यूपी : किसानों-मजदूरों ने किया धरना प्रदर्शन, मनाया भारत बचाओ दिवस

वक्ताओं ने कहा कि आज 9 महीनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सड़कों पर गर्मी-ठंडी-बरसात सहते हुए लाखों किसान तीनो काले कृषि कानून के विरोध में संघर्षरत है, लेकिन वर्तमान की सरकार उनसे संवाद भी नहीं कर रही है....

Update: 2021-08-09 15:30 GMT

(भारत छोड़ो आंदोलन की बरसी पर सरकार के खिलाफ किसानों-मजदूरों का आंदोलन)

जनज्वार। इलाहाबाद संयुक्त ट्रेंड यूनियंस व किसान आंदोलन एकजुटता मंच ने आज ऐतिहासिक 9 अगस्त 1942 के अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से  कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पत्थर गिरजाघर सिविल लाइंस पर धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद इलाहाबाद के जिलाधिकारी के माध्यम से देस के राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा।

धरना प्रदर्शन करते हुए वक्ताओं ने संयुक्त रूप से कहा कि आज हमें 9 अगस्त 1942 के ऐतिहासिक अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के दिन अंग्रेजो के ही दलालो की वर्तमान केन्द्र सरकार जो देश विरोधी विनाशकारी नीतियां बनाकर देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों सहित खेती-किसानी, शिक्षा, चिकित्सा को पूंजीपतियों को सौंपती जा रही है, जिसके खिलाफ किसानों और मजदूरों के केंद्रीय नेतृत्व के राष्ट्रीय आह्वान पर देशभर में 9 अगस्त भारत बचाओ दिवस के तहत विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि आज 9 महीनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सड़कों पर गर्मी-ठंडी-बरसात सहते हुए लाखों किसान तीनो काले कृषि कानून के विरोध में संघर्षरत है, लेकिन वर्तमान की सरकार उनसे संवाद भी नहीं कर रही है। यदि काला कृषि कानून लागू हो गया तो जैसे डीज़ल, पेट्रोल, सरसों तेल के दाम बढ़ने से आम आदमी के पहुँच से दूर हो गया है, ठीक उसी तरह गरीबों के मुंह से रोटी छिन जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार कई वर्षों के संघर्षों से प्राप्त 44 श्रमिक कानूनों को चार श्रमिक कोड बनाकर श्रमिकों के अधिकार समाप्त कर रही है, उन्हें फिर से गुलाम बना रही है। मंहगाई, बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना संकट में अपनी जान की परवाह किए बगैर रात-दिन कोरोना वॉरियर्स सफाईकर्मी, आशा आंगनवाड़ी, 102, 108,  ALS एम्बुलेंस कर्मचारियों को स्थाई करने के बजाए उन्हें नौकरी से ही निकाला जा रहा है।

"कोरोना के नाम पर स्कूल कॉलेज पहले से ही बंद है। नई शिक्षा नीति लागू होने से ग़रीब दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी पिछड़े समुदाय के बच्चे पूरी तरह से शिक्षा से वंचित हो जायेगे, इसलिए सभी छात्र नौजवान किसान मजदूर, बुद्धिजीवी, शिक्षक, अधिवक्ता, साहित्यिककार, नागरिकों को मिलकर संघर्ष करना होगा तभी गंगा जमुनी तहजीब के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक भारत को बचाया जा सकता है।"

धरने में मुख्य रूप से सीटू से रवि मिश्रा, एटक से राम सागर, ऐक्टू से डॉ कमल उसरी, इंटक से डी पी सिंह, ए आई यू टी यू सी से राजवेंद्र सिंह, सीटू से अविनाश मिश्रा, कंफर्डसन ऑफ़ सेंट्रल गवर्नमेंट इम्प्लाइज एंड वर्कर्स से सुभाष चंद्र पाण्डेय, प्रमोद मिश्रा, हरिश्चंद्र द्विवेदी, अनिल वर्मा, रिशेश्वर उपाध्याय सहित इलाहाबाद के कई लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन रखने वाले जन संगठनों और लोगों भी शामिल रहें। धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता कॉ. रवि मिश्रा और संचालन कॉ. कमल उसरी ने किया।

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