Jhansi News: जिस झांसी को 'वीरांगना लक्ष्मीबाई' से अंग्रेज भी नहीं छीन सके, उसे अंततः मोदी-योगी ने छीन कर दिखा दिया
Jhansi News: झांसी का नाम लेते ही लोग कहते थे अच्छा झांसी वाली रानी, वही शहर। ऐसा कहने वाले लोग अक्सर यह भी नहीं जानते थे कि झांसी बुंदेलखंड में है या उत्तर प्रदेश में। झांसी अपने आप में मुकम्मल पहचान थी...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
Jhansi News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन (Jhansi Railway Station) का नाम अब बदल दिया है। अब इसे 'वीरांगना लक्ष्मीबाई' के नाम से जाना जाएगा। योगी-आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि, 'यूपी में झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर 'वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन' कर दिया जाएगा।' राज्य सरकार ने कुछ माह पहले केंद्र सरकार को झांसी रेलवे स्टेशन का नामकरण वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम पर करने का प्रस्ताव भेजा था।
इस संबंध में बुधवार 29 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर दी गई। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि, 'रेल मंत्रालय से आधिकारिक आदेश मिलते ही मंडल रेल प्रशासन नाम बदलने की विभागीय प्रक्रिया शुरू कर देगा। इसके तहत स्टेशन कोड में भी बदलाव किया जाएगा। झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव तीन महीने पहले गृह मंत्रालय को भेजा गया था। केंद्र द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद झांसी इस सूची में नवीनतम जोड़ा गया स्टेशन है।'
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बबेले कहते हैं, 'झांसी रेलवे स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन रख दिया गया। यह कल्पना से परे की बात थी कि महारानी लक्ष्मीबाई का नाम झांसी के बिना भी लिया जा सकता है। बल्कि महारानी की ख्याति ही झांसी वाली रानी के रूप में है। झांसी वाली रानी नाम इतना विख्यात है कि दिल्ली सहित कई शहरों में सड़कों के नाम रानी झांसी रोड हैं। कई दक्षिण भारतीय महिलाओं के नाम रानी झांसी रखे जाते हैं। महारानी के बारे में सबसे प्रसिद्ध कविता में भी उन्हें झांसी वाली रानी ही कहा गया है। रानी लक्ष्मीबाई का प्रसिद्ध वाक्य भी यही है कि, 'मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।'
महारानी लक्ष्मी बाई से जो झांसी अंग्रेज भी नहीं छीन पाए उसे अंततः मोदी और योगी की सरकार ने छीन कर दिखा दिया। अब तक भारत के हर कोने में मुझे अपने शहर का परिचय देने में बिल्कुल दिक्कत नहीं आती थी। झांसी का नाम लेते ही लोग कहते थे अच्छा झांसी वाली रानी, वही शहर। ऐसा कहने वाले लोग अक्सर यह भी नहीं जानते थे कि झांसी बुंदेलखंड में है या उत्तर प्रदेश में। झांसी अपने आप में मुकम्मल पहचान थी।
शहरों के नाम अपने आप में संस्कृति, इतिहास और स्मृति के संपूर्ण दस्तावेज होते हैं। नाम परिवर्तन के बाद यह रेलवे स्टेशन भी बाहर के लोगों के लिए अपना ऐतिहासिक महत्व खो देगा। और उसके साथ ही झांसी वाली रानी की कीर्ति कथा भी सहज रूप से स्मृति में नहीं उभरेगी। सम्मान करने के फेर में आप वीरांगना को विस्मृत कर रहे हैं। मथुरा के बिना कृष्ण नहीं हो सकते, अयोध्या के बिना राम नहीं हो सकते, झांसी के बिना लक्ष्मीबाई नहीं हो सकतीं।1857 की महान क्रांति की महानतम वीरांगना से उसके शहर का नाम अलग करके महान मूर्खता का परिचय दिया जा रहा है।
अब तक इतने नामों में हो चुका है परिवर्तन
इससे पहले इसी तरह के एक निर्णय में योगी आदित्यनाथ सरकार ने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया था। भाजपा सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और मुगलसराय रेलवे जंक्शन का नाम पं दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया था। अब झांसी रेलवे स्टेशन का नाम 1857 की क्रांति का चेहरा रहीं रानी लक्ष्मीबाई के नाम के नाम पर किया गया है। बता दें कि रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी भी कहा जाता है, ऐसे में उनके नाम से रेलवे स्टेशन का नाम होना, एक बड़े प्रतीक के तौर पर देखा जा सकता है।