा हो उठा
Jharkhand News: अशिक्षा का आज भी ऐसा प्रभाव है कि हम किसी अनहोनी घटना को सच मान लेते हैं। इस तरह की कई घटना लगभग रोज देखने सुनने को मिलती हैं, उसका पर्दाफाश भी होता रहता है, बावजूद हमारा उसपर यकीन कर लेता है।
विशद कुमार की रिपोर्ट
Jharkhand News: अशिक्षा का आज भी ऐसा प्रभाव है कि हम किसी अनहोनी घटना को सच मान लेते हैं। इस तरह की कई घटना लगभग रोज देखने सुनने को मिलती हैं, उसका पर्दाफाश भी होता रहता है, बावजूद हमारा उसपर यकीन कर लेता है।
ऐसा ही एक मामला झारखंड सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत राजनगर प्रखंड क्षेत्र के चंगुआ गांव में पिछले 29 जनवरी को सामने आया। खबर फैली कि गांव के पाकू महतो का पांच साल पहले मरा हुआ बेटा पंकज महतो जिंदा वापस लौट आया है। खबर फैैलते ही क्षेत्र के लोग पंकज को देेेेखने उमड़ पड़़े। पाकू महतो का परिवार भी उसे अपना बेटा मान लिया।
दरअसल सरायकेला खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड क्षेत्र के चंगुआ गांव में 29 जनवरी को खबर फैल गई कि 5 वर्ष पूर्व मरा एक युवक जिंदा घर लौटा है। युवक को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। करीब 5 घंटे यह तमाशा चलता रहा। युवक ने पहले पेट भर भोजन किया। फिर अपनी सच्चाई बयां की।
बता दें कि पाकू महतो के बेटे पंकज महतो की 5 वर्ष पूर्व जहरीले सांप के काटने से मौत हो गई थी। परिवार ने शव को नदी में बहा दिया था। मान्यता के अनुसार परिवार को उम्मीद थी कि पंकज जिंदा होकर वापस लौटेगा। इसी बीच मरने वाले युवक से मिलती-जुलती शक्ल का युवक गांव में पहुंच गया। गांव और परिवार के लोगों ने इसे पंकज समझ लिया। युवक कुछ बोल नहीं रहा था। ऐसे में परिवार और गांव वालों का यकीन बढ़ता चला गया। परिवार के लोगों ने बिहार के युवक को अपना बेटा समझकर खूब खातिरदारी की। पेट भर खाना खिलाया। इसके बाद युवक ने अपनी पहचान उजागर की।
युवक ने बताया कि वह बिहार के सहरसा जिले का रहने वाला है। गांव का नाम कांप गोइंट उत्तरवाली टोला है। पिता का नाम महेश्वर प्रसाद है। उसका नाम प्रदीप कुमार यादव है। काम की तलाश में करीब 45 दिन पहले वह भटकते-भटकते झारखंड आ गया। उसके पास खाने-पीने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में वह भोजन की तलाश में एक समारोह में शामिल हो गया। जहां एक परिवार के लोगों ने उसे अपना बेटा समझ मिला। युवक ने बताया कि 39 दिनों से वह केवल पानी पी कर जिंदा था।
चांगुआ गांव में एक भोज कार्यक्रम में ग्रामीणों ने जब युवक को खाना मांगते देखा तो उसे गांव का पांच वर्ष पहले मरा युवक समझ बैठे। पंकज महतो के परिवार के पाकू महतो को मौके पर बुलाया गया। पुरानी तस्वीर से युवक का चेहरा मिलाया गया। युवक देखने में कमोवेश तस्वीर के जैसा ही दिख रहा था। लिहाजा परिवार ने इसे अपना बेटा मान लिया। युवक ने जब इस अपनी कहानी बयां की तब कहीं जाकर स्थिति स्पष्ट हो सकी। लड़के ने अपने मामा का मोबाइल नंबर ग्रामीणों को दिया। पता चला कि वह बिहार से भटकते हुए यहां आ पहुंचा है। जिसके बाद ग्रामीणों ने युवक को सुरक्षित राजनगर पुलिस के हाथों सौंप दिया। जानकारी मिलने के बाद बिहार से युवक के परिजन उसे लेने के लिए झारखंड रवाना हो गए।
समाजशास्त्र के विशेषज्ञ डा. अरूण श्रीवास्तव बताते हैं कि "झारखंड सहित देश के कई हिस्सों में यह मान्यता रही है कि सांप काटने वाले व्यक्ति के शव को जलाया अथवा दफनाया नहीं जाता। लोग इसे नदी में प्रवाहित कर देते हैं। लोगों का विश्वास है कि सांप काटने का जहर धीरे धीरे कम होने के बाद लोग जिंदा हो जाते हैं और ठीक होकर वापस लौटते हैं, लेकिन यह पूरी अवधारणा अंधविश्वास पर कायम है। अब तक मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं है, जिसमें कोई व्यक्ति मरने के बाद फिर जिंदा होकर वापस लौटा हो लेकिन लोग अपनी धार्मिक आस्था के आधार पर परंपराओं का निर्वहन करते हैं।"