सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम पत्रकारों के लिए अलग से व्यवस्था नहीं बना सकते, हाईकोर्ट जाओ

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा, आप हाईकोर्ट के पास जाइए और प्राथमिकियां रद्द करने का अनुरोध कीजिए। हम आपको अंतरिम राहत देंगे...

Update: 2021-09-08 12:22 GMT

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जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को द वायर (The Wire) के तीन पत्रकारों (Journalists) को दो माह का संरक्षण देते हुए साफ किया कि वह नहीं चाहता की प्रेस की स्वतंत्रता कुचली जाए लेकिन वह पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था नहीं बना सकता है। पत्रकारों ने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की तीन सदस्यीय बेंच ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि प्राथमिकियां रद्द कराने के लिए पत्रकारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास जाना होगा।

कोर्ट ने कहा, आप हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के पास जाइए और प्राथमिकियां रद्द करने का अनुरोध कीजिए। हम आपको अंतरिम राहत देंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि हम पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था नहीं बना सकते जिससे वे अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए सीधे हमारे पास आ सकें।

सुप्रीम कोर्ट 'द वायर' को प्रसारित करने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट  (Foundation For Independent Journalists) और तीन पत्रकारों सिराज अली, मुकुल चौहान और इस्मत आरा की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ताओं के वकील शादान फरासत के जरिए जरिए याचिका दाखिल की गई। जिसमें रामपुर, गाजियाबाद और बाराबंकी में दर्ज याचिकाओं और उन पर की गई कार्रवाईयों को रद्द करने की मांग की गई है।

याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस को इन प्राथमिकियों के संबंध में इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोकने के आदेश देने का भी अनुरोध किया गया। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आईपीसी के प्रावधानों के कथित दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने का भी आग्रह किया गया है जिनमें धारा 153-ए (धर्म-नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505(सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) शामिल हैं।

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