Muzaffarpur News: बिहार में खाप पंचायत का सच आया सामने, विधवा को तड़ीपार कर आंगनबाड़ी सेविका से हटाने की थी साजिश

Muzaffarpur News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में विधवा के शादी रचाने पर पंचों के गांव छोड़ने का फरमान जारी करने के बाद दंपति दहशत के आलम में जी रहे हैं। इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर पुलिस प्रशासन की चुप्पी बरकरार है।

Update: 2022-07-24 08:24 GMT

Muzaffarpur News: बिहार में खाप पंचायत का सच आया सामने, विधवा को तड़ीपार कर आंगनबाड़ी सेविका से हटाने की थी साजिश

Muzaffarpur News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में विधवा के शादी रचाने पर पंचों के गांव छोड़ने का फरमान जारी करने के बाद दंपति दहशत के आलम में जी रहे हैं। इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर पुलिस प्रशासन की चुप्पी बरकरार है। इस बीच विधवा विवाह को सामाजिक कलंक की बात कहने वाले हेडमास्टर से लेकर अन्य के पंचायत बुलाने का राज अब खुलकर सामने आने लगा है। पंचों की असली मंशा विधवा को गांव से भगाकर उसके आंगनबाड़ी सेविका के पद पर अपनों की तैनाती कराने की रही है।

इस खबर को प्रकाशित करने के बाद जनज्वार ने इस पूरे प्रकरण के तह तक जाने की कोशिश की तो पंचों के असली नियत जो अब तक राज बने हुए थे, वे खुलकर सामने आ गए। मानसीक यातना झेल रहे नव दंपति के रिश्ते बनने के पहले की कहानी यूं है। देवरिया कोठी थाना क्षेत्र के चांदकेवारी पंचायत के धरफरी गांव की अनुराधा देवी के पति एक वर्ष पूर्व गुजर गए। इसके बाद अनुराधा सास-ससुर के मदद से अपने ही घर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र पर सेविका का कार्य करने लगी। तीन बच्चों की मां अनुराधा के आंगनबाड़ी के कार्य में गांव का ही युवक धर्मेंद्र हाथ बंटाता था। इसके चलते गांव में दोनों की नजदीकीयों को लेकर तरह तरह की चर्चाएं होने लगी।

आखिरकार अंत में अनुराधा के मुताबिक दोनों ने शादी रचाकर गांव समाज के जुबान पर ताला लगाने का फैसला किया। फैसले के मुताबिक 16 जून 2022 को पूर्वी चंपारण के केसरिया मंदिर में दोनों ने शादी रचा ली। इसके बाद गांव आने पर कुछ लोगों ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए धर्मेंद्र के परिवार पर दबाव बनाने लगे। लेकिन धर्मेंद्र के भाई ने गांव वालों के किसी भी दबाव को मानने से इंकार कर दिया। साथ ही कहा कि धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ जहां भी चाहे रहे हमें कोई एतराज नहीं है। इसके बाद भी कुछ लोगों के दबाव को देखते हुए धर्मेंद्र व अनुराधा ने 15 जुलाई को मुजफ्फरपुर न्यायालय में शादी को कानूनी रूप दिला दिया।

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17 जुलाई को विद्यालय कक्ष में हुई पंचायत

विधवा विवाह को लेकर हुई पंचायत का एक वीडिओ वायरल हो रहा है। जिसके मुताबिक 17 जुलाई को गांव के विद्यालय में एक पंचायत बुलाई जाती है। जिसकी अगुवाई हेडमास्टर जयराम साह ने की। जिसमें कामेश्वर साह, वार्ड सदस्य समेत अन्य ने प्रमुख भूमिका निभाई। पंचायत में तय किया गया कि विधवा विवाह कलंक है। इससे गांव की प्रतिष्ठा दाव पर है। ऐसे में ये दंपति गांव छोड़ दे नही ंतो हर्जाना के रूप में तीन लाख रूपये दे। हालांकि यह रूपये किसे देने है, यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है। गांव के कुछ लोगों का कहना है कि तीन लाख रूपये इनके देने की स्थिति नहीं है। इसलिए ही यह अर्थदंड लगाया गया। साथ ही कहा गया कि रूपये न देने की स्थिति में 25 जुलाई तक गांव छोड़ दें। खास बात है कि अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां तक की विद्यालय परिसर में पंचायत आयोजित करने को संज्ञान में लेकर शिक्षा विभाग के तरफ से भी कोई नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं समझी गई।

आंगनबाड़ी सेविका को हटाने की है मंशा

पीड़िता अनुराधा गांव में आंगनबाड़ी सेविका है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अनुराधा के गांव छोड़ देने की स्थिति में यह पद खाली हो जाएगा। ऐसे में पंचायत की अगुवाई करनेवाले हेडमास्टर की इच्छा है कि वह अपने भाई की पत्नी को सेविका बनवा देगा। जबकि एक अन्य पंच की पत्नी आंगनबाड़ी केंद्र पर सहायिका हैं। अनुराधा के हटने पर उसे वह सेविका बना देना चाहता है। पंच के नाम पर कुछ लोगों की आंतरिक रणनीति ने ही पंचायत बलाने की स्थिति पैदा की। जिसमें 25 जुलाई तक गांव छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया।

शिकायत के बाद भी पुलिस नहीं की कार्रवाई

इस पूरे प्रकरण की गंभीरता इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि बिहार सरकार के एजेंडे में विकास के साथ ही समाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान पर भी लगातार जोर रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि सामाजिक कुरीतियों को खत्म किए बिना असली विकास संभव नहीं है। इस बीच विधवा विवाह के पक्ष में पिछले छह दशक से अभियान चलाने के बाद भी स्थिति यह है कि समाजिक कुपमंडुकता के शिकार सामाजिक कुरीतियों से उबर नहीं पा रहे हैं। इसी क्रम में मुजफ्फरपुर की यह घटना भी प्रकाश में आई है। खाप पंचायत के तर्ज पर पंचो के इस फैेसले को सभ्य समाज में कहीं जगह नहीं मिल सकती। इसके बाद भी ग्रामीणों के बीच पंचों ने दंपति को गांव छोड़ने का फरमान सुनाकर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ चल रहे अभियान को चुनौती दी है। इसके बाद भी इस प्रकरण में प्रशासनिक लापरवाही बरकरार है।

इस संबंध में पूछे जाने पर थानाध्यक्ष उदय कुमार सिंह ने कहा कि दोनो वालिग है। इनके स्वयं के फैसले पर पंचायत कोई दबाव नहीं बना सकता। पंचो के खिलाफ मिली शिकायत की जांच कराई जा रही है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि पंचायत तुगलकी फरमान के बाद भी पुलिस अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि नव दंपति तड़ीपार के फरमान से दहशत में है।

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