Rajiv Gandhi Foundation: मोदी सरकार ने रद्द किया राजीव गांधी फाउंडेशन का लाइसेंस, कांग्रेस बोली ये डर भी ठीक है
Rajiv Gandhi Foundation: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गांधी परिवार को कथित तौर पर बड़ा झटका दिया है। गांधी परिवार की तरफ से संचालित राजीव गांधी फाउंडेशन यानी RGF को मोदी सरकार ने विदेशी चंदा लेने का अधिकार समाप्त कर दिया है...
Rajiv Gandhi Foundation: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गांधी परिवार (Gandhi Family) को कथित तौर पर बड़ा झटका दिया है। गांधी परिवार की तरफ से संचालित राजीव गांधी फाउंडेशन यानी RGF को मोदी सरकार ने विदेशी चंदा लेने का अधिकार समाप्त कर दिया है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक नियमों का उल्लंघन पाये जाने के बाद इस गैर सरकारी संगठन का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।
कहा जा रहा है कि केंद्र के इस फैसले से भाजपा और कांग्रेस (BJP & Congress) के बीच नए सिरे से तनातनी के आसार बनते दिख रहे हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना 21 जून 1991 को हुई थी। ये संगठन शिक्षा, विज्ञान और तकनीक के प्रमोशन समेत दिव्यांगों और गरीबों के लिए काम करता है। इसका खर्च दान और इनवेस्टमेंट से चलता है। संस्था की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पी. चिदंबरम इसके ट्रस्ट में शामिल हैं।
भाजपा का आरोप था कि साल 2005-6 में राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से 3 लाख डालर यानी तब के 90 लाख रूपये लिये थे। फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट के हवाले से BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये आरोप लगाया था। इसके अलावा ये भी आरोप था कि उसके जरिए पीएम रिलीफ फंड का पैसा डाइवर्ट किया गया था। ये रकम फंड से RGF को दी गई थी। इससे कई साल पहले फाउंडेशन एक और विवाद में घिरा था।
तब आरोप लगा था कि आतंकियों से रिश्ते रखने के आरोपी जाकिर नाइक ने राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रूपये दिये थे। फाउंडेशन ने ये रकम लौटा दी थी। भाजपा ने कहा ता कि रकम लौटाकर कांग्रेस बेवकूफ बना रही है। जाकिर नाइक साल 2016 से भगोड़ा है और मलेशिया में रहता है। उसके खिलाफ कट्टरता फैलाने और मनी लाड्रिंग का केस है।
केंद्र की मोदी सरकार ने 2020 में राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच कराने के आदेश दिये थे। गृह मंत्रालय ने इसके लिए अंतर मंत्रालयी कमेटी गठित की थी। जांच का काम प्रवर्तन निदेशालय EDके स्पेशल डायरेक्टर को दी गई थी। जांच में पता करना था कि दोनों ट्रस्ट ने नियमों का उल्लंघन किया अथवा नहीं। इन तीनों ट्रस्टों के संचालकों पर मनी लांड्रिंग और इनकम टैक्स के नियमों को तोड़ने का आरोप लगा था।