जमानत के बाद पहली बार खुलकर बोले मोहम्मद जुबैर, कहा - ' जिन मामलों में केस दर्ज हो रहा था उसने मुझे डरा दिया था '

सारा खेल खुलकर हुआ। मेरे खिलाफ ट्विटर पर बकायदा एक तूफान खड़ा किया गया। उस समय देश में जो कुछ हुआ, मुझे उसका दोषी ठहराते हुए ट्विटर पर पूरी मुहिम चलाई गई।

Update: 2022-07-24 06:24 GMT

ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को अभी तक नहीं मिले लैपटॉप और गैजेट्स, वजह पूछने पर पुलिस से कोर्ट को मिले ये जवाब

नई दिल्ली। पैगंबर मोहम्मद ( Prophet mohammad ) के खिलाफ नुपुर शर्मा ( Nupur sharma ) के बयान को ट्विट करने के मामले में जमानत पर छूटने के बाद ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद जुबैर ( Mohammad Zubair ) जेल से रिहा होकर वापस अपने घर बेंगलुरु पहुंच चुके हैं। उन्होंने इस मसले पर द हिंदू से खुलकर बात की। बातचीत के क्रम में अपनी गिरफ्तारी की वजह के जवाब में मोहम्मद जुबैर ने कहा कि मैं सच कहूं तो मुझे अपने गिरफ्तार होने का अनुमान पहले से लग गया था।

मेरे खिलाफ सारा खेल खुलकर हुआ

ऑल्ट न्यूज में काम करते हुए मैं और प्रतीक सिन्हा हमेशा से ये जानते थे कि हमें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है लेकिन जब मैंने भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा ( Nupur sharma ) का एक क्लिप पोस्ट किया जो वायरल हो गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसे लेकर प्रतिक्रियाएं आने लगीं, तो मैं एकदम श्योर हो गया था कि मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है। मोहम्मद जुबैर आगे कहते हैं - सारा खेल छिप-छिपाकर भी नहीं हुआ। ट्विटर पर बकायदा एक तूफान खड़ा किया गया। मेरे खिलाफ हैशटैग चलाकर मेरी गिरफ्तारी की मांग की गई। उस समय देश में जो कुछ हुआ, मुझे उसका दोषी ठहराते हुए ट्विटर पर पूरी मुहिम चलाई गई।

छोड़ दी थी जमानत की उम्मीदें

उन्होंने ( Mohammad Zubair ) कहा कि जब गिरफ्तारी से लेकर जमानत मिलने तक पुलिस-फोर्सेज और जेल अधिकारियों ने मेरे साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार ही किया लेकिन मेरे खिलाफ जो मामले वो दर्ज कर रहे थे, उसने मुझे डरा दिया था। दिल्ली मामले में मुझे जब तिहाड़ जेल भेजा गया तो मुझे अपने लिए जमानत की उम्मीद थी, पर मेरे खिलाफ यूपी में सात एफआईआर दर्ज हो गईं और उनकी जांच के लिए एक एसआईटी भी गठित कर दी गई। तब मैंने अपनी सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक

मैं ( Mohammad Zubair ) खुद को लंबे समय तक जेल में रहने के लिए तैयार कर रहा था। मुझे डर था कि मुझे किसी बड़े मामले में फंसाया जा रहा है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) का फैसला मेरे लिए बहुत मायने रखने वाला है। मुझे लगता है कि जो लोग भी सत्ता के निशाने पर हैं, उन लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करने के वाला यह एक ऐतिहासिक फ़ैसला है।

खुद के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाना चाहती है सरकार

जुबैर ( Mohammad Zubair ) का कहना है कि सरकार असहमति रखने वाली सभी आवाजों, फ़ैक्ट-चेकर्स और पत्रकारों को चुप करा देना चाहती है। खासकर तब जब वे आपको अपने आलोचक के रूप में देखते हैं। मुझे भरोसा है कि मेरे धर्म का भी इसमें कोई छोटा रोल तो नहीं ही होगा। मुझे दूसरे को चुप करने के लिए एक उदाहरण बनाया गया है। सरकार की ओर से संदेश साफ है सरकार अगर चाहे तो कई राज्यों में 10-15 रैंडम एफआईआर दर्ज कर सकती है और आपको सालों तक जेल में रख सकती है।

बता दें कि जुबैर मोहम्मद ( Mohammad Zubair ) अपने खिलाफ दर्ज कई एफआईआर ( FIR ) के कारण दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 23 दिन तक जेल और पुलिस कस्टडी में रहे और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद घर लौट आये हैं।

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