सुप्रीम कोर्ट ने खोला MP पुलिस का बड़ा खेल, शिकायतकर्ता को बना दिया मर्डर का आरोपी और आरोपियों गवाह, तीनो हुए बरी

एमपी के सागर जिले की पुलिस ने हत्या के मामले में आरोपी को गवाह बना दिया और शिकायत करने वाले को आरोपी घोषित कर डाला। कोर्ट को जब इसका पता चला तो उन्होंने उम्रकैद की सजा पाए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया...

Update: 2021-08-20 09:19 GMT

एमपी पुलिस के खेल की जानकारी होने पर अदालत ने तीनो आरोपियों को बरी कर दिया.

जनज्वार ब्यूरो, भोपाल। पुलिस चाहें यूपी की हो चाहें एमपी की अथवा कहीं और की ही हो, बड़ा गोलमाल करने से बाज नहीं आती। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी एक से हों, कुछ ठीक भी होते हैं, इस विभाग में। लेकिन अधिकतर पुलिसकर्मी ऐसे भी होते हैं जो शहर राज्य या कभी-कभी नेशनल स्तर पर अपनी बदनामी करवाने से बाज नहीं आते। इस वक्त एमपी पुलिस ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा किया है, जिसे खुद सुप्रीम कोर्ट ने उजागर किया है।

दरअसल, एमपी के सागर जिले की पुलिस ने हत्या के मामले में आरोपी को गवाह बना दिया और शिकायत करने वाले को आरोपी घोषित कर डाला। कोर्ट को जब इसका पता चला तो उन्होंने उम्रकैद की सजा पाए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 'ऐसे मामलों में अदालतों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। मगर निचली अदालत और हाईकोर्ट ने अपने दायित्व का निर्वाह ठीक तरह नहीं किया है। लेकिन किसी तकनीकी आधार पर हम अन्याय के खिलाफ आंखें मूंदकर नहीं बैठ सकते।'

क्या था पूरा मामला?

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सागर के मोती नगर थाना क्षेत्र की पुलिस ने 13 मई 2008 को सहोदरा बाई की शिकायत पर रूईया व कैलाश के खिलाफ उसके देवर पप्पू की हत्या का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए 16 मई 2008 को सहोदरा बाई, उसके पति व भाई को ही आरोपी मानकर गिरफ्तार कर लिया और बताया कि रूईया द्वारा 250 रुपए न लौटाने से नाराज होकर उक्त तीनों ने ही पप्पू की हत्या की।

बाद में रुईया पर आरोप लगा दिए। इतना ही नहीं पुलिस ने इस मामले में रूईया और अन्य 'आरोपियों' को गवाह बना दिया। निचली अदालत तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुना दी। फिर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी। इस फैसले के खिलाफ पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

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