सैफई में अंतिम दर्शन के लिए जुटी भीड़ से साफ है मुलायम सिंह यादव हमेशा उनके 'नेता जी ' बने रहेंगे
Mulayam Singh Yadav funeral : अपने नेतृत्व शैली की वजह से मुलायम सिंह यादव सभी बिरादरी के लोगों को साधने में सफल हुए। इसलिए लोग उन्हें अपनेपन में नेता जी के नाम भी पुकारते हैं।
Mulayam Singh Yadav funeral : समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh yadav ) का आज यानि 11 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव सैफई ( Safai ) में तीन बजे अंतिम संस्कार ( Mulayam Singh yadav funeral ) होगा। एक दिन पहले गुरुग्राम के मेदांता अस्तपताल में उनका निधन हो गया था। इस बीच सैफई में रात भर मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने के लिए लोगों का हुजूम लगा रहा। रात भर नेता जी अमर रहे के नारे लगते रहे। लोगों की भीड़ से साफ है कि समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव कल भी उनके नेता थे और आगे भी उनके नेता जी ( Neta Ji ) बने रहेंगे।
दरअसल, आजाद भारत में यादव बिरादरी से दो सबसे बड़े नेता हुए। एक यूपी से मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh Yadav ) तो दूसरे नंबर पर बिहार से लालू प्रसाद यादव हैं। दोनों देश के जमीनी नेता हैं, लेकिन सम्मान से देशभर में लोग मुलायम सिंह यादव को ही नेता जी कहते हैं। पता हैं क्यों, क्योंकि मुलायम सिंह सभी बिरादरी के लोगों को साधने में सफल हुए। इसलिए वो नेता जी के नाम भी लोकप्रिय हुए। शुरुआती दौर में उन्हें लालू की तरह केवल मुसलमानों या यादवों का हितैषी माना गया लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने सबको साध लिया।
ऐसे बने मुलायम सिंह नेताजी
इससे पहले केवल सुभाष चंद्र बोस को लोग प्यार से नेता जी कहकर बुलाते रहे हैं, लेकिन आजादी के बाद देश में सिर्फ एक नाम हैं जिनके आगे लोग नेता जी शब्द सम्मान व अपनेपन के भाव से लगाते हैं। इससे पहले अपने अलग अंदाज के लिए स्वतंत्रता आंदोलन की अगवानी करने वाले सुभाष चंद्र बोस को नेताजी कहा गया। आजाद भारत के नेता जी ( Neta Ji ) के रूप में मुलायम सिंह यादव चर्चित हुए।
एक दौर था जब उन्हें सिर्फ मुसलमानों और यादवों का नेता बताने की कोशिश हुई। विरोधियों ने उन्हें मुल्ला मुलायम साबित करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अपने प्रयासों से इस मुहिम को न केवल गलत साबित किया बल्कि लगातार अपने सामाजिक आधार को विस्तार दिया। इस प्रयास में उन्होंने उच्च-जाति के कुछ समुदायों, विशेषकर ठाकुरों को अपने वोट बैंक में शामिल किया। ऐसे लोगों में पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र, बेनी प्रसाद वर्मा, पूर्व सांसद मोहन सिंह, पूर्व मंत्री भगवती सिंह और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम शरण दास उनके सबसे करीबी लोगों में शुमार रहे। अमर सिंह के साथ उनका घनिष्ठ संबंध जगजाहिर है।
मुलायम सिंह यादव के चारों ओर विभिन्न जातियों और वर्गों के नेता थे, जिससे उन्हें व्यापक समर्थन मिला। विरोधी विचारधारा यानि भाजपा के नेताओं से भी उनका बहुत करीब का नाता रहा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और अब पीएम मोदी से उनका करीबी का नाजा जगजाहिर है। न्याय की बात करते हुए भी उन्होंने कभी किसी जाति के खिलाफ सार्वजनिक रूप से विद्वेष की भावना व्यक्त नहीं की। सामूहिकता की उनकी इसी खूबी ने उन्हें नेताजी बनाया बनाया।
Mulayam Singh Yadav funeral Today : बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में 10 अक्तूबर 2022 गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। वह राजनीति में 'नेता जी' के नाम से मशहूर थे। इसके अलावा उनके समर्थक उन्हें 'धरतीपुत्र' भी कहते थे। उनके राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें 'मुल्ला मुलायम' भी पुकारा।