सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन के लिए बना सकती है पैनल, आज सुन सकती है किसानों का पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर किसान आंदोलन पर सुनवाई होनी है। बुधवार को अदालत ने कहा था कि वह फैसला देने से पहले किसानों का पक्ष भी सुनेगी और इसके लिए सरकार से नाम मांगा था...

Update: 2020-12-17 06:02 GMT

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दिया है कि वह किसान आंदोलन का हल निकालने के लिए एक पैनल का गठन कर सकती है। इस पैनल में किसान संगठनों के प्रतिनिधि, सरकार के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं, बुधवार के बाद गुरुवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन मामले पर सुनवाई होनी है। मालूम हो कि इससे पहले शाहीनबाग में सीएए विरोध प्रदर्शन को लेकर भी शीर्ष अदालत ने एक पैनल बनाया था और वार्ताकार नियुक्त किए थे।

हालांकि उस पैनल से शाहीनबाग प्रदर्शनकारियों की बातचीत के कोई नतीजा नहीं निकल पाया था और आखिरकार कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को धरना स्थल से हटाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में कहा था कि वह कोई भी फैसला देने से पहले किसान प्रतिनिधियों को भी सुनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल से इस संबंध में नाम पूछे थे। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा था कि सरकार आंदोलनकारी किसानों से बात कर रही है और वह उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। इस पर अदालत ने कहा था कि यह बातचीत फिर फेल हो जाएगी, आप उन संगठनों के नाम दीजिए जो अदालत में पेश हो सकें।

इस मामले में आठ किसान संगठनों को पार्टी बनाया गया है जिनका पक्ष अदालत जानेगी।। इसमें भारतीय किसान यूनियन टिकैट गुट, भारतीय किसान यूनियन सिधुपुर, भारतीय किसान यूनिय राजेवाल, भरतीय किसान यूनियन लाखोवाल, जम्हूरी किसान सभा, बीकेयू दकौंडा, कुल हिंद किसान फेडरेशन और बीकेयू दोआबा शामिल हैं। अगर किसान आंदोलन का हल निकालने के लिए कमेटी बनेगी तो उसमें सकरार व इन संगठनों के प्रतिनिधि के अलावा अन्य संगठनों के लोगों को भी शामिल किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों के आंदोलन व सड़को के जाम होने को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कहा कि सरकार के पक्ष की दलीलों पर कहा है कि सड़कें आपने ही जाम कर रखी है, उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से किसने रोका है। इस पर सालिसिटर जनरल ने कहा कि हां, उन्हें प्रशासन ने रोका है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई को लेकर सिंघु बाॅर्डर पर प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान यूनियन दोआबा गुट के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा है कि हमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस संबंध में कोई नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने कहा है कि अगर हमें इस संबंध में प्रस्ताव मिलता है तो हम बातचीत में शामिल होंगे।


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