UP : प्रयागराज में दलितों पर पुलिसिया बर्बरता, चोरी की शिकायत करने पर ग्राम प्रधान को भेजा जेल, लाठीचार्ज सहित 60 पर FIR
जनज्वार को मिले पत्र के मुताबिक थानेदार ने ग्राम प्रधान से बात करवाने को कहा। प्रधान ने थानेदार से बात की। इस दौरान फोन स्पीकर पर था तो सभी ने सुना की थानाध्यक्ष बारा ने ग्राम प्रधान को अश्लील गाली-गलौच व जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया...
जनज्वार, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पुलिस का उत्पीड़न चरम पर है। ताजा घटनाक्रम प्रयागराज (Prayagraj) से सामने आया है। यहां के सेहुड़ा गांव में हो रही दनादन चोरी की वारदातों ने ग्रामीणों की नींद हराम कर दी है। इस बाबत शिकायत करने पर पुलिस ने ग्राम प्रधान को ही फर्जी मुकदमें में जेल भेज दिया, जिसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।
पूरा मामला सेहुड़ा के गोदिया का पुरवा का है। यहां बीती सोमवार 23 अगस्त को ग्रामीणों ने एक संदिग्ध व्यक्ति को घूमते हुए देखा। संदिग्ध को गांव में देखकर सभी को शंका हुई। ग्रामीण पहले से ही हो रही चोरी की घटनाओं को लेकर परेशान थे। क्योंकि गांव में इससे पहले पूर्व प्रधान जवाहर लाल पाल, राजेंद्र यादव व फूलबाबू की भैंस चोरी होने सहित परमानंद के घर में चोरी की घटना हो चुकी थी।
23 अगस्त सोमवार को संदिग्ध व्यक्ति की सूचना ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान रज्जन कोल को जाकर दी। सभी ने मिलकर गांव में घूम रहे संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ लिया तथा डॉयल 112 में फोनकर पुलिस को सूचना दी गई। आरोप है कि, मौके पर पहुँची पुलिस ने उक्त व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही उससे कोई पूछताछ ही की।
सभी ग्रामीणों ने मिलकर पुलिस से संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर थाने ना ले जाने का कारण पूछा तो पुलिसकर्मियों ने थानाध्यक्ष बारा को सूचना दी। जनज्वार को मिले पत्र के मुताबिक थानेदार ने ग्राम प्रधान से बात करवाने को कहा। प्रधान ने थानेदार से बात की। इस दौरान फोन स्पीकर पर था तो सभी ने सुना की थानाध्यक्ष बारा ने ग्राम प्रधान को अश्लील गाली-गलौच व जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया।
इस घटना से थोड़ी देर बाद थाना बारा से एसआई अजीत कुमार दूसरी गाड़ी में आया और उक्त संदिग्ध व्यक्ति को बिठाकर थाने ले गया, साथ ही ग्रामीणों से पूछताछ के लिए थाने पहुँचने को कहा गया। सभी ग्रामीण साथ गये। मिली जानकारी के मुताबिक थाने पहुंचते ही पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया। हमारे सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया की पुलिस की लाठीचार्ज में घायल ग्रामीणों ने भी पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसमें कई लोग चोटिल हुए।
इस पूरे मसले के बाद पुलिस ने ग्राम प्रधान और उसके छोटे भाई को रात में पुलिस ने थाने में ही बंद कर लिया। मंगलवार 24 अगस्त की सुबह ग्रामीण सीओ बारा के कार्यालय पहुँचे। सीओ कार्यालय पहुँचकर ग्रामीणो ंने पुलिसिया दुर्व्यवहार तथा प्रधान को हिरासत से छोड़ने की मांग रखी। सीओ ने सभी ग्रामीणों को यह कहकर वापस भेज दिया कि आप लोग जाइये प्रधान को भी छोड़ दिया जाएगा।
बावजूद इसके पुलिस ने ग्राम प्रधान रज्जन कोल, बीडीसी शीला पाल के पति श्याम मोहन पाल, अर्जुन कोल, सुरेश वर्मा, राजू कुशवाहा सहित 50-60 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा संख्या 120/2021 के तहत धारा 147/148/149/332/353/427/506/307 व 186 IPC में एफआईआर दर्ज कर ली। बाद में पुलिस ने प्रधान के छोटे भाई अर्जुन कोल को छोड़ दिया लेकिन प्रधान रज्जन कोल को जेल भेज दिया।
इस पूरे मामले में जो ताजा अपडेट है, वह ये कि सभी ग्रामीणों में प्रधान को जेल भेजने के बाद आक्रोश है। ग्रामीणों ने मिलकर सीओ कार्यालय के बाहर धरना दिया है। साथ ही ग्रामीणों ने आईजी प्रयागराज से मिलकर उच्चस्तरीय जांच करवाने और न्याय दिए जाने की मांग की है। इस दौरान पुलिस ने थाने में 3 दिन तक रखे गये उस अज्ञात संदिग्ध को भी छोड़ दिया जिसको लेकर पूरा बवाल हुआ था।
इस कहानी में पुलिस का बड़ा झोल ये बताया जा रहा है कि, रज्जन और उसके भाई को 23 अगस्त की रात में ही 11:30 थाने में बंद कर लिया गया, जबकि एफआईआर में गिरफ्तारी 24 अगस्त की देर रात दो बजे थाने से तीन किलोमीटर दूर की दिखाई गई है। जिसकी कॉपी जनज्वार के पास भी मौजूद है। इसके अलावा पुलिस जिस संदिग्ध व्यक्ति को पागल कह कर ले जाने से इंकार कर रही थी, उसे अगले दो तीन दिनो तक़ थाने में रखा वो भी बिना कोई सावधानी बरतें।
इस पूरे मामले में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. कमल उसरी जनज्वार से बात करते हुए कहते हैं कि, 'कुल मिलाकर एक छोटी सी बात को लेकर पुलिस ने खुद बखेड़ा खड़ा कर दिया है। यहां के थानेदार और सीओ बारा का जो रवैया है वो तानाशाही और सामंती है। ग्राम प्रधान एक निहायत ही सभ्रांत व्यक्ति है, दलित है तो कम पढ़ा लिखा है। इमानदार है जिसके चलते कुछ अराजकतत्वों को रास नहीं आ रहा है। यहां पुलिस ने अपना काम ठीक तरह नहीं किया है। ग्रामीणों की मांग है कि ग्राम प्रधान को छोड़ा जाए तथा मामले की जांच करवाकर दलित बिरादरी के साथ न्याय किया जाना चाहिए।'