विकास दुबे मामले में न्यायिक आयोग ने पूछा इतनी चौड़ी सड़क पर कैसे पलटी गाड़ी, बेहोश पुलिसकर्मी को कैसे पता चला पीछे के गेट से भागा

तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की टीम ने पूछा हाइवे इतना चौड़ा होने के बाद भी पुलिस की गाड़ी डिवाइडर पर कैसे चढ़ गई और पलट भी गई, जबकि इस हाइवे पर तीन-तीन गाड़ियां एक साथ ओवरटेक कर सकती हैं...

Update: 2020-08-29 05:14 GMT

न्यायिक जांच आयोग ने बिकरू डॉन विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को किया सवालों के घेरे में खड़ा

जनज्वार, कानपुर। कानपुर के बिकरु कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग की टीम ने जांच शुरू कर दी है। सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जज बीएस चौहान की अगुवाई में बनी इस टीम में हाईकोर्ट का जज एसके चौहान पूर्व डीजीपी एके गुप्ता शामिल हैं।

जांच टीम ने शुक्रवार 28 अगस्त को सर्किट हाउस में पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर बिकरु मामले से जुड़े सभी तथ्य हासिल किए। इसके अलावा वारदात के दिन से अब तक के सभी दस्तावेज लिए।

टीम विकास दुबे के एनकाउंटर वाली जगह भी पहुंची। भौंती हाइवे पहुंचकर जांच टीम ने एनकाउंटर में शामिल एसटीएफ की टीम से सवाल किया कि हाइवे इतना चौड़ा होने के बाद भी पुलिस की गाड़ी डिवाइडर पर कैसे चढ़ गई और पलट भी गई, जबकि इस हाइवे पर तीन-तीन गाड़ियां एक साथ ओवरटेक कर सकती हैं। जिस पर एसटीएफ की टीम ने जवाब दिया कि बारिश के कारण सड़क दिखाई नहीं दी और गाड़ी सड़क के काफी किनारे आ गई। आगे का पहिया अचानक डिवाइडर पर चढ़ा और गाड़ी पलट गई।

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न्यायिक आयोग के सदस्यों ने पूछताछ में पुलिस के लिए सवालों की लिस्ट तैयार कर रखी थी। उन्होंने पूछा, गाड़ी कहां-कैसे पलटी, कितने लोग सवार थे? इस सवाल पर कि विकास कहां बैठा था? जवाब मिला- पीछे सीट पर बीच में। किसकी पिस्टल लेकर भागा? नवाबगंज थाना प्रभारी रमाकांत पचौरी बोले-सर, मेरी। आप किधर बैठे थे? थाना प्रभारी बोले-बाएं। आयोग के सदस्य ने अचरज जताया कि गाड़ी बायीं और ही पलटी थी, तब तो आपकी पिस्टल शरीर के नीचे दबी होगी, विकास दुबे ने इतनी जल्दी पिस्टल कैसे निकाल ली? थाना प्रभारी ने कहा- सर पता नहीं, मैं बेहोश हो गया था। अगला सवाल था कि विकास गाड़ी से बाहर कैसे आया? थाना प्रभारी ने तुरंत जवाब दिया-पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल कर भागा। इस पर आयोग के सदस्य बोले-अच्छा...आप तो बेहोश थे!

फिर जांच टीम ने पूछा कि गाड़ी पलटने पर सबसे पहले कौन बाहर निकला। एसटीएफ के दारोगा से यह भी पूछा गया कि आपकी जो पिस्टल छीनी गई थी उसमें कितनी गोलियां थीं। दरोगा ने जवाब दिया पिस्टल में दस गोलियां थीं। टीम ने फिर पूछा कि एनकाउंटर के बाद उसमें कितनी गोलियां मिलीं। दरोगा ने बताया एक।

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जांच टीम ने कांशीराम निवादा गांव पहुंचकर आईजी मोहित अग्रवाल और पूर्व एसएसपी दिनेश कुमार पी से पूछा कि आपको कैसे पता चला कि बिकरु कांड में शामिल दो बदमाश अतुल व प्रेमप्रकाश यहीं छुपे हैं। कैसे घेराबंदी की गई। जिस पर आईजी ने कहा पुलिस को कुछ संदिग्ध नम्बर मिले थे, जिन्हें सर्विलांस पर लिया गया था। सर्विलांस और मुखबिरों के जरिये लोकेशन ट्रेस हुई थी। जांच टीम के इस सवाल पर की फायरिंग किधर से शुरू हुई पर आइजी ने जवाब दिया कि फायरिंग उधर से शुरू की गई थी। जवाबी कार्रवाई में दोनों मारे गए थे।

जांच टीम ने आगे पूछा कि फायरिंग में बदमाशों ने किन हथियारों का इस्तेमाल किया था? साथ ही एनकाउंटर कैसे किया के सवाल पर आईजी मोहित अग्रवाल ने जवाब दिया कि पुलिस पार्टी ने बदमाशों को चारों तरफ से घेर लिया था। इसके लिए चार टीमों को लगाया गया था। बदमाशों ने फायरिंग शुरू की जिसकी जवाबी कार्रवाई में पुलिस की फायरिंग में दोनों बदमाश अतुल दुबे व विकास का मामा प्रेमप्रकाश मारे गए थे।

निवादा के बाद जांच टीम पनकी कूड़ा प्लांट पहुंची, जहां प्रभात का एनकाउंटर हुआ था। लगभग 25 मिनट तक घटनास्थल का मुआयना करने के बाद टीम ने पुलिस से पूछा कि इस एनकाउंटर में कितने पुलिसकर्मी घायल हुए थे? जिस पर दो सिपाहियों के घायल होने की जानकारी दी गई।

इसके बाद आयोग ने पूछा कि जब पुलिस की गाड़ी पंक्चर हुई तो उसमें कितने सिपाही बैठे थे? जिसमें पुलिस ने जवाब दिया कि प्रभात बीच में बैठा था, गाड़ी पंक्चर होने के बाद सभी बाहर निकले और इधर-उधर देखने लगे। तभी प्रभात पास के पुलिसकर्मी से पिस्टल छीन कर भागने लगा और मारा गया।

कानूनी जानकार कहते हैं कि बिकरू डॉन विकास दुबे कांड मामले में एसआईटी जांच के अलावा प्रवर्तन निदेशालय, आर्थिक अपराध शाखा व आयकर विभाग सहित अन्य कई जांचें चल रही हैं। लेकिन मामले में न्यायिक आयोग की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होगी। आयोग को 30 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। पुलिस ने अब तक कि जांच में जो सबूत जुटाए हैं वह आयोग को सौंपने होंगे। पुलिस जांच में शामिल सभी गवाहों की आयोग अपने स्तर से जांच करेगा। इसके साथ ही घटना से जुड़े पुलिसकर्मियों व अन्य लोगों के बयान लिए जाएंगे।

यदि आयोग की जांच में विकास दुबे मुठभेड़ में मौत की कहानी अथवा फर्जी एनकाउंटर की बात सामने आई तो इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। सभी के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी चल सकता है। इसके अलावा न्यायिक आयोग की रिपोर्ट का मुकदमों में विशेष महत्व होगा।

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