Supreme Court का UIDAI को निर्देश, आवास प्रमाण के बिना भी बनेगा सेक्स वर्कर्स का आधार कार्ड

Supreme Court : जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने यूआईडीएआई से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आधार कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में यौनकर्मियों की गोपनीयता बनी रहे.....

Update: 2022-05-25 13:33 GMT

Supreme Court का UIDAI को निर्देश, आवास प्रमाण के बिना भी बनेगा सेक्स वर्कर्स का आधार कार्ड। प्रतीकात्मक तस्वीर

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूआईडीएआई को निवास प्रमाण पत्र के बिना भी सेक्स वर्कर्स को आधार कार्ड जारी करने का निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने गुरूवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIADI) को निर्देश दिया कि वह नाको (Natioanl AIDS Control Organisation) में एक राजपत्रित अधिकारी या राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना निदेशक द्वारा प्रोफार्मा यौनकर्मियों (Sex Workers) को आधार कार्ड (Aadhar Card) जारी करे। 

कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने यूआईडीएआई से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आधार कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में यौनकर्मियों की गोपनीयता (Privacy Of Sex Workers) बनी रहे। अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया में गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होगा, इसमें आधार नामांकन संख्या (Enrolment Number) में किसी भी कोड को असाइन करना भी शामिल है जो कार्डधारक को यौनकर्मी के रूप में पहचानता है।

इससे पहले एक मौके पर दरबार महिला समन्वय समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने पीठ को अवगत कराया था कि बिना निवास प्रमाण के किसी भी यौनकर्मी को आधार कार्ड जारी नहीं किए जा रहे हैं।

यूआईडीएआई द्वारा दायर हलफनामे में सुझाव दिया था कि यौनकर्मी जो नाको की सूची में हैं और आधार कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन निवास का प्रमाण प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं, उन्हें जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि राजपत्रित अधिकारी द्वारा प्रोफार्मा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए। नाको या राज्य का स्वास्थ्य विभाग उनके विवरण की पुष्टि कर रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने पहचान के किसी भी सबूत पर जोर दिए बिना सभी राज्यों को यौनकर्मियों को सूखा राशन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इस बीच कोर्ट ने सरकारों को उन्हें वोटर आईडी और राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया था। कथित तौर पर एक दशक पहले सेक्स वर्कर्स के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल द्वारा उक्त सिफारिश लगभग एक दशक पहले साल 2011 में की गई थी। लेकिन इसे लागू अब किया जाना है। 

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