Sonbhadra News : सोनभद्र में अज्ञात बीमारी से 14 की मौत, टेंशन में योगी सरकार, जानिए क्यों?

Sonbhadra News : स्वास्थ्य विभाग मलेरिया से मौत से इनकार कर रहा है। दूसरी तरफ यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले मौत का सिलसिला जारी रहने से योगी सरकार टेंशन में है।

Update: 2021-11-23 06:44 GMT

Sonbhadra News : उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पिछले 10 दिनों से अज्ञात बीमारी का कहर ग्रामीण क्षेत्रों में जारी है। अभी तक म्योरपुर ब्लॉक के सेंदुर (मकरा) ग्राम पंचायत में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। प्राइवेट लैब की जांच में मृतकों के मलेरिया ग्रसित होने की बात सामने आई है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग मलेरिया से मौत से इनकार कर रहा है। दूसरी तरफ यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के ठीक पहले मौत का सिलसिला जारी रहने से योगी सरकार टेंशन में है।

डीएम सख्त, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी चेतावनी

सेंदुरा मकरा गांव में मीडिया की टीम पहुंचने के बाद से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप की स्थिति है। आनन-फानन में म्योरपुर सीएचसी की टीम दवा और जांच किट लेकर गांव में कैंप करने पहुंच गई। 10 दिन में 14 मौतें होने के बाद भी जिले का स्वास्थ्य महकमा अनजान बना हुआ था। अब जिलाधिकारी ने गांव का दौरा कर स्वास्थ्य विभाग को सख्त चेतावनी देते हुए गांव में कैंप करने व बीमारी पर जल्द से जल्द अंकुश लगाने का आदेश दिया है।

अज्ञात बीमारी से दहशत में गांव के लोग

पिछले 10 दिनों से अबूझ बीमारी का कहर गांव में पसरा हुआ है। अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार की रात रामसूरत की बेटी कविता की मौत हुई थी। परिजन उसे इलाज के लिए अनपरा स्थित निजी चिकित्सालय में ले गए थे जहां उसकी मौत हो गई। इसी ग्राम पंचायत के टोला मढैया के रहनेवाले शिव प्रसाद की पत्नी सोनिया की भी मौत अबूझ बीमारी से हो चुकी है। मृतकों के परिजनों की मानें तो दोनों की जांच में मलेरिया पीएफ निकला था। मलेरिया की दवा खाने के बाद थोड़ी राहत मिलने की वजह से सोनिया को अहरौरा धान काटने गई थीं, जहां उनकी मौत हो गई। शिव प्रसाद ने बताया कि वे सरकारी अस्पताल गए थे पर न तो कोई जांच हुई थी, न ही कोई दवा ठीक से दी गई। जिसके बाद गांव में घूमने वाले छोला छाप डॉक्टर से दवा ली थी, पर कोई फायदा नहीं हुआ और अचानक मौत हो गई।

ग्रामीण अंकुश दुबे के मुताबिक लगातार हो रही मौतों के बाद ग्रामीण दहशत में हैं। ग्रामीणों की मौत की मुख्य वजह मच्छर के काटने से मलेरिया व टाइफाइड है। स्वास्थ्य महकमे की ओर से किया जा रहा प्रयास नाकाफी है। पहले भी उनके यहां कभी भी मच्छररोधी दवा का छिड़काव नहीं किया गया, जिससे उन्हें मच्छरों से निजात मिल सके।

सीएमओ का दावा निकला गलत

सीएमओ ने गांव का दौरा करने के बाद स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया था। उसके बाद दो मौतों के बाद जिलाधिकारी टिके बाशु ने दौरा कर स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश दिया। सीएमओ नेम सिंह ने दावा किया था कि नए मलेरिया और डेंगू पॉजिटिव रोगी नहीं मिले। ऐसे में एक बार फिर मौतों के कारण सीएमओ के दावे की हवा निकल गई है।

सेंदुर मकरा में सुविधा का घोर अभाव

सेंदुर मकरा गांव के बसंत लाल, राधे राम, संगम लाल स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि स्वस्थ्य विभाग की टीम आज आपलोगों की वजह से दिख रही है। गांव में किसी भी चीज की सुविधा नहीं है। मलेरिया या अन्य दवाइयों की उपलब्धता नहीं है। सरकारी अस्पताल में कोई दवा नहीं मिलती, जिसकी वजह से प्राइवेट डॉक्टरों के यहां जाना पड़ता है। एंबुलेंस या डॉक्टर बुलाने या खोजने के बाद भी नहीं दिखते हैं। म्योरपुर सीएचसी के डॉ. लाल जी राम ने कहा कि गांव में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर स्थिति नियंत्रण में लाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवा दी जा रही है। मच्छररोधी दवा का छिड़काव भी कराया जा रहा है।गांव के पानी में फ्लोराइड, नदी व कुएं का खुला पानी पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। हमलोग जांच कर गांव के लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं।

योगी सरकार पर चार साल पहले लगा था इंसेफेलाइटिस का कलंक

बता दें कि साल 2017 में गोरखपुर के बाबा राघवदास अस्पताल में इंसेफलाइटिस और अस्पताल में आक्सीजन खत्म होने से 67 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। इंसेफेलाइटिस से मौत की वजह से योगी सरकार दुनियाभर में बदनाम हुई थी। दो महीने बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। सोनभद्र जिले में अज्ञात ​बीमारी से लोग दहशत में है। योगी सरकार चुनाव प्रचार में व्यस्त है। वहीं मौत का सिलसिला जारी रहने से सीएम योगी को टेंशन में डाल दिया है। उन्होंने अधिकारियों से इस काबू पाने को कहा है। अगर​ स्थिति बेकाबू हुई तो इसका असर चुनाव परिणाम पर हो सकता है।

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