Supreme Court on Sedition Law : SC का ऐतिहासिक फैसला, राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज करने पर लगाई रोक

Supreme Court on Sedition Law : सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार होने तक राजद्रोह कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने पर लगाई रोक।

Update: 2022-05-11 06:49 GMT

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Supreme Court on Sedition Law : राजद्रोह या देशद्रोह के मुद्दे पर बुधवार को सु्प्रीम कोर्ट (  Supreme Court )में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इस मसले पर ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकार द्वारा राजद्रोह कानून ( Supreme Court Ban on Sedition Law ) पर पुनर्विचार होने तक केस दर्ज करने पर रोक लगा दी है। यानि अगामी फैसला आने तक पुलिस अधिकारी लोग राजद्रोह कानून के तहत किसी के खिलाफ केस नहीं दर्ज कर सकेंगे। 

लंबित मामलों पर यथास्थिति के आदेश

सुप्रीम कोर्ट अपने ताजा आदेश में कहा है कि पुनर्विचार तक राजद्रोह कानून ( Sedition Law ) यानी 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए। लंबित मामले पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं और वो इसी आरोप में जेल में बंद हैं वो जमानत के लिए समुचित अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं।

ताजा आदेश जारी करने से पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून (Sediton Law) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि हमने राज्य सरकारों को जारी किए जाने वाले निर्देश का मसौदा तैयार किया है। उसके मुताबिक राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश होगा कि बिना जिला पुलिस कप्तान यानी एसपी या उससे ऊंचे स्तर के अधिकारी की मंजूरी के राजद्रोह की धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। इस दलील के साथ सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि फिलहाल इस कानून पर रोक न लगाई जाए। एसजी ने कोर्ट को ये भी बताया कि पुलिस अधिकारी राजद्रोह के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने के समर्थन में पर्याप्त कारण भी बताएंगे। कानून पर पुनर्विचार तक वैकल्पिक उपाय संभव है।

वहीं याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील रखते हुए वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से मांग रखी थी कि राजद्रोह कानून पर तत्काल रोक लगाने की जरूरत है। दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार ने इस कानून पर पुनर्विचार के लिए कहा है, लिहाजा कोर्ट ने कहा है कि जब तक पुनर्विचार नहीं हो जाता तब तक इस कानून के तहत कोई केस नहीं होगा। साथ ही लंबित मामलों में भी कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। 

Supreme Court on Sedition Law : बता दें कि तीन जजों की पीठ राजद्रोह कानून की वैधता पर सुनवाई कर रही है। संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं।

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