Nainital News: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के बाद पहली बार हैलंग को लेकर नैनीताल की सड़कों पर उतरा जनसैलाब

Nainital News: एक सितंबर की तारीख यूं तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन की ऐसी दुःखदाई तारीख है जिसे शायद ही कोई याद रखना चाहे। लेकिन आज बृहस्पतिवार की एक सितंबर की तारीख सरोवर नगरी में लंबे समय तक याद की जाएगी....

Update: 2022-09-01 17:07 GMT

Nainital News: उत्तराखंड राज्य आंदोलन के बाद पहली बार हैलंग को लेकर नैनीताल की सड़कों पर उतरा जनसैलाब, कमिश्नर के माध्यम से भेजा ज्ञापन

सलीम मलिक की रिपोर्ट 

Nainital News: एक सितंबर की तारीख यूं तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन की ऐसी दुःखदाई तारीख है जिसे शायद ही कोई याद रखना चाहे। लेकिन आज बृहस्पतिवार की एक सितंबर की तारीख सरोवर नगरी में लंबे समय तक याद की जाएगी। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के बाद आज पहली बार इतना बड़ा जनसमूह चमोली जिले के हैलंग गांव की घसियारी महिलाओं के समर्थन में सरोवर नगरी की सड़कों पर उतरा पूरा नैनीताल शहर जनवादी नारों और जोशीले गीतों से गुंजायमान हो गया।

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16 जुलाई को जोशीमठ के हैलंग गांव की मंदोदरी देवी सहित कई महिलाओं से घास के गट्ठर छीनते हुए एक मासूम बच्चे सहित पुलिस ने इस इल्जाम में गिरफ्तार किया था कि वह अपने गोचर से अपने मवेशियों के लिए घास ला रही थीं। इस घटना के बाद पूरे उत्तराखंड की जनवादी ताकतें और आंदोलनकारी सड़कों पर आ गए थे। राज्य सरकार ने मामले को गरमाता देखकर घटना की जांच गढ़वाल कमिश्नर को सौंपी थी। लेकिन आंदोलनकारियों ने 24 जुलाई को हैलंग में जबरदस्त आंदोलन के दौरान चमोली के डीएम को बर्खास्त कर घसियारी महिलाओं के साथ हुई हरकत की हाईकोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की थी। इसी आंदोलन की अगली कड़ी में एक सितंबर को नैनीताल कमिश्नरी का घेराव कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

नैनीताल के इस कार्यक्रम के लिए सभी आंदोलनकारी ऑनलाइन एक-दूसरे से जुड़कर हैलंग एकजुटता मंच के तत्वाधान में इसकी व्यापक तैयारी कर रहे थे, जिसके सुखद नतीजे बृहस्पतिवार को नैनीताल की सड़कों पर नुमाया हुए। एक सितंबर की अलसुबह ही उत्तराखंड के दूर-दराज के शहरों और गांवों से आंदोलनकारियों के अलग-अलग काफिले नैनीताल के लिए कूच करने लगे। गढ़वाल मंडल के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के लोग एक दिन पहले ही नैनीताल पहुंच चुके थे।


नैनीताल में आंदोलनकारियों का पहला पड़ाव मल्लीताल पंत मूर्ति रहा। सभी संगठनों के प्रतिनिधि व आंदोलनकारी अपने-अपने संगठन के बैनर और पोस्टर हाथ में लेकर हैलंग एकजुटता मंच के बैनर की पीछे इकट्ठा हुए। जहां से जनवादी गीतों व नारों पर झूमता-गाता आंदोलनकारियों का काफिला दो किमी. लंबा मॉल रोड पार करते हुए तल्लीताल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति पर पहुंचा। यहां राज्य आंदोलनकारी और वरिष्ठ पत्रकार राजीवलोचन साह के संचालन में संक्षिप्त सभा दिशा-सुझाव के साथ ही जनकवि व किसान नेता बल्ली सिंह चीमा के गीतों ने आंदोलनकारियों के जोश को दुगुना किया। इस पड़ाव पर कुछ वक्त ठहरने के बाद लाल झंडों के साथ क्रांतिकारी गीतों की धुनों और डफली की थाप पर आंदोलकारियों का काफिला खड़ी चढ़ाई पार कर कमिश्नर कार्यालय के लिए निकला।


कुमाउं कमिश्नर दीपक रावत के कार्यालय परिसर में पहुंचने के बाद वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी ने सभा संचालन की कमान संभाली। जहां वक्ताओं के तौर पर भाकपा माले के फायर ब्रांड नेता इंद्रेश मैखुरी ने हैलंग की घटना का संक्षिप्त ब्योरा देते हुए कहा कि सरकार महिलाओं को जंगल से घास नहीं लाने देगी। राज्य की महिलाओं को मिलने वाला क्षैतिज आरक्षण भी सरकार की नाकारा पैरवी की वजह से अदालत के माध्यम से छीन चुका है। ऐसे विपरीत हालात में लड़कियां अपनी मेहनत से पढ़कर कहीं नौकरी का सपना देखें भी तो सरकारी नौकरियों को बेचने के दलाल इन नौकरियों के बीच में खड़े हैं। सरकार के लोग खुद अपने चहेतों को सभी नियम कानूनों को रौंदते हुए सरकारी नौकरियों पर रखकर बेरोजगार युवाओं का हक़ लूटने पर आमादा है। राज्य आंदोलनकारियों ने न तो इसके लिए इस राज्य का गठन किया था और न ही उत्तराखंड का जवान खून इसे बर्दाश्त करेगा।

सभा को वन पंचायत, गुर्जर समाज आदि जुड़े लोगों ने भी संबोधित करते हुए अपनी परेशानियों को सामने रखा। 16 जुलाई को महिलाओं के साथ गिरफ्तार किए गए मासूम बच्चे के पिता संजय भण्डारी ने हैलंग की मौजूदा स्थिति का खाका खींचते हुए बताया कि कम्पनी अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है। किसान नेता बल्ली सिंह चीमा ने कहा कि सवाल एक घास के गट्ठर छीनने का नहीं है। सरकार जंगल, जमीन, पानी, खेत, हवा सब कुछ छीनने का कुचक्र रच रही है। नए बिजली एक्ट के अनुसार गांव के घर में दो दुधारू पशु हैं तो उस घर के लिए बिजली का व्यवसायिक कनेक्शन लेना पड़ेगा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने मिल-जुलकर संघर्षों की लड़ाई आगे ले जाने की अपील की। सर्वोदयी गांधीवादी नेता इस्लाम हुसैन ने हैलंग की लड़ाई को राज्य की अस्मिता से जोड़ते हुए कहा कि हैलंग के बहाने नेपथ्य में गए मुद्दे फिर मुख्यधारा में आ गए हैं। भविष्य में इसके दूरगामी परिणाम होंगे।


वक्ताओं के संबोधन के बाद मंच की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित कमिश्नर दीपक रावत को सभा स्थल पर ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहा गया है कि चमोली जनपद के हैलंग गाँव में 15 जुलाई को घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के डेढ़ महीने बाद भी शासन से कोई कार्यवाही न किये जाने से उत्तराखंडी अत्यन्त चिंतित है। मीडिया से इस मामले की जांच गढ़वाल कमिश्नर को सौंपने की जानकारी मिली है। लेकिन इसमें हुई किसी भी प्रगति की कोई जानकारी नहीं है। यह मामला महिलाओं की अस्मिता और गरिमा के साथ ही लोगों के बुनियादी हकों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में हम एक बार फिर आपके माध्यम से मांग करते हैं कि महिलाओं से घास छीनकर उन्हें दो साल की बच्ची सहित हिरासत में रखने वाले सीआईएसएफ व अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

पीड़ित महिलाओं के खिलाफ अभियान चलाने वाले चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना को उनके पद से हटाकर कानून का उल्लंघन कर दी गई वन पंचायत की गैरकानूनी स्वीकृति को रद्द कर इस अनुमति के आधार पर पेड़ काटने वालों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाही की जाये। पॉवर कम्पनी के खिलाफ नदी में मलबा डालने और पेड़ काटने के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाये। टीएमडीसी व अन्य जल विद्युत परियोजना निर्माता कम्पनियों की कामों की जनता की भागीदारी के साथ मोनिटरिंग की व्यवस्था की जाये। इसके साथ ही हैलंग प्रकरण की जांच उच्च न्यायालय के किसी सेवारत अथवा सेवानिवृत की निगरानी में की जाये।

इस मौके पर पदमश्री शेखर पाठक, शंकर गोपाल, एडवोकेट कैलाश जोशी, रंगकर्मी जहूर आलम, डीके जोशी, चारु तिवारी, जेसी आर्य, भारती पाण्डे, महेन्द्र राणा आजाद, गोपाल लोधियाल, ललित उप्रेती, भारती जोशी, मीनाक्षी, कैलाश पाण्डे, केके वोरा, रोहित रुहेला, आनन्द सिंह नेगी, नारायण सिंह रावत, मनीष सुंदरियाल, महिला मंच की उमा भट्ट, चम्पा उपाध्याय, शीला रजवार, आशा बिष्ट, ललिता रावत, सरस्वती जोशी, मैत्री महिला संगठन की माया चिलवाल, श्रुति जैन, प्रदीप कुमार, दिनेश उपाध्याय, कपिल शर्मा, मुनीष कुमार, नजाकत, गामा सहित कई लोग रहे।

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