Shivsena Symbol : फ्रीज हुआ शिवसेना का चुनाव निशान 'धनुष-बाण', उद्धव का आरोप BJP को फायदा पहुँचाने के लिए शिंदे ने बनाया दबाव
इलेक्शन कमीशन के इस फैसले से उद्धव गुट और शिंदे गुट (Udhav And Shinde Group) दोनों ही को तगड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग (Election Commision) के इस फैसले के बाद अब न तो उद्धव ठाकरे ग्रुप और ना ही एकनाथ शिंदे ग्रुप दोनों में से कोई भी इस चुनाव निशान का इस्तेमाल कर पाएंगे...
Shivsena Symbol: महाराष्ट्र शिवसेना में उद्धव और शिंदे गुट को लेकर चल रही लड़ाई के बीच चुनाव आयोग ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह 'तीर-धनुष' को बैन कर दिया है। इलेक्शन कमीशन के इस फैसले से उद्धव गुट और शिंदे गुट (Udhav And Shinde Group) दोनों ही को तगड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग (Election Commision) के इस फैसले के बाद अब न तो उद्धव ठाकरे ग्रुप और ना ही एकनाथ शिंदे ग्रुप दोनों में से कोई भी इस चुनाव निशान का इस्तेमाल कर पाएंगे।
आज शनिवार 8 अक्टूबर को केंद्रीय चुनाव आयोग ने धनुष बाण (Dhanush Baan) चुनाव चिन्ह को तत्काल के लिए फ्रीज कर दिया है। यानी अब 3 नवंबर को जो मुंबई के अंधेरी विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है, उसमें शिवसेना को नए चुनाव चिन्ह के साथ जाना होगा। इस चुनाव में धनुषबाण चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट ने अपने दावे के पक्ष में तथ्यों से जुड़े कागजात चुनाव आयोग को सौंपे। जिसे लेकर चुनाव आयोग में चार घंटे तक मीटिंग चली। इस मीटिंग के बाद चुनाव आयोग ने यह फैसला किया कि शिवसेना का चुनाव चिन्ह फ्रीज होगा। ये ना शिंदे गुट को मिलेगा ना ही ठाकरे गुट को।
बता दें कि मुंबई की अंधेरी विधानसभा का उपचुनाव (By Election) 3 नवंबर को होना है। शिवसेना के ठाकरे गुट ने दिवंगत विधायक रमेश लटके की पत्नी ऋतुका लटके को अपना उम्मीदवार बनाया है। शिंदे गुट बीजेपी के उम्मीदवार मुरजी पटेल को सपोर्ट कर रहा है। ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग से कहा था कि जब शिंदे गुट अपने उम्मीदवार खड़े ही नहीं कर रहा है तो वह चुनाव आयोग पर जल्दी फैसले का दबाव क्यों बना रहा है? साथ ही जब तक फैसला नहीं होता तब तक ठाकरे गुट को चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करते रहने दिया जाए। लेकिन चुनाव आयोग ने तत्काल के लिए इस चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने का फैसला दे दिया।
दो गुटों में बंटी पहचान
सिर्फ चुनाव चिन्ह (Party Symbol) की ही बात नहीं है, चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को फैसला होने तक पार्टी के नाम का भी इस्तेमाल करने से रोक दिया है। यानी दोनों ही गुट को यह साफ करना होगा कि वे किस गुट के हैं। वे यह कहते हुए मतदाता के पास नहीं जा सकेंगे कि वही असली शिवसेना है। जब तक अंतिम रूप से यह फैसला नहीं हो जाता कि शिवसेना किसकी, तब तक उनकी पहचान 'ठाकरे गुट' और 'शिंदे गुट' होगी।
सोमवार तक के लिए मिला समय
अब सोमवार 10 अक्टूबर तक दोनों गुटों के पास नए चुनाव चिन्ह के प्रस्ताव और विकल्प होंगे। ठाकरे गुट शुरू से यह चाह रहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक चुनाव आयोग का फैसला ना आए। इसके लिए ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका
ठाकरे गुट ने अपने पक्ष के कागजात जमा करने में भी तीन-चार बार टालमटोल की और मोहलत मांगी। चुनाव आयोग से मोहलत मिली भी। ठाकरे गुट का कहना है कि तत्काल फैसले की जरूरत नहीं थी, बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए शिंदे गुट तत्काल फैसले की मांग कर रहा था। ठाकरे गुट का कहना है कि अंधेरी उपचुनाव में ठाकरे गुट धनुषबाण चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़े, इसमें शिंदे गुट को समस्या क्या थी? शिंदे गुट तो वैसे भी उम्मीदवार खड़े नहीं कर रहा है। ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे गुट बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए जल्दी फैसले की मांग कर रहा था।