गोरखपुर में मरे हुए डॉक्टर के नाम पर चल रहे थे डायग्नोस्टिक सेंटर्स, भगवान भरोसे हो रही थी अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच

एसीएमओ डॉ. एनके पाण्डेय ने बताया कि गोरखपुर में डोंगरा नर्सिंग होम है जो डॉक्टर के अभाव में बंद कर दिया गया। गोरखपुर में कुल 275 डायग्नोस्टिक सेंटर होंगे अब सभी सेंटर की रेग्युलर जांच चलेगी....

Update: 2021-07-04 10:08 GMT

(इन दोनों सेंटरों पर डेली मरीजों की भीड़ लगी रहती थी। बिना डॉक्टर के ही भगवान भरोसे मरीजों का अल्ट्रासाउंड और बाकी जांच हो रही थी।)

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आयी है। गोरखपुर में जिस डॉक्टर के नाम पर दो डायग्नोस्टिक सेंटर धड़ल्ले से चल रहे थे उनकी काफी दिनों पहले ही मौत हो चुकी है। शनिवार 3 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग टीम ने जांच के बाद पीसीपीएनडीटी एक्ट में कार्रवाई करते हुए दोनों सेंटर्स को सील कर दिया है।

खबरों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की टीम शनिवार को अचानक वहां पहुंची तो वहां मौजूद वर्कर्स इधर-उधर भागने लगे। इसके बात स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि जिस डॉक्टर के नाम पर सेंटर चल रहे थे उनकी मौत हो चुकी है।

गोरखपुर शहर में डॉ. हरिद्वार गोड़ के नाम से दो जगह मोहद्दीपुर में जनता डायग्नोस्टिक सेंटर और पादरी बाजार में साई डायग्नोस्टिक सेंटर चल रहे थे, जबकि डॉ. हरिद्वार की पहले ही मौत हो चुकी थी। डॉक्टर के मौत की सूचना सीएमओ दफ्तर में बिना दिए ही दोनों सेंटर को कुछ लोग चला रहे थे।

वहीं इन दोनों सेंटरों पर डेली मरीजों की भीड़ लगी रहती थी। बिना डॉक्टर के ही भगवान भरोसे मरीजों का अल्ट्रासाउंड और बाकी जांच हो रही थी। स्वास्थ्य विभाग को जब इसकी भनक लगी तो उनके कान खड़े हो गए। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम सेंटर पहुंची और वहां पर मौजूद अल्ट्रासाउंड मशीनें सील कर दीं।

एसीएमओ डॉ. एनके पाण्डेय ने बताया कि गोरखपुर में डोंगरा नर्सिंग होम है जो डॉक्टर के अभाव में बंद कर दिया गया। गोरखपुर में कुल 275 डायग्नोस्टिक सेंटर होंगे अब सभी सेंटर की रेग्युलर जांच चलेगी। शनिवार को दोनों सेंटर ने जो गलती की है वो अपराध के श्रेणी में आता है। दोनों सेंटरों के खिलाफ आगे की कार्रवाई जिला सलाहाकार समिति की अगली मीटिंग में तय की जाएगी।

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