उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ 55 ग्राम सभाओं ने खोला मोर्चा, कई किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई

55 ग्राम पंचायतों वाले घाट ब्लाक मुख्यालय तक 1962 में सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। तब से इस में थोड़ा बहुत सुधार के अलावा बहुत कुछ अधिक नहीं हुआ हैं, दशकों से भूस्खलन, बाढ़, सड़क कटाव सहित तमाम अन्य दिक्कतों के चलते इस सड़क की स्थिति बद से बद्तर हो गई हैं.....

Update: 2021-01-12 12:35 GMT

(Photo Credit : Pankaj Mandoli/Facebook)

जनज्वार ब्यूरो। उत्तराखंड की आराध्य मां नंदा देवी का मायका माने जाने वाले चमोली जनपद के घाट विकासखंड की मुख्य मोटर सड़क नंदप्रयाग-घाट का चौड़ीकरण, सुधारीकरण एवं डामरीकरण का स्वीकृत कार्य आखिर कब धरातल पर उतरेगा, यह यक्ष प्रश्न हर किसी को मथ रहा है। इस प्रश्न के उठने का बड़ा कारण यह है कि स्वयं प्रदेश के मुखिया की दो-दो बार खुले मंच से घोषणा करने एवं घोषणाओं के तीन बरस बाद क्षेत्रीय जनता के पिछले डेढ़ माह से आंदोलित रहने के बाद भी ठोस कार्रवाई का न होना रेखांकित हो गया है।

दरअसल घाट ब्लाक को नंदा राजराजेश्वरी भगवती का मायका माना जाता हैं। प्रत्येक 12 वर्ष अथवा लग्नानुसार विश्व की सबसे लंबे पैदल यात्रा श्री नंदा राजजात यात्रा का प्रमुख केन्द्र के साथ ही प्रत्येक वर्ष भादों मास में आयोजित होने वाली श्री नंदा लोक जात यात्रा का आगाज इस ब्लाक के नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ से होता है। सिद्धपीठ के कारण ही प्रति वर्ष हजारों की संख्या में यहां पर देवी भक्तों का आना जाना लगा रहता हैं। एक तरह से पूरा घाट प्रखंड धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है लेकिन उचित यातायात सुविधा के अभाव में स्थानीय निवासियों के साथ ही यहां आने वाले देवी भक्तों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।


बताते चलें कि ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 19 किमी मोटर सड़क की स्थिति आज भी बदहाल बनी हुई हैं। 55 ग्राम पंचायतों वाले घाट ब्लाक मुख्यालय तक 1962 में सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। तब से इस में थोड़ा बहुत सुधार के अलावा बहुत कुछ अधिक नहीं हुआ हैं। दशकों से भूस्खलन, बाढ़, सड़क कटाव सहित तमाम अन्य दिक्कतों के चलते इस सड़क की स्थिति बद से बद्तर हो गई हैं। 10 जनवरी को घाट प्रखंड की 55 ग्राम सभाओं के अबाल वृद्ध नर - नारियों की भागीदारी से बनी अभूतपूर्व मानव श्रृंखला ने एक बड़ी अंगड़ाई का इजहार कर दिया है।

पिछले लंबे समय से घाट क्षेत्र की जनता बिना किसी राजनीतिक पैंतरेबाजी के एकजुटता से नंदप्रयाग-घाट 19 किमी मोटर सड़क को डेढ़ लाइन बनाने के अलावा इसके सुधारीकरण एवं डामरीकरण की मांग विभिन्न मंचों से उठाती आ रही है, किन्तु आज दिन तक उनके अरमान परवान नही चढ़ पाएं हैं।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 14 अगस्त 2017 को पुलिस लाईन गोपेश्वर में ही इस सड़क के चौड़ीकरण एवं डामरीकरण की घोषणा की थी, जिस पर 14 सितंबर 2017 को ही 1 करोड़ 28 लाख 44 हजार रुपयों की वित्तीय स्वीकृत के अलावा 15 अक्टूबर 2018 को इस सड़क को डेढ़ लाईन बनाये जाने की भी स्वीकृति देने की बात कागजों में तो की जा रही हैं, पर अब तक धरातल पर कुछ भी दिखाई नही पड़ रहा है।


तमाम मंचों पर इस सड़क की स्थिति के संबंध में मांग उठाए जाने के बावजूद जब किसी भी स्तर पर जनता की मांग नहीं सुनी गई तो 2020 के 4 दिसंबर से क्षेत्रीय जनता ने व्यापार संघ घाट व टैक्सी यूनियन घाट के सहयोग से ब्लाक मुख्यालय घाट में आंदोलन शुरू कर दिया। जोकि रविवार को भी जारी रहा। आंदोलन के 38 दिन बीत जाने के बावजूद क्षेत्रीय जनता की एक सूत्रीय मांग पूरी नही होने पर अब क्षेत्रीय जनता में आक्रोश बढ़ने के साथ ही वह अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है। 10 जनवरी का मानव श्रृंखला का आंदोलन इसी की अभिव्यक्ति रहा है। पूरे प्रखंड के 55 ग्राम सभाओं के लोगो कि एकजुटता से आज साफ तौर पर सत्ता प्रतिष्ठान को संदेश दे दिया है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में उसे भारी पड़ सकता है।

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