रामदेव के गुरुकुलम स्कूल ने 4 बच्चों को 2 लाख के लिए बना लिया था बंधक
परिजनों ने पत्र में में बताया कि बच्चों की माताएं बच्चों के बिना रह नहीं पा रही हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि परिवार में अत्यावश्यक कार्य व माताओं की तबियत तकलीफदेह स्थिति में होने के कारण माताओं का बच्चों के बिना जीना मुश्किल होते जा रहा है। लेकिन गुरुकुलम का प्रशासन रूपयों की मांग पर अड़ा रहा।
जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। हरिद्वार स्थित पतंजलि गुरुकुलम में अध्ययन करने वाले 4 बच्चों को छोड़ने के बदले गुरुकुलम प्रबंधन द्वारा 2 लाख रुपये की मांग करने का मामला सामने आया है। एक बच्चे की सिक्योरिटी मनी के रूप में 50 हजार रुपये माँगे गये थे। 4 बच्चों के लिये कुल 2 लाख रुपये की मांग की गयी थी।
आपको बता दें छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के देवभोग ब्लॉक के धौराकोट में रहने वाले शिक्षक कौशल सिन्हा व उनके साले परमेश्वर ने अपने बच्चों को पतंजलि वैदिक गुरुकुलम, हरिद्वार में 5 अप्रैल 2021 को दाखिल करवाया था। इन चार बच्चों की कुल फीस 2 लाख 25 हजार रुपये जमा की गई थी। 26 मई को वे अपने ससुर ललित राम सिन्हा के साथ चारों बच्चों से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने गुरुकुलम पहुँचकर बच्चों से मिलने की मांग की। कोरोना जांच का हवाला देकर उन्हें बच्चों से नहीं मिलने दिया गया। उरमाल अस्पताल की रिपोर्ट को भी मान्य नहीं किया गया।
अभिभावकों ने दोबारा रुड़की में भी जांच कराई लेकिन गुरुकुलम का प्रबंधन नहीं माना। उसके बाद उनसे कहा गया कि पतंजलि में जांच कराना अनिवार्य है। रिपोर्ट 4 दिनों बाद आएगी तब ही मिलने दिया जाएगा। अव्यवस्था व पारिवारिक कारणों से परिजनों ने बच्चों को वापस ले जाने की ठानी। जब गुरुकुलम प्रबंधन से बच्चों को वापस ले जाने हेतु परिजनों ने आवेदन किया तब उनसे सिक्योरिटी मनी के रूप में 2 लाख रुपये की मांग की गई।
परिजनों ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को खत लिखकर बच्चों की सुपुर्दगी कराने हेतु आवेदन दिया-
मामले में बच्चों की सुपुर्दगी हेतु परिजनों ने हरिद्वार के जिला अधिकारी व मुख्य शिक्षा अधिकारी को मार्मिक पत्र लिखा। पत्र में अभिभावक लिखते हैं- हमने 26 मई को बच्चों को घर ले जाने हेतु गुरुकुलम प्रबंधन को लिखित आवेदन दिया था लेकिन प्रबंधन द्वारा बच्चों को छोड़ने के एवज में 27 मई को उनसे प्रति बच्चे 50 हजार रुपये, 4 बच्चों के लिये 2 लाख रुपये की सिक्योरिटी मनी की मांग की गई थी। एक महीने पहले ही 5 अप्रैल को परिजनों ने गुरुकुलम में 2 लाख 25 हजार रुपये जमा कर बच्चों का प्रवेश कराया था।
परिजनों ने पत्र में बताया कि बच्चों की माताएं बच्चों के बिना रह नहीं पा रही हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि परिवार में अत्यावश्यक कार्य व माताओं की तबियत तकलीफदेह स्थिति में होने के कारण माताओं का बच्चों के बिना जीना मुश्किल होते जा रहा है। लेकिन गुरुकुलम का प्रशासन रूपयों की मांग पर अड़ा रहा।
अधिकारियों की सक्रियता व सरकारी हस्तक्षेप पर बच्चों को छोड़ने को मजबूर हुआ गुरुकुलम-
अभिभावकों द्वारा पत्र जारी होने के बाद अधिकारी भी हरकत में आ गये। इस मामले में गरियाबंद के जिलाधिकारी नीलेश क्षीरसागर ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने हरिद्वार के डीएम से फोन पर संपर्क किया। कई दौर की बातचीत के बाद बच्चों को छुड़वाने में सफलता मिली। मामले में छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री सचिवालय को भी दखलंदाजी करनी पड़ी।