Kashmiri Pandit Killing: कितनी वाजिब है कश्मीरी पंडितों की जम्मू भेजे जाने की ज़िद? नतीजे हो सकते हैं गंभीर

Kashmiri Pandit Killing: कश्मीर के कुलगाम में रजनी बाला की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों की और तेज हुई यह मांग कितनी वाज़िब है कि उनकी जान पर खतरे को देखते हुए उन्हें जम्मू भेज दिया जाए?

Update: 2022-06-01 11:22 GMT

Kashmiri Pandit Killing: कितनी वाजिब है कश्मीरी पंडितों की जम्मू भेजे जाने की ज़िद? नतीजे हो सकते हैं गंभीर

Kashmiri Pandit Killing: कश्मीर के कुलगाम में रजनी बाला की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों की और तेज हुई यह मांग कितनी वाज़िब है कि उनकी जान पर खतरे को देखते हुए उन्हें जम्मू भेज दिया जाए? क्या इससे घाटी में पाकिस्तान परस्त आतंकवाद को और शह नहीं मिलेगी ? इन दोनों सवालों से जुड़ा एक और सवाल यह है कि क्या उप राज्यपाल के पास कश्मीरी हिंदुओं की मांग को मानने के अलावा दूसरा कोई विकल्प है, खासतौर पर तब जबकि घाटी में हिंदुओं पर आतंकी हमलों का खतरा लगातार बढ़ रहा है? रजनी बाला जम्मू के सांबा सेक्टर की रहने वाली हैं। उन्हें कुलगाम में एक स्कूल में बतौर शिक्षिका पदस्थ किया गया था। मंगलवार को आतंकियों ने स्कूल में घुसकर उनकी हत्या कर दी। रजनी बाला के पति की तैनाती भी कुलगाम में ही है।

आतंकियों की बदली रणनीति से निपटने में नाकाम प्रशासन

कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों ने सुरक्षा बलों के दबाव में अपनी रणनीति को बीते 4 महीने में बदला है। पुलिस के एक आला अधिकारी बताते हैं कि स्थानीय युवाओं को बहला-फुसलाकर आतंकियों ने उन्हें पिस्तौल थमा दिए हैं। ऐसे में सामान्य नागरिक और आतंकियों के बीच फर्क करना अब और मुश्किल हो गया है। पहले आतंकी एके-47 या एके-56 राइफलों से लैस होते थे, जिन्हें सामान्य नागरिकों से छिपाना खास मुश्किल होता था। लेकिन जेब में पिस्तौल लिए निशाना ढूंढ रहे आतंकियों की पहचान न केवल मुश्किल होती है, बल्कि वारदात के बाद ऐसे आतंकियों के आम लोगों की भीड़ में गुम हो जाने की आशंका भी बनी रहती है। रजनी बाला के मामले में भी यही हुआ। वारदात करने के बाद आतंकी भीड़ में गायब हो गए। ऐसा नहीं है कि प्रशासन को आतंकियों की बदली नीति की खुफिया खबर नहीं है। पिछले साल 7 अक्टूबर को आतंकियों ने घाटी में दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी। उससे दो दिन पहले ही कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल को पत्र लिखकर खुफिया सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया था कि आतंकी घाटी में कश्मीरी हिंदू पंडितों को निशाना बनाने की फिराक में हैं, लिहाजा उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जाए। उसके दो दिन बाद ही अनंतनाग में दोनों शिक्षकों की हत्या हो गई। समिति के संजय टिक्कू कहते हैं कि प्रशासन ने सुरक्षा तो दूर, मिलने तक का समय नहीं दिया।


यह होनी चाहिए प्रशासन की नीति

प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत जम्मू से लाकर घाटी में बसाए गए उन 5928 कर्मचारियों को पूरी सुरक्षा देना प्रशासन की जिम्मेदारी है। इनमें से 1037 लोगों को ही मकान बनाकर दिए गए हैं। बाकी किराए के मकानों में रहते हैं। प्रशासन को चाहिए था कि बजाय इन कर्मचारियों को किराए के मकान में रखने के, उन्हें होटलों, गेस्ट हाउस या ऐसे किसी सुरक्षित परिवेश में रखा जाता, जहां उन पर आतंकी हमले का जोखिम न्यूनतम हो। कश्मीरी पंडितों के लिए सुरक्षित आवास के रूप में उत्तरी कश्मीर सबसे अच्छा विकल्प है। वहां से उनके कार्यस्थल आने-जाने के लिए वाहनों का इंतजाम, पुलिस की सुरक्षा और आवासीय परिसर में भी पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए जाने चाहिए थे, जो नहीं किए गए। यहां तक कि सरकारी कार्यालयों में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। आतंकियों का निशाना बनीं हाईस्कूल टीचर रजनी बाला के परिजनों ने ही प्रशासन पर सुरक्षा में लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं।

घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ लगातार सघन अभियान चलाने वाली सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को यह अच्छी तरह मालूम होता है कि आतंकी किसी भी वारदात को करने से पहले रेकी करते हैं। इसे देखते हुए प्रशासन को कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को एस्कॉर्ट वाहन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। साथ ही घर से दफ्तर के उनके रूट को भी योजनाबद्ध तरीके से बदलना चाहिए।

अगर पलायन हुआ तो उसके गंभीर नतीजे होंगे

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से अब तक 14 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई है। घाटी में कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं को निशाना बनाकर लगातार बढ़ती आतंकी वारदातों से डरे हुए कश्मीरी पंडितों ने प्रशासन से जम्मू भेजने की मांग की है। पिछले 20 दिन से प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने प्रशासन को सामूहिक पलायन का अल्टीमेटम तक दे दिया है। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इससे पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों को प्रश्रय मिलेगा और वे घाटी में और भी बड़ी संख्या में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले करेंगे। बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में पार्टी के घोषणा पत्र में कश्मीरी हिंदुओं को गरिमामय, सुरक्षित और सुनिश्चित आजीविका के साथ घाटी में पुर्नस्थापित करने का वादा किया था। कश्मीरी पंडितों के सामूहिक पलायन से यह वादा तो टूटेगा ही, साथ में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से ऑल इज वेल का जो प्रचार जारी है, उसे भी तगड़ा झटका लग सकता है।

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