26 दिन में थमाया 19 लाख का बिल, 1 रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कीमत 55 हजार वसूलता कानपुर का 'तुलसी अस्पताल'

तुलसी हास्पिटल में अतुल से प्रति सप्ताह 2 लाख 80 हजार एडवान्स जमा कराया। 26 दिन में करीब 19 लाख 20 हजार रूपये पीड़ित से दवा, इंजेक्शन, अस्पताल बिल, लैब टेस्ट के नाम से ठग लिए गए। बावजूद इसके सही उपचार ना मिलने के चलते 17 मई को गीता की मृत्यु हो गयी...

Update: 2021-06-20 09:15 GMT

कानपुर के तुलसी अस्पताल पर आपदा में अवसर का आरोप लगाते अतुल.मां की मौत पर भी 19 लाख से जादा का थमाया बिल.

जनज्वार, कानपुर। कोरोना महामारी की आपदा को अवसर में बदलने से कई निजी अस्पताल भी पीछे नहीं रहे। बल्कि अकूत कमाई का जरिया बनाया। मरीजों से अंधाधुंध वसूली की गई। जो बिल थमाए गए वह वसूले गए मूल्य से 80% कम निकले। इस माहामारी में प्राइवेट कोविड अस्पताल संक्रमितों से लाखों रुपयों की वसूली कर रहे हैं। यही कारनामा कानपुर के तुलसी अस्पताल में भी सामने आया है। 

शनिवार 19 जून को शहर के किदवईनगर निवासी अतुल देव ने एक संस्था में प्रेसवार्ता कर बताया की उनकी माँ गीता गुप्ता को कोरोना वैक्सीन लगवाने को बाद हल्का बुखार आया और उनका ऑक्सीजन लेवल 92-93 हो गया। जिसके बाद ग्वालटोली थाना-क्षेत्र के सिविल लाइन्स स्थित तुलसी हास्पिटल में डा. आंचल कपूर को दिखाया तो उन्होंने माता जी को लंग्स इंफेक्शन बताकर तुलसी हॉस्पीटल में एडमिट करवा दिया।

इसके 2 दिन बाद 23 अप्रैल को डा. आंचल कपूर ने माँ की स्थिति खराब बताकर हास्पिटल के आईसीयू में शिफ्ट कर दिया और रेमडेसिवीर इंजेक्शन की तत्काल व्यवस्था करने को कहकर हास्पिटल के सीएमडी अमर शंकर गुप्ता के पुत्र शेखर गुप्ता से मिलने को कहा। शेखर गुप्ता से मिले तो उन्होंने रेमडेसिवीर इंजेक्शन 55000 रूपये प्रति इंजेक्शन के हिसाब से देने को कहा।

मजबूरी में अतुल देव ने शेखर गप्ता से 6 रेमडेसिवीर इंजेक्शन तीन लाख तीस हजार में खरीदे, जिसका भुगतान डा. पुष्पेन्द्र यादव ने नगद मांगा। 2 लाख 34 हजार रू. नकद व 96 हजार एकाउण्ट में ट्रांसफर दिनांक 24 अप्रैल को किया गया। इसके बाद तुलसी हास्पिटल में अतुल से प्रति सप्ताह 2 लाख 80 हजार एडवान्स जमा कराया। 26 दिन में करीब 19 लाख 20 हजार रूपये पीड़ित से दवा, इंजेक्शन, अस्पताल बिल, लैब टेस्ट के नाम से ठग लिए गए। बावजूद इसके सही उपचार ना मिलने के चलते 17 मई को गीता की मृत्यु हो गयी।

बकौल अतुल वह और उनका भाई अपनी माँ के लिये अस्पताल संचालकों, डाॅक्टर और अस्पताल के कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अस्पताल संचालक कोविड गाइडलाइन्स के विरूद्ध जाकर माँ के इलाज के नाम पर ब्लैकमेल करके लाखों रूपये ठग लिए और जब माँ का अन्तिम संस्कार के बाद अतुल अपने भाई के साथ पहुँचा तो अस्पताल द्वारा मात्र 6,51,935 रू. का बिल बनाकर उल्टा अतुल से 86,935 और मांगे।

जब अतुल ने कहा कि 14,45,000 रू. नकद व आनलाइन आपके एकाउण्ट में जमा कर चुके हैं। इसके अलावा 4,75,000 रू. की लैब टेस्ट एंव दवा अस्पताल को दे चुके हैं। इसके पश्चात उन लोगों ने डा. पुष्पेन्द्र यादव व सीएमडी पुत्र शेखर गुप्ता से बात करने को कहा। इस बीच अतुल ने उमेश चन्द्र मिश्रा से जो बातचीत हो रही थी उसे अपने मोबाइल में रिकार्ड कर लिया, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि जो लाखों रूपये उन्होंने नगद लिए हैं उसके बिल नहीं देंगे।

आरोप है कि इस बीच अतुल को धमकी भी दी गई। कहा गया कि हास्पिटल के सीएमडी ने 4 वकील रख रखे हैं, तुम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे। इसी तरह हॉस्पिटल के रेजीडेन्ट डाॅक्टर पुष्पेन्द्र यादव से भी अतुल द्वारा जो बातचीत की गयी उसे भी मोबाइल पर रिकार्ड कर लिया गया। जिसमें वो वीडियो में स्वीकार करते दिख रहे हैं कि हॉस्पिटल द्वारा रेमडेसिवीर इंजेक्शन की काला बाजारी करते हुए 55,000 प्रति इंजेक्शन विक्रय किए गये।

अतुल देव का आरोप है कि डाॅक्टर आंचल कपूर, सीएमडी अमर शंकर गुप्ता, सीएमडी का पुत्र शेखर गुप्ता हास्पिटल के सीएमडी पार्टनर उमेश मिश्रा रेजीडेन्ट डाॅक्टर पुष्पेन्द्र यादव व हास्पिटल का अन्य स्टाफ ने कोरोना की इस महामारी को आपदा में अवसर बनाकर प्रार्थी से लाखों रूपये ठगे हैं। रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी की व इलाज में लापरवाही करके मेरी माँ को मौत की नींद सुला दिया।

पीड़ित का कहना है कि वह न्याय के लिए थाना ग्वालटोली, पुलिस कमिश्नर, डीएम और एसीएम-5 से मिलकर एवं डीजीपी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगायी लेकिन आज तक अस्पताल प्रबंधक और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ न तो मुकदमा दर्ज किया गया न ही कोई कार्यवाही की गई। पीड़ित लगातार न्याय के लिए भटक रहा है।

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